# बनते बिगड़ते रिश्ते #

ज़िन्दगी में ऐसे लोग जोड़ना जो वक़्त आने पर आपकी परछाईं ,
और सही वक़्त पर आपका आईना बने….क्योंकि
आईना कभी झूठ बोलता नहीं और परछाई कभी साथ छोडती नहीं ..||

vermavkv's avatarRetiredकलम

हमारे रिश्ते कभी बनते है तो कभी बिगड़ते रहते है, यह स्वाभाविक ही है | परन्तु रिश्तों को कुछ गलतियों के कारण समाप्त नहीं करना चाहिए |

हमारे दिल के जो करीब होते हैं उन्ही से रिश्ता कायम होता है | आज के इस कोरोनाकाल में बहुत से ऐसी घटनाएँ देखने और सुनने को मिली, जिसने आपसी रिश्तो को तार -तार कर दिया है | ,

मुसीबत के समय लोगों को रिश्तों की कमजोर का पता लगा | उनकी स्वार्थ की भावना उजागर हो गयी और ऐसे रिश्तो का तब क्या किया जाए, यह एक मूक प्रश्न है .. उन्ही बातो को शब्द देने की एक कोशिश है ‘…’

बनते बिगड़ते रिश्ते

एक अजीब सी बेचैनी है .आज मेरी आँखों में

सारा जग सो रहाहै पर नींद नहीं मेरी आँखों में

इस अँधेरी रात में कलम थामे हाथ में

कागज़ पर स्याही बिखरने को बेचैन है…

लिखूँ तो क्या लिखूँ…

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