
महाभारत में एक सीख जो हमें मिलती है , वह यह कि स्वयं पर यकीन करना ज़रूरी है | अगर हम खुद पर, अपनी क्षमताओं पर, अपने निर्णयों और योग्यताओं पर यकीन नहीं करेंगे, तो जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे |
महाभारत की शिक्षा आज के समय में भी प्रासंगिक है | उसमे घटी घटनाओं से शिक्षा लेकर वर्तमान में अपने ज़िन्दगी को हम सफल बना सकते है और ज़िन्दगी में आने वाली कठिनाइयों से हम लड़ सकते है |
महाभारत से हमें क्या क्या शिक्षा मिलती है, आइये उस पर आज हम चर्चा करते है |
सकुनी के द्वारा फेके हुए पासों ने पांडव को धुत्त क्रीडा में हरा दिया | उसके बाद उन्हें 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास के लिए जाना पड़ा |
शर्त यह थी कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों में से कोई भी पहचान लिए जायेंगे तो फिर उन्हें 12 साल का वनवास काटना पड़ेगा |
सचमुच अज्ञातवास की परिस्थिति बहुत कठिन थी | पांडवो को हर हाल में छुपना ही था | लेकिन समस्या थी कि छुपने वाले वे वीर योद्धा हस्तिनापुर के राजकुमार थे जो लाखों करोड़ों के बीच भी पहचान लिए जाते |
अर्जुन जो दुनिया का सबसे बड़ा धनुर्धर था और भीम जो इतना बलवान थे कि वे पर्वत को टुकड़े टुकड़े कर देने की ताकत रखते थे |
धर्मराज युद्धिष्ठिर जिन्होंने सत्य का व्रत ले रखा था | यानी अगर अज्ञातवास के दौरान पकडे गए तो झूठ नहीं बोल सकते, बल्कि वे मान लेंगे कि वही युद्धिष्ठिर है |
नकुल और सहदेव जिनके बारे में कहा जाता है कि उनसे सुन्दर युवक इस पृथ्वी पर कोई नहीं है | और इसके अलावा पांचाली यानी द्रौपदी ब्रह्माण्ड की सबसे दिव्य स्त्री, इन सबों का एक साथ छुपना एक असंभव चुनौती थी |
लेकिन इस चुनौती से घबरा कर आँसू बहाने की जगह उन्होंने तय किया कि जब हमारा समय बदला है तो हमें भी समय के साथ बदलना होगा |
वे लोग राजा विराट के यहाँ छुपने का फैसला करते है | अर्जुन राजा विराट के पास बृहन्नला का रूप धर कर उनकी बेटी उत्तरा को नृत्य सिखाने लगते है |

युद्धिष्ठिर जो खुद दुर्योधन से जुए में हार गए थे वे राजा विराट को द्वीत क्रीडा यानी जुआ सिखाने लगे | और इस तरह महल में रहने की उन्हें अनुमति मिल गयी |
महाबली भीम जिनका भोजन सैकड़ो रसोइया मिल कर बनाते थे वे आज खुद रसोइया बन गए और द्रौपदी जिनके आगे पीछे दासियों की सेना चलती थी वो स्वयं दासी बन कर रानी सुदेसना की सेवा करने लगी |
पांडवों ने सोचा कि जब समय की आंधी उलटी चल रही हो तो उसकी तरफ पीठ कर लेने में ही भलाई है | जब आंधी गुज़र जायेगी तो फिर अपना जौहर दिखाएंगे | फिर अपनी गांडीव उठाएंगे |
उनके लिए तो यही कहा जा सकता कि वक़्त अच्छा है तो मखमल पर कदम रखते है वर्ना अंगारों पे चलने का भी दम रखते है |
इस महाभारत की घटना से बहुत बड़ी शिक्षा मिलती है कि विपत्ति की घड़ी में घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपनी पूरी सामर्थ के साथ उसका सामना करना चाहिए |

अब एक दुसरे प्रसंग की भी चर्चा यहाँ करना चाहूँगा |
कामयाबी के लिए नेटवर्किंग ज़रूरी है | यानि आप चाहे जितने भी सक्षम हो आपको दूसरों की ज़रुरत कभी न कभी पड़ती ही है | इसलिए अच्छा यही होता है कि सम्बन्ध सभी से जोड़ते चला जाए, बिना यह सोचे कि इस रिश्ते से आज कोई फायदा होगा या नहीं | इसके लिए दूरदृष्टि का होना आवश्यक है |
दूरदृष्टि की बात करें तो कौरवो से लड़ने के लिए पांडवो के पास कुछ भी साधन नहीं था | ना सेना थी , ना हथियार था और अपना कोई राज्य भी नहीं था | लेकिन उनके पास अगर कुछ था तो लोगों से अच्छे सम्बन्ध थे जो उन्होंने अलग अलग समय पर बनाये थे |
द्रौपदी से व्याह किया तो उनके पिता पंचाल नरेश सम्बन्धी बन गए | अर्जुन ने कृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया तो कृष्ण की राजधानी द्वारिका भी कुटनीतिक रूप से महाभारत में पांडव के सहयोग में उतर आयी.|
अर्जुन ने अपने बेटे अभिमस्न्यु का विवाह उत्तरा से किया था जो मत्स्य राज की राजकुमारी थी | इस तरह कुरुक्षेत्र में मत्स्य सेनाएं पांडव की ओर से लड़ने को आ गए | पांडवो ने तमाम बाधाओं के बाबजूद कुरुक्षेत्र का जंग जीता | इसका मुख्य कारण उनके द्वारा लोगों से बनाये गए सम्बन्ध थे जो उस समय काम आये |

सिखने वाली बात यह है कि जितना आपके वास्तविक दोस्त होंगे, मुसीबत के समय सफलता की संभावनाएं उतनी ही बढ़ जाएंगी |
महाभारत में एक और प्रसंग है जिससे भी हमें एक बड़ी शिक्षा मिलती है कि हमें अपने ज्ञान को समय समय पर अपडेट (update) करते रहना चाहिए |
अभिमन्यु जो अर्जुन का पुत्र था, वे महापराक्रमी और एक जन्मजात योद्धा थे | अर्जुन ने तो फिर भी रण कौशल अपने गुरुओं से सिखा था लेकिन अभिमन्यु तो जन्म से ही रण विद्या में दक्ष था |
ऐसा कहा जाता है कि उसने माँ के पेट में ही चक्रव्यूह में घुसने की विद्या सिख ली थी | लेकिन उससे एक गलती हो गयी थी | उसने अपने विद्या को समय रहते अपडेट नहीं किया | जितना सीखा था उसी पर रुक गया | शिक्षा कभी भीं पूरी नहीं होती, उसे हमेशा up date करते रहने की ज़रुरत होती है |
इसी का परिणाम हुआ कि महाभारत के दौरान अभिमन्यु ने शत्रु के चक्रव्यूह में प्रवेश तो कर गया परन्तु उसे तोड़ कर बाहर नहीं आ सका क्योकि चक्रव्यूह से निकलने का पाठ उसने नहीं पढ़ा था |
इस तरह हम देखते है कि महाभारत में बहुत सार्थक और शिक्षाप्रद बातें समाहित है | उसे जितनी बार भी पढेंगे कुछ न कुछ नया सिखने को मिलेगा | अब ये तो पढने वाले पर निर्भर करता है कि वह महाभारत से क्या सिक्षा लेता है और अपने दैनिक दिनचर्या में उस शिक्षा का उपयोग किस तरह से करता है |
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Yes , Mahabharata is best literature. Using Mahabharata knowledge , I also solved many problems of my life. 😊
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Yes , that is true..
we can learn so many lesson from Mahabharat and Ramayana..
Thanks for sharing your thought..
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Great post sir! Thanks for sharing this with us🙏🏼
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Thank you Deeksha ,
I am trying to share about the benefit of reading
Mahabharat and Ramayana ..
Thanks sharing your views.
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True! There’s so much knowledge in these books. One can never ever exhaust it’s teachings in a whole lifetime. 🙏🏼
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Thank you Dear,
You are truly said, as we all know about Geeta Gyan..
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बहुत प्रयुक्त्त है, महाभारत से ही तो हमें गीता प्राप्त हुई है। बहुत अच्छे। 🙏🙏
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जी सर,
गीता के उपदेश हमारे जीवन के लिए
बहुत महत्वपूर्ण है |
आपके विचार मुझे पसंद आते है |
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आभार व्यक्त करता हूँ।
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जी सर , आपका सुबह का प्रभात मेसेज रोज़ पढता हूँ |
आप लिखते रहें..
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Value of friendship was felt during Mahabharata war.But Abhimanyu episode is beyond the science. Nice.
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Yes sir,
relationship has relevance in any spare of life..
That is shown during the Mahabharat episode.
Thanks for sharing your views…
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
यदि सफलता एक सुन्दर पुष्प है तो विनम्रता उसकी सुगंध …
आपको अच्छे दिन की मंगल कामनाओं के साथ
प्रातः कालीन वंदन एवं अभिनन्दन |
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