मैं अपना ज़िक्र सरेआम नहीं करता,
मैं तो एक रिटायर्ड बैंकर् हूँ यारो .
लिखने के सिवा और कोई काम नहीं करता…

राजेश अपने ऑफिस में बैठा बचपन के दोस्त रतन के साथ चाय पी रहा था और गप्पे मार रहा था | आज करीब एक वर्ष के बाद दोनों का मिलना हो रहा था |
वैसे तो बचपन से दोनों साथ पढाई की थी और पूरा बचपन साथ ही बीता था |
राजेश के माता पिता तो बचपन में ही दुनिया छोड़ गए थे | लेकिन रतन के माता पिता राजेश को भी अपने बेटे की तरह समझते थे |
बड़ा होने पर दोनों के रास्ते अलग अलग हो गए | जहाँ राजेश एक बड़ा बिल्डर बन गया तो दूसरी तरफ रतन ने अपनी स्टील की फैक्ट्री खोल ली थी |
दोनों अपने कामों में इतना मशगुल रहते है कि आज एक वर्षो के बाद मिलना हो रहा था | हालाँकि अब दोनों अलग अलग शहरों में रहते है |
रतन आज भी यहाँ आया…
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