प्रार्थना से परिस्थिति बदले या न बदले ,
पर व्यक्ति का चित्त अवश्य बदल जाता है ..

अगर आज हम अपने मन में विचार करें कि हम जो सारा जीवन संघर्ष करते रहे ह , हम क्या-क्या करते रहे और क्यूँ करते रहे ?
तो हम पाते है, कि हम सिर्फ दो बातो को ध्यान में रख कर ज़िन्दगी की जद्दोजेहद में लगे रहे है और वो दो बातें है — , पहला हमें हमेशा सुख मिलता रहे और दूसरा हम दुःख से हमेशा दूर रहे | इन्ही दो बातों को ध्यान रखकर ज़िन्दगी की जंग लड़ते रहे है हम |,
सदा इच्छा रही कि सुख हमारे जीवन से जाए ना और दुःख हमारे जीवन में कभी आए ना.| लेकिन परिणाम क्या मिला ?
.क्या इस पल में भी हम सुखी है ? .. नहीं, लेकिन क्यूँ ?
यह एक विचारनिए प्रश्न है, आखिर कमी कहाँ रह गई है ? यह सुख – दुःख क्या है ?
इसका विश्लेषण करने पर पता चलता है कि जब …
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