गुलामी एक ऐसा हथियार है, जिसे इसकी आदत पड़ जाती है ,,,
वह अपनी ताकत ही भूल जाता है ..|

मैं आश्चर्य चकित हो बस अंजिला को ही देखे जा रहा था | वो किसी भी तरह से विदेशी नहीं लग रही थी | उसके हाव- भाव, सोच -विचार और एक दुसरे के साथ मिलकर रहने और आपस में सहयोग करने की भावना ….सभी कुछ हमारे देश और हमारे समाज के सभ्यता और संस्कृति से मेल खा रही थी |
पता नहीं वो इतनी जल्दी इन सारी बातों को कैसे सिख पायी | आज तो वह केवल चेहरे से विदेशी लग रही थी, लेकिन बोल –चाल, बात- व्यवहार में पक्की भारतीय नारी लग रही थी |
हॉस्पिटल में भी उसकी फुर्ती देख कर मैं आश्चर्य चकित था | रघु काका को स्ट्रेचर से सहारा देकर उतारने से ले कर वहाँ डॉक्टर के सामने कुर्सी पर बैठाना, …डॉ से बात करना …..और फिर पैर में प्लास्टर के बाद उन्हें वापस स्ट्रेचर पर लिटाना ….सब काम बड़ी फुर्ती और सहजता से कर…
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