अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल होता है ,
छोड़ना और भी मुश्किल और
भूल जाना नामुमकिन …

उस शाम मॉल में संदीप को सोफ़िया के साथ देख कर राधिका को बहुत जोर का गुस्सा आया था | संदीप के रोकने के बाबजूद वह हाथ झिड़क कर गुस्से में पैर पटकती वापस घर आ गई थी और अकेले में बैठ कर बहुत देर तक रोती रही थी |
उसे तो सोफ़िया से भी नफरत सी हो गई थी, उन दोनों ने मेरे विश्वास को ठेंस पहुँचाया है….राधिका मन ही मन ऐसा सोच रही थी |
रात काफी हो गई थी और राधिका बिस्तर पर पड़े इन्ही सब बातों में उलझी ना जाने कब उसे नींद लग गई थी | रात का खाना भी नहीं खाया क्योकि गुस्से के कारण भूख भी गायब हो गई थी |
सुबह देर तक राधिका को सोता देख कर माँ ने डांटते हुए कहा ….आज कल तुझे क्या हो गया है ? रात में खाना भी नहीं खाई और अभी इतनी देर तक…
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