# एक अधूरी प्रेम कहानी #..11

कभी आशा की “ख़ुशी” ,
कभी निराशा का “गम”
कभी कुछ खो कर
कभी कुछ पाने की आशा
शायद यही है ज़िन्दगी की “परिभाषा”

vermavkv's avatarRetiredकलम

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तेरा साथ है तो

सिलसिला ये चाहत का दोनों तरफ से था ,

वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे….

सुमन खाना खा कर बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी |

वह सोच रही थी …आज का दिन बहुत अच्छा था, पहली बात तो यह कि मुझको  स्वतंत्र रूप से एक फैक्ट्री का मैनेजर बना दिया गया था, जिसमे मैं खुद के सभी फैसले ले सकती हूँ और अपने क़ाबलियत को  दिखाने का मौका मिल सकता है |

और दूसरी, इससे भी अच्छी बात यह कि अब रघु मेरी आँखों के सामने ही रहेगा जिसके लिए मेरा दिल पागल रहता है |

मेरी इच्छा है कि उसे एक अच्छा मॉडल बना कर दुनिया के सामने पेश कर करूँ | यह सत्य है कि मनुष्य अपने कर्मो से ही बड़ा बनता है | मैं रघु को एक सफल और काबिल…

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