
सेठ धनराज, एक सच्चा इंसान , पता नहीं पिछले जन्मो का कितना अच्छा कर्म किया था कि इस जन्म में उन्हें वो सब कुछ मिला जिसकी इच्छा एक इंसान की होती है |
व्यवसाय में अब्बल तो है ही, तभी तो पांच – पांच फैक्ट्री के मलिक है और अपने इलाके के अकेले करोड़पति भी |
वे इतने भाग्यशाली कि उनकी धर्मपत्नी भी साक्षात् देवी है वो सेठ जी की तरह ही दयालु ह्रदय और पूजा पाठ में उनका भरपूर साथ निभाती है |
कमी थी तो बस एक औलाद की | सेठ जी ने अपने घर के छत पर एक भगवान् का खुबसूरत मंदिर बनवाया और रोज़ सुबह पूजा अर्चना के बाद भगवान् से विनती करते …. प्रभु, आपने मुझे वह सभी कुछ दे रखा है जिसकी इंसान इच्छा कर सकता है, बस मुझे एक औलाद की कमी है |
इतने बड़े मकान में मुझे सूनापन खलता है | भगवान् के सामने वो ऐसी विनती रोज किया करते थे |
एक दिन उनका वह सपना भी पूरा हो गया और उनके घर में एक बहुत सुन्दर बेटे का जन्म हुआ .., घर किलकारियों से गूंजने लगा और सेठ जी अपने जीवन से संतुस्ट भगवान् को रोज़ धन्यवाद कहते |
वक़्त अपने सामान्य गति से बीत रहा | उनका इकलौता बेटा संजय बड़ा होकर कॉलेज में दाखिला लिया | लेकिन कॉलेज में गलत दोस्तों के संगत में पड़ गया और दुसरे दोस्तों के ठाठ – बाट देख कर खुद भी फालतू के शौक में पैसे उड़ाने लगा |
उसके पिता के पास तो पैसो की कोई कमी थी नहीं, वह जितना चाहे अपनी माँ से पैसे ले लेता और दोस्तों के बीच अपने बड़प्पन का एहसास कराता |
धीरे धीरे कॉलेज के फाइनल परीक्षा की घडी आ गयी | संजय अपने गर्ल फ्रेंड से कहा.. देखना मेरे ग्रेजुएट बनने पर मेरे पिता जी फेरारी कार गिफ्ट में देंगे |
एक दिन रात के खाने पर सभी लोग बैठे थे तभी संजय ने अपने पिता जी से पूछा … डैड. आप मुझे ग्रेजुएट बनने पर क्या गिफ्ट देंगे |
पिता ने खुश होते हुए कहा…. मैं तुन्हें गिफ्ट में भागवत गीता देना चाहूँगा | इसके ज्ञान की बातें तुम्हे ज़िन्दगी के हर मुसीबत से बाहर निकलने में मदद करेंगे |
ओह डैड, आप भी कैसी बातें करते है | क्या अभी मैं बुढा हो गया हूँ जो भगवान् के उपदेशों को पढ़ा करूँ |
आप को सोचना चाहिए कि मैं ग्रेजुएट बनने जा रहा हूँ तो इसका उत्सव (celebration) शानदार ढंग से होना चाहिए | मैं तो ऐसे मौके पर आप से एक फेरारी कार लेना चाहूँगा |

पापा ने कहा.. ठीक है मैं विचार करूँगा |
और वह दिन भी आ गया | कॉलेज का रिजल्ट निकला और वह ग्रेजुएट बन गया | इस खुश खबरी को लेकर वह ख़ुशी ख़ुशी अपने घर आया और सीधे पापा के पास पहुँचा |
उसने अपने पिता के पैर छुए और पूछा … डैड , मेरा ग्रेजुएट बनने का गिफ्ट कहाँ है ?
संजय ने सोचा था कि फेरारी कार आकर मेरे घर के सामने खड़ी होगी, जिसे वह दोस्तों को दिखा कर अपने अमीर होने का एहसास कराएगा |
पापा ने बेटे को देख कर ग्रेजुएट बनने पर बधाई दी और कहा … यह रहा तुम्हारा गिफ्ट और कहते हुए उन्होंने वह भागवत गीता उसके हाथ में दे दी |
भागवत गीता को देख कर अचानक उसे गुस्सा आ गया | उसने मन ही मन सोचा, पिताजी इतने पुराने ख्यालों के है कि हम जैसे आधुनिक समय के बेटे की भावनाओं की उन्हें क़द्र ही नहीं है |
मुझे पूरा विश्वास था कि हमारे ग्रेजुएट बनने पर पापा इस क्षण को शानदार ढंग से मनाएंगे और मुझे फरारी कार गिफ्ट में ज़रूर देंगे | उनके पास इतना धन है कि एक क्या वह अनेकों फेरारी खरीद सकते है |
उसे इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उसने भागवत गीता को दूर फेकते हुए कहा.. .मैं अब इस घर में नहीं रह सकता और आज से हमारा आपका रिश्ता समाप्त |
इतना बोल कर तेज़ क़दमों से घर से बाहर निकल गया | और पता नहीं कहाँ चला गया |
संजय के इस व्यवहार से पिता को बहुत आश्चर्य हुआ | उन्होंने उसे बहुत ढूँढने की कोशिस की लेकिन उसका कोई अता – पता नहीं चल सका |

पिता उसके घर से चले जाने के ग़म में बहुत उदास रहने लगे | वे इस बात को बर्दास्त नहीं कर पा रहे थे कि उनका वह इकलौता बेटा जिसे इतना प्यार करते थे उनसे नाता तोड़ कर इस तरह चला जायेगा |
एक साल का समय बीत गया | संजय किसी तरह छोटे मोटे काम करके गुज़ारा कर रहा था | उसका गुस्सा अब शांत हो चूका था और तभी उसे घर का ध्यान आया |
उसने मन ही मन सोचा…..मेरे जाने के बाद पिता की क्या स्थिति हुई होगी | वह मुझे कितना प्यार करते थे, मुझे उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था |
उसने बिना देर किये तुरंत ट्रेन पकड़ लिया और घर की ओर रवाना हो गया |
घड़ी में देखा तो दोपहर के तीन बज रहे थे और जोरो की भूख लग रही थी | उसने सोचा आज बहुत दिनों के बाद घर में माँ के हाथों का खाना खाऊंगा |
वह दरवाजे पर दस्तक देकर दरवाजा खुलने का इंतज़ार करने लगा |
दरवाजा माँ ने खोला, जो सफ़ेद साड़ी में उदास आँखों से अपने बेटे को सामने खड़े आश्चर्य से देख रही थी |
संजय ने माँ को ऐसी हालत में देखा तो घबरा कर जल्दी से पूछा … तुम्हे क्या हुआ माँ और पिता जी कहाँ है ?
मेरे बच्चे, तुमने आने में देर कर दी | तुम्हारा इंतज़ार करते करते , अंततः आज सुबह उन्होंने इस दुनिया को छोड़ दिया |
तुम्हे तो पता ही है कि वे तुझसे कितना प्यार करते थे, तुम्हारी जुदाई वे बर्दास्त नहीं कर पाए |
वे तुम्हारे वियोग में रोज़ तिल तिल मरते रहे, और आज उन्होंने आखरी साँसें ली |
माँ के मुँह से ऐसी बाते सुनकर वह स्तब्ध रह गया और उसके आँखों से झर झर आँसू बहने लगे |
वह चुप चाप अपने पिता के कमरे में दाखिल हुआ | बिस्तर सुनी पड़ी थी … पिता जी नहीं थे |

वहाँ पास में ही टेबल पर वही भागवत गीता पड़ा था | उसने उस किताब को उठा लिया और सुनी आँखों से उसके पन्ने पलटने लगा, तभी उसमे से एक लिफाफा निकल कर ज़मीन पर गिर पड़ा |
उसने झुक कर उस लिफाफे को उठाया और उसे खोल कर पढने लगा …
मेरे स्नेही संजय, तुम मेरे जिगर का टुकड़ा हो | मैंने आज तक तेरी कोई भी ऐसी फरमाईस नहीं थी जिसे पूरी नहीं की थी |
तुम्हारे ग्रेजुएट बनने की ख़ुशी में तुम्हारा मनपसंद फरारी कार भी खरीद लिया था जिसका भुगतान कर उसका रसीद इस भागवत गीता में रख कर तुम्हे गिफ्ट करना चाहता था |
लेकिन तुम मेरी भावनाओं को नहीं समझ सके और मुझसे रूठ कर चले गए |
जब तुम ही मेरे पास नहीं हो तो मुझे यह धन दौलत सब बेकार लगता है | बस एक ही इच्छा है कि तू किसी तरह घर आ जा और अपने नयी फरारी कार में बैठा कर मुझे शहर की सैर कराओ |
मेरा दिल कहता है कि और ज्यादा दिन तक तुम्हारा जुदाई बर्दास्त नहीं कर सकता हूँ …आगे भगवान् की मर्ज़ी …
पढ़ते पढ़ते संजय के हाथ से वह चिट्ठी ज़मीन पर गिर पड़ी और वह जल्दी से किताब के पन्ने पलटने लगा |
तभी उसने उस कार की पेमेंट की रसीद को देखा, कार तो उन्होंने उसी समय खरीद कर मुझे दे दी थी |.
हे भगवान्, यह मैंने क्या कर दिया, मैंने गुस्से में आकर अपने सबसे प्रिय पिता का दिल ही नहीं दुखाया बल्कि उनके मृत्यु का कारण भी बन गया |
उन्होंने आज तक मेरी सारी इच्छाओं को पूरा किया पर …मैं अभागा उनकी अंतिम इच्छा को भी पूरा ना कर सका ………..
खुद के बारे में
न किसी पीर से पूछो
न किसी फ़क़ीर से पूछो
बस कुछ देर आँखे बंद कर
अपने ज़मीर से पूछो

पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
खुशियों के आँसू ..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments
Please follow the blog on social media …link are on contact us page..
Categories: story
Gd morning have a nice day sir ji
LikeLiked by 1 person
Good morning dear ..Please comment on the Blog also…
LikeLike
Gd night dear friend
LikeLiked by 1 person
Good night dear..
Stay connected..
LikeLike
Good storyline. Parents are most selfless well wishers which some children don’t understand.
LikeLiked by 1 person
Yes sir,
That is the problem of Generation Gap…
Thank you sir,
LikeLike
बहुत मार्मिक कहानी 🙏 🙏 सच है कहा जाता है |गुस्सा हराम होता है….!सोचने समझने की ताक़त ख़त्म हो जाती है|
LikeLiked by 1 person
जी बिलकुल सही,
गुस्से में कभी कोई फैसला नहीं करनी चाहिए , कभी कभी ज़िन्दगी भर पछताना भी पद सकता है |
आपके कीमती वक़्त के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLike
I have heard this sad story before. There is a somewhat different version in the Bible. There, a wealthy father has two sons. The younger is discontented and asks for his inheritances early, so that he may leave home and seek his fortune. The father complies. The younger son goes off and promptly wastes the money. Hungry and in rags, he decides to return home and ask his father’s forgiveness. Rather than chastising him, however, the father rejoices at his return. The story is meant to be a picture of God’s forgiveness toward repentant sinners.
LikeLiked by 1 person
Very well said sir..
This is a story on emotional misunderstanding ..
The son was unable to feel the sentiment of hid father,
resulting in regret for whole life..
Thank you for you valuable time..
LikeLiked by 1 person
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
मन से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं है,
क्योंकि वहाँ जो कुछ भी बोया जाए , बढ़ता ज़रूर है …
चाहे वह विचार हो , नफरत हो या फिर प्यार हो |
LikeLike
waah!!
LikeLiked by 1 person
जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLike
One of the most outstanding item benefits you’ll ever get to know!
LikeLiked by 1 person
Thank you so much dear.
LikeLike