मेरी श्रद्धांजलि

और दिनों की तरह आज भी जब मैं  मोर्निंग वाक से वापस आया तो मन बिलकुल तरो ताज़ा था क्योकि मोर्निंग वाक के दौरान मैं कुछ spiritual बातें मोबाइल के द्वारा सुनता रहता हूँ | जिसको सुन कर मन शांत हो जाता है और ख़ुशी की अनुभूति होती है |

घर आकर अपने रीडिंग टेबल पर बैठ अपने मोबाइल में खो गया

उनलोगों  के ज़बाब चेक (check) करने लगा, जिसे कल मैंने  “हैप्पी न्यू इयर “ का मेसेज भेजा था …उन्हें सकुशल रहने की कामना किया था |

कुछ लोगों के जबाब तो आये, मतलब उन्होंने भी मेरे सकुशल रहने की कामना की थी |

यह सत्य है कि दोस्तों और अपनों से मिले दुआएं और आशीर्वाद ही हमें खुश और तंदरुस्त रखते है |

लेकिन अचानक एक जगह व्हाट्स अप (WhatsApp) पर मैं रुक गया |  उसने मेरे मेसेज का ज़बाब नहीं दिया था, शायद मेसेज भी नहीं देखा था |

मुझे बहुत दुःख हुआ और नाराजगी भी हुई कि जिसके साथ वर्षों बैंक में काम किया और दुःख सुख के कई पलों को साथ साँझा किया |

उसने तो जबाब ही नहीं दिया और ना ही फ़ोन ही किया …और तो और उसने मेरे न्यू इयर मेसेज को देखा तक नहीं |

मैं दुखी मन यही सब सोच रहा था कि तभी मेरे मोबाइल में ट्रिंग ट्रिंग की घंटी बजी .. शायद कोई मेसेज आया था |

मैं मेसेज खोल कर देखा तो मैं स्तब्ध रह गया | मुझे अपने आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ |

अशोक दा का मेसेज था  …लिखा था.... Do you remember Partho ? He expired yesterday.  

मेरे लिए यह सुचना स्तब्ध करने वाला था | मैं तुरंत अशोक दा को वापस फ़ोन लगाया तो उसने इस बात की पुष्टि की |

 मेरा तो उससे रोज़ मेसेज का आदान प्रदान हो रहा था और अचानक आज सब कुछ ख़त्म |

लेकिन जीवन का यह भी एक कटु सत्य है, …. रात बारह बजे तक तो उसने न्यू इयर की पार्टी की थी .., फिर रात देरी से सोया …क्योकि दोस्तो के संग बिताये नए साल का जश्न याद करते हुए सोना नहीं चाहता था, यह दिन तो साल में एक बार ही आता है दोस्तों के साथ ख़ुशी मनाने के लिए….

शायद  सोचते सोचते उसकी आँख लग गयी होगी लेकिन कुछ ही पलों बाद शायद चार बजे भोर में हार्ट अटैक हुआ और कुछ ही पलों में सब कुछ समाप्त हो गया |

वह अलविदा कह गया |

यह सवाल कि सचमुच ज़िन्दगी इतना unpredictable क्यों हो गयी है, समझ में नहीं आता …  

आप खुशियाँ मनाएँ नए साल में

बस हँसे, मुस्कुराएँ नए साल में

गीत गाते रहें, गुनगुनाते रहें

हैं ये शुभ-कामनाएं नए साल में..

लेकिन

 कैसे खुशियाँ मनाये नए साल में ,

तुम अलविदा कह गए नए साल में

कैसे गीत गाएं , कैसे गुनगुनाएं नए साल में

हँसता मुस्कुराता दोस्त छोड़ गया नए साल में ,

तुम्हे लम्बी उम्र की दुआ देता नए साल में

लेकिन, नींद से जगे ही नहीं नए साल में ..

आज मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो गया हूँ  क्योंकि मेरे परम मित्र पार्थो प्रतिम मित्रा के निधन का समाचार सुन कर गहरा दुःख हो रहा है |

यह हम सब के लिए एक  अपूरणीय क्षति है |

भगवान् दिवंगत आत्मा को शांति दें, और उनके परिवार को इस दुःख की घडी को सहने की हिम्मत प्रदान करे

 भावभीनी श्रद्धांजली

ॐ शांति ॐ



Categories: मेरे संस्मरण

6 replies

  1. So sad to hear. Om Shanti. Is he the same who was the Branch Manager of Ballygunje branch in 2015? I remember having audited his branch in August 2015. Very sincere, hard working and well behaved officer. May his soul rest in peace.

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    • No sir, He is also partho mitra ,and was branch manager at that time ..
      But Partho pratim mitra was junior officer and was also Branch manager at Chingrighata Branch at that time ..He was with us at N S Road branch as clerk in 2001.
      Om shanti..

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  2. ईश्वर आपके दोस्त की “आत्मा को शांति” दे |
    सच में सच्चे दोस्त के चले जाने का बहुत अफ़सोस होता है|🙏🙏🙏

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    • जी ,आपने सही कहा /
      कभी कभी जो घटित होता है उस पर विश्वास नहीं होता /
      सचमुच जीवन बिलकुल unpredictable है …ॐ शांति..

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