# ज़िन्दगी तेरी अज़ब कहानी # .. 1

Pic Credit: Alamy.com

  अंजना नाम है उसका, लोग प्यार से उसे स्वीटी भी कहते है  …चंचल, कोमल और बहुत ही भावुक  लड़की,

 स्टेज पर आते ही उसका  स्वागत तालियों की गडगडाहट से  हो रहा है | .. चमकता हुआ उसका चेहरा और उस चेहरे  पर विराजमान आत्मविश्वास और दृढ़ता की झलक सामने बैठे लोगों को  मंत्र -मुग्ध कर देती है |

जब वो बोलना शुरू करती है तो उसकी आवाज़ की जादू से सामने बैठे लोग सम्मोहित से हो जाते है ..और चारो तरफ सन्नाटा पसर जाता है | .बस सुनाई पड़ती है तो  उसकी आवाज़ …धीर, गंभीर और मंत्र-मुग्ध करने वाली |

आज तो इस हॉल में  हजारो की भीड़ जमा है ….जिसमे पुरुषों से ज्यादा औरतें दिखाई दे रही है |

उसका भाषण शुरू हुआ ..वह बोलती रही और लोग सुनते रहे ..घंटो कैसे  बीत गए यह  पता ही नहीं चला | उसके बात कहने की कला  ही निराली है  |

उसके बाएँ हाथ में एक किताब होती है और दायें  हाँथ को  हिला कर  सभी का अभिवादन स्वीकार  करती  है यही तो उसका  अलग चिर परिचित अंदाज़ है |

ज्यादातर  वह अपने  भाषण में  लोगों को ज़िन्दगी की कटु सच्चाई से रु -ब -रु कराती है और  फिर उसका सामना करने की हिम्मत भी  बढाती है |

उसके  खुद की ज़िन्दगी भी  बहुत सारे उतार चढ़ाव से भरे है,  साथ ही उसका संघर्षपूर्ण जीवन औरो के लिए एक मिशाल है |

जब वह अपने ज़िन्दगी के  संघर्षो की कहानी लोगों को सुनाती है तो सुन कर लोगों के आँखों में आँसू आ जाते है  |

आज भी जब वह अपना भाषण समाप्त कर ऑडिटोरियम से निकल रही थी तो सभी लोग भावुक हो गए थे |

कुछ पत्रकारों ने तो  अंजना को घेर ही लिया और उससे निवेदन किया कि हमलोग आपका  इंटरव्यू लेना चाहते है |

अंजना उनलोगों को निराश नहीं करना चाहती थी,  अतः वह  उस संस्था के कार्यालय में  आकर बैठ गई |  वहीँ पर उन पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देने लगी |

जैसे ही पत्रकारों के इंटरव्यू समाप्त हुए,  तभी एक साधारण सा नौजवान  उसके सामने आया और निवेदन किया  …अंजना जी, मैं एक कहानीकार हूँ और आपके संघर्ष  भरी ज़िन्दगी पर एक किताब लिखना चाहता हूँ,  क्या आप मुझे समय दे पाएंगी  ?

अगर आप मेरे  निवेदन को स्वीकार करती है तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी |

ठीक है महाशय …आप अपना विजिटिंग कार्ड दे दीजिये | मैं समय देख कर आप को बता पाऊँगी |

अंजना आज कल औरतों के उत्थान के लिए बहुत सी संस्थाओं  से जुडी हुई थी और इसी कारण वह अपने लिए भी समय नही  निकाल पाती थी  |

खैर, उस साधारण से दिखने वाले युवक की सादगी उसे पसंद  आ गई | इसलिए अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकाल कर उस युवक की इच्छा पूरी करना चाहती थी |

कुछ दिन इंतज़ार करने के बाद अचानक अंजना ने उस कहानीकार को फ़ोन किया और उससे मिलने का  समय तय हुआ |

बातों – बातों में पता चला कि  वह युवक भी रांची का रहने वाला है  और फ़िलहाल रंग – मंच से जुड़ा हुआ है | एक छोटे से परिचय के बाद ..अंजना ने अपने जीवन से जुडी कुछ घटनाओं का जिक्र कुछ इस प्रकार किया |

मेरी ज़िन्दगी की कहानी बड़ी अजीब है |. बात उन दिनों की है .. जब मैं छः साल की थी | मैं अपने माता पिता की इकलौती संतान थी |

मेरे पिता जी  बैंक में  मैनेजर थे और मेरी माँ  रांची कॉलेज में लेक्चरर |

हमलोगों का खुशहाल परिवार था | मुझे घर में सबों का भरपूर प्यार मिलता था |

लेकिन अचानक एक दिन एक हादसा हुआ और मेरी दुनिया ही बदल गई |

उन दिनों  हमलोग रांची में रहते थे | एक दिन  पापा का अचानक पटना जाने का प्रोग्राम बन गया क्योंकि वहाँ बैंक ने दो दिनों का conference का आयोजन किया था  |

पापा जाने की तैयारी कर रहे थे तभी मेरी  भी पटना जाने की इच्छा हुई  |

और मैं  पापा के साथ पटना जाने की जिद करने लगी |..  इसका मुख्य कारण था कि वहाँ मेरे चाचा – चाची और दादा – दादी रहते थे  और सबसे बड़ी बात कि वहाँ  मेरा चचेरा भाई अरुण  और छोटी बहन निर्मला भी थी जिसके साथ हमलोग खूब मस्ती किया करते थे |

हमारी जिद करने के कारण  पापा ने ऐसा प्रोग्राम बनाया कि सभी लोग अपनी कार से साथ  साथ  पटना जायेंगे और वहाँ दो दिन का समय अपने दादा दादी के साथ बितायंगे |

और पटना में वहाँ चाचा चाची , अरुण भैया और छोटी बहन निर्मला के साथ खूब मस्ती  करेंगे …मैं मन ही मन सोच रही थी |

इस तरह तय शुदा प्रोग्राम के तहत  दुसरे दिन हमलोग चार बजे शाम तक पटना पहुँच गए |

पापा हमलोग  को चाचा के यहाँ छोड़ कर खुद मीटिंग में चले गए और हमलोग भाई बहनें खूब मज़े करने लगे  |

दादा दादी मुझे बहुत प्यार करते थे और वो हमें सभी भाई बहनों के साथ  घुमाने ले जाते और वहाँ के मार्केट भी घुमाते |

हमलोगों  ने खूब मज़े किये  और  दो दिन कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला  |

दुसरे दिन शाम को करीब पांच बजे पापा का फ़ोन आया कि हमलोग घर पर तैयार होकर रहे | वो मीटिंग से वापस आकर तुरंत ही रांची के लिए निकल जायेंगे |

मुझे तो इतनी ज़ल्दी वापस जाने का मन नहीं था लेकिन जब पापा बोल दिए तो जाना ही था |

मम्मी खुद भी तैयार हो गई और हमें भी तैयार कर दी |

तैयार होकर हमलोग पापा के आने का इंतज़ार करते रहे, लेकिन पापा को मीटिंग से आने में काफी देरी हो गई |

पापा जब घर पर आये तो उस समय रात के करीब  १० बज चुके थे | उन्होंने आते ही ज़ल्दी से खाना खाया और हम तीनो तुरंत ही  कार से रांची के लिए निकल गए |

दिन भर की मीटिंग की थकान  पापा के  चेहरे से झलक रही थी | लेकिन  ड्राईवर नहीं होने के कारण,  मज़बूरी में पापा को ही कार चलाना पड़  रहा था |

रात का समय था और तेज़ हवा के साथ बिजली  भी चमक रही थी और  हल्की  बूंदा – बांदी  भी हो रही थी | इस ख़राब मौसम में  किसी तरह हमलोग रामगढ़ तक पहुँच गए | उस समय रात के दो बज रहे थे |

मम्मी ने  पापा से कहा …आप काफी थक गए होंगे,  कही ढाबा में रुक कर चाय पी लीजिये तो मन फ्रेश हो जाएगा |

मम्मी की बात मान कर पापा ने एक ढाबे के सामने गाड़ी रोक दी | ढाबा तो खुला था लेकिन चारो ओर रात होने के कारण सन्नाटा पसरा हुआ था |

चाय पीते हुए मम्मी ने महसूस किया कि सामने बैठे दो आदमी उसे घुर रहे है | मम्मी सोने के गहने पहन रखी थी,  इसलिए वह डर  गई और पापा को इशारों से अपनी बात बता दी

पापा तुरंत वहाँ से उठे और आकर अपनी कार में बैठ गए |  हमलोग भी पापा के पीछे – पीछे कार में आ गए |

कार तुरंत ही रवाना हो गई | हमलोग  कार के शीशे से (mirror )  देख रहे थे कि कही वो लोग पीछा तो  नहीं कर रहे  है | लेकिन पीछे कोई गाडी ना देख कर इत्मीनान की सांस ली | हमलोग थोड़ी देर में ही रामगढ के घाटी  में प्रवेश कर गए |

बारिश होने के कारण  रोड गिला था और गाडी चलाने में परेशानी हो रही थी | पापा के थके होने की वजह से उन्हें थोड़ी नींद भी आ रही थी |

रामगढ की घाटी काफी घुमावदार थी और बारिश की वजह से रोड पर फिसलन भी थी |

तभी अचानक वही दोनों बदमाश  मोटरसाइकिल से पीछा करते   दिखाई दिए |

वह मोटरसाइकिल को  तेज़ी से चलाता हुआ  हमलोगों के कार के बिलकुल पास आ गया |

उसने हाथ के इशारे से कार को रोकने को कहा |

तभी मम्मी ने पापा से कहा …कार मत रोकना | ये लोग लुटेरे है |

पापा ने अपने कार की स्पीड तेज़ कर दी |  सोचा कि अगर आगे कोई पुलिस वाला  या कुछ  लोग दिखेंगे तो वे अपनी गाड़ी रोक कर उससे मदद मांगेगे  |

हमारी गाड़ी की तेज़ स्पीड को देख कर उसने भी अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और दोनों गाड़ी  की रेस कुछ देर तक चलती रही | लेकिन दुर्भाग्य वश रास्ते में ना  कोई  लोग दिखे  और ना  ही पुलिस की जीप दिखी |

हमलोग काफी घबरा गए थे | पापा अपने गाड़ी को बेतहासा भगा रहे थे , तभी अचानक एक खतरनाक मोड आया और हमारी कार स्किड कर गई और पलक झपकते ही सामने के एक बड़ी चट्टान से टकरा गई | गाडी ढलान में होने कारण स्पीड में थी इसलिए गाड़ी के टकराते ही  बहुत जोरों की टक्कर की आवाज़ हुई  |

पापा को गाडी के  स्टेरिंग से सिर में चोट लगी और मम्मी सामने के डैश बोर्ड से टकरा गई | चूँकि दोनों आगे की सीट पर बैठे थे और मैं पीछे बैठी थी इसलिए मुझे हल्की चोट आयी लेकिन पापा और मम्मी को सिर में गहरी चोट आयी थी |

वे दोनों दर्द से छटपटाने  लगे | रात के दो बज रहे थे  और बाहर बारिश हो रही थी |

कार में  मैं बैठ कर अपने मम्मी और पापा को दर्द से छटपटाते देख रही थी और अपने आप को असहाय महसूस कर रही थी |.बस रोने के सिवा मेरे पास और कोई चारा नहीं था |

है किस कदम पर मौत……किस कदम पर ज़िन्दगी

कल भी पहेली थीअबूझ …आज भी पहेली है ज़िन्दगी..

कल भी अकेली थी बहुत अब भी अकेली है ज़िन्दगी …

इससे आगे की घटना हेतु नीचे link पर click करे..

ज़िन्दगी तेरी अज़ब कहानी …2

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments

Please follow the blog on social media …link are on contact us page..

www.retiredkalam.com



Categories: story

Tags:

15 replies

  1. GOOD MORNING 👌👌👌👌👌👌

    Liked by 1 person

  2. बहुत सुन्दर👌

    Liked by 1 person

    • बहुत बहुत धन्यवाद | आगे भी अपने विचार देते रहें ताकि आगे सुधर भी कर सकूँ…

      Liked by 1 person

      • चाचा आप मुझसे बेहतर लिखते हो। और मुझसे ज्यादा अनुभवी भी हो। मुझे आपसे सीखने को मिलेगा🙂

        Liked by 1 person

        • यह तो आप का बड़प्पन है / वैसे आपकी रचनाएँ मुझे बहुत पसंद है../
          आपकी रचना का इंतज़ार रहता है …/
          सहयोग के लिए धन्यवाद…

          Like

  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    जिंदगी तेरी अजब कहानी है
    कभी होठों पर हँसी …कभी आँखों मे पानी है

    Like

  4. ये कहानी का और भी भाग है मैनें इसे पढ़ी । बहुत सुन्दर अब जिज्ञासा है आगे क्या हुआ?👌👌

    Liked by 1 person

Leave a comment