# बुड्ढा मिल गया #

नवीन  आज कल बहुत खुश था | उसका तरकीब काम कर गया, जिसके कारण हमारा बैडमिंटन ( badminton) खेलने का कार्यक्रम लगभग बंद ही  हो गया था | 

इसके दो कारण थे …. पहला यह कि अब मुझे खाना बनाने में उनलोगों का हाथ बंटाना पड़ता था और  दूसरा यह कि जाड़ा का मौसम भी समाप्त हो चला था |

एक दिन डिनर के दौरान बात चली कि अब “Three Idiots”  के लिए यह मकान अब छोटा पड़ने लगा था | इसीलिए तय हुआ कि और  बड़ा मकान भाड़े पर लिया जाए , ताकि कुछ रईसी से रहा जाए |

क्योकि तीन बैंक ऑफिसर एक साथ रहते है तो अपनी हैसियत के अनुसार तो रहना ही चाहिए | कुछ परिश्रम के बाद एक अच्छा सा मकान मिल भी गया | इस नए मकान को देख कर  हमलोग ख़ुशी महसूस कर रहे थे |

Sunday का दिन था और  हमलोग अपना सामान लेकर नए मकान में shift हो गए | मकान भी ठीक ठाक और  जगह भी अच्छी थी |

अभी एक सप्ताह भी बीते ना थे, कि एक बात हमें परेशान कर रही थी कि वो मकान मालिक  बुढा बड़ा खरूस  दीखता था | वो हमें जब भी देखता बड़े गुस्से से घूरता था |

इसकी बड़ी एक वजह थी ..कि खुद तो ७० साल का बुढा था और  शादी कर रखा था 20 साल की  लड़की से |

हम कुवारों को यह बात सही नहीं लगती थी | मैं जब भी उस लड़की, यानी उसकी बीबी से बात करता तो यह बुड्ढा तुरंत वहाँ आता और  अपनी पत्नी को किसी बहाने से तुरंत वापस घर के अन्दर ले जाता |

मुझे उस लड़की की  हालत को देख कर बहुत अफ़सोस लगता था और  भगवान से तुरंत शिकायत करता कि उसने उस लड़की के साथ यह ठीक नहीं किया है |

हम तीन idiots रात के खाने के समय कुछ भी बातें करते तो वो बुड्ढा दीवार में कान लगा कर हम लोगों की  बात भी सूना करता था,…. चोर के दाढ़ी में तिनका |

हमलोग का कमरा और  उसका कमरा के बीच एक पतली सी दीवार थी, जिससे हमारी आवाज शायद उस तक पहुँच जाती थी |

वैसे, मेरी आदत बक-बक करने की  ज्यादा ही थी | जब भी रात का खाना खाकर हम तीनो बैठते तो मैं उसी बात को लेकर शुरू हो जाता कि उस बुड्ढे ने उस कम उम्र की  लड़की से कैसे शादी कर ली ?

उस लड़की की  क्या मज़बूरी रही होगी | ऐसी बातें हमारे मुँह से हमेशा निकल जाती थी और  उस लड़की के प्रति मैं सहानुभूति  प्रकट करता था |

मैं चार दिनों की  छुट्टी में अपने घर पटना आया हुआ था | इसी बीच उस बुड्ढे ने हमारे पार्टनर सुदर्शन को बुलाया और  उससे कहा कि आप दोनों तो बहुत अच्छे हो लेकिन तीसरा लड़का जो अभी यहाँ नहीं है उसे आप को घर से निकालना होगा |

उसके बात को सुन कर सुदर्शन अवाक् खड़ा उसका मुहँ देखता रह गया | उसे इसका कारण समझ में नहीं आ रहा था |

उस बुड्ढे ने फिर उससे कहा कि आप दोनों मेरे मकान में आराम से रह सकते हो, लेकिन उस “ठिगना” को यहाँ से हटाना होगा | अभी भी सुदर्शन को समझ में नहीं आ रहा था कि उस बुड्ढे को हम से क्या दुश्मनी हो गई थी |

मैं जब छुट्टी बीता कर दुसरे दिन वापस पहुँचा तो मुझे मेरे दोनों पार्टनर ने बताया कि वो बुड्ढा हमको यहाँ नहीं रहने देना चाहता है | मैं बहुत सोच विचार किया कि हमसे ऐसी क्या बात हो गई कि वो बुड्ढा मुझे यहाँ से भगाना चाहता है |

रविवार का दिन, मैं चुप चाप बरामदे में उदास बैठा था, उसी समय वो लड़की, (उस बुड्ढ़े की पत्नी ) किसी काम के सिलसिले में बरामदे में आयी और  मुझे उदास देख कर शायद कुछ बोलना चाह रही थी…. लेकिन उस खूसट बुड्ढे के डर से उससे बात नहीं करने की  मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी |

अचानक वह मेरे नजदीक आयी और  धीरे से बोली …. राम नारायण (बुड्ढा) जी आप को घर छोड़ने के लिए बोले है ना ?

मैंने जल्दी से कहा ….आप को यहाँ नहीं आना चाहिए था, अगर आपके साहेब यहाँ हमारे साथ देखेंगे तो अभी ही घर छोड़ने के लिए फरमान जरी कर देंगे |

वो हँसते हुए बोली ….. वो अभी मार्केट गए हुए है और  हाँ, वो आप से इसीलिए गुस्सा है कि आप की  कुछ बातें वो दिवार में कान लगा कर सुनते रहते है ..और  आप ने शायद कुछ ऐसी – वैसी बात उनके बारे में बोल दिया होगा |.

अब मेरी समझ में कारण का पता चल गया … “ दीवारों के भी कान होते है ”

रात के खाने पर हम तीनो बैठे थे | इसी बीच नवीन बोल पड़ा …… मकान मालिक को जबाब क्या दिया जाए ?

उसकी बात समाप्त होने से पहले ही सुदर्शन बोल पड़ा …. हमलोग तो रहेंगे साथ ही | चाहे इसके लिए यह घर क्यों ना छोड़ना पड़े |

कल से ही नया मकान ढूंढने की  कोशिश की  जाएगी | हालाँकि बिना परिवार वाले ,(कुँवारा ) बन्दे को यहाँ मकान कोई देना नहीं चाहता था |, 

फिर भी जुगाड़ लगा कर भाड़े का मकान मिलने में अब तक सफलता पायी थी | अब आगे क्या हुआ ..?? अगले ब्लॉग में पढ़े … ..(क्रमशः)  …  

इससे पहले की घटना की जानकारी हेतु नीचे के link click करें….  https://infotainmentbyvijay.data.blog/2020/04/23/three-idiots/

यादें

कुछ यादें अंधेरे में चमकते है ,
रोशनी भी देते है कभी कभी…
कुछ तो रास्ता भी दिखाती है
कुछ के बारे मे क्या कहूँ…
कड़ी धूप में भी छाँव सा आभास देती है
यादें भी अजीब होती है..
कभी कभी एकांत में उदासी से भर जाती है…
और मन को व्याकुल कर देती है
कभी नींद से जगा देती है और
कभी सोने ही कहाँ देती है …
सच.. ये यादें भी अजीब होती है,
जब यह सर पे चढ़ कर बोलती है
तो बस.. बोलती बंद कर देती है,
हाँ.. ये यादें अजीब होती है..
पर यही यादें अगर अपने साथ ना हो
तो ..ज़िन्दगी बड़ी झंड सी लगती है…
यादें ही है.. जो जीवन की गाड़ी को
दो बैलों सा दिन रात खिंच रही है,
हाँ, मेरी यादें ऐसी ही है।
…….. विजय वर्मा

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

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Categories: मेरे संस्मरण, story

7 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

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  2. very good morning dear…how do you like my blog ?

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  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Relations shine by shaking hands in best moments,
    But they blossom by holding hands in critical moments..

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  1. शरीफ बदमाश – Infotainment by Vijay

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