# आधी अधूरी ज़िन्दगी #

कभी-2 इंसान अपनी इच्छाओं को मार कर जीने को  मजबूर हो जाता है | अपने अभावों को संतुलित करते-करते वह इतना थक जाता है कि उसे अपनी आधी अधूरी ज़िन्दगी से घबराहट महसूस होने लगती है |

अच्छे दिनों के आस में और किसी की तलाश में बस ज़िन्दगी घिसट घिसट कर चलती जाती है |

जब अपनी जिंदगी के बीते गुजरे समय को वह याद करता है, तो मन में बहुत तरह के सवाल उठने लगते है जिसका उत्तर खोजने की कोशिश में वह लगा रहता है |

फिर एक वक्त वो आता है जब उसकी अधूरी इच्छा पूरी होती नज़र आती है और तब जिदगी के सारे सवालों का ज़बाब वह पा लेता है ..यह कविता उन्ही भावनाओं को समर्पित है |

आधी अधूरी ज़िन्दगी

आधी जमीं थी और आधा ही आसमान था

कांटो से भरे थे रास्ते और खुद से भी परेशान था

तुझे पाने की ख्वाहिश में चलते रहे मंजिलें की ओर

तेरी उम्मीद थी तो जिंदा था, वर्ना मंजिल कहाँ आसान था ..

    घिसट घिसट कर चल रहा अपना ज़िन्दगी अधुरा था …

    दिल जब मेरा टुटा था , आँखों में आँसू पूरा था

हकीकत से दूर, कही ख्वाबों में मैं जीता था

   ज़िन्दगी एक जंग था ,संघर्ष करना सिखा था

हवा के झोके सा तेरा यूँ एक दिन मिलना

मेरे दिल के कोने में एक फूल का खिलना

ज़िन्दगी की तमन्ना, जो अब तक थी अधूरी

तुमसे मिलकर, आज वह सब हुई पूरी ..

                         (विजय वर्मा)

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Categories: kavita

11 replies

  1. अति सुंदर 👍

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  2. सुन्दर एवं भावपूर्ण कविता।

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  3. Nice thoughts presented in poetic form. Nice video clip.

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  4. इस पोस्ट के हर चीज –भाव पूर्ण कविता,स्केच,भीडियो सभी अति सुन्दर हैं। कुल मिलाकर आकर्षक पोस्ट। 👍👍👌👌

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  5. Very well expressed

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    जीवन एक संगीत है, इसे गुनगुनाते रहिए ,
    हालात जैसे भी हों , हमेशा मुस्कुराते रहिये ||
    हमेशा खुश रहे, मस्त रहें ..

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