
सुबह से शाम तक आज कल बस एक ही चर्चा . .covid -19, हर पल बस एक ही काम ..covid-19 के latest आंकड़े देखना | चारो तरफ सन्नाटा जैसे पूरा भारत ही नहीं पूरी दुनिया ही pause mode में चला गया है, हमारे यहाँ सड़के सुनी है, आकाश वीरान नज़र आता है, हमलोग एक डर वाले माहौल में जी रहे है लेकिन कुछ अच्छी बातें भी महसूस करने लगे है | ….
सुबह में आकाश बिलकुल साफ़ और जैसे मुस्कुराता हुआ दिखाई देता है | , SMOG, धुंध बीते समय की बात लगती है | पक्षियों का फुदकना और चहकना बढ़ गया है | प्रदुषण का जैसे नामो निशान ही नहीं है | साँसों में ताजगी महसूस होती है | लेकिन जिंदा रहने के लिए social distancing के तहत अपने अपने घरों में कैद रहने को मजबूर है |
आज अपने व्हाट्स एप्प पर अपने एक दोस्त का message पढ़ा … Hello Smiley, कैसे हो ? .घर में बैठे बैठे “जेल” जैसा महसूस हो रहा है ?
आज उससे यही कहना चाहता हूँ … यह बेवकूफों के लिए जेल हो सकता है लेकिन बुद्धिमान के लिए अपने को re-invent करने का, अधूरी कोई hobby पूरा करने का एक शानदार मौका है |
ना रोज़ ऑफिस जाने का tension और ना भाग दौड़ की ज़िन्दगी , जिसमें अपने बारे में भी सोचने का समय ना था |
सिक्के के दो पहलू है ..हमलोग सिर्फ एक ही पहलू देखते है. आज दूसरा पहलू भी देखेंगे..

एक समय की बात है कि एक गाँव के बाहर एक बड़े से वृक्ष के नीचे एक फ़क़ीर रहा करता था | वह मस्त मौला लेकिन बहुत पहुँचा हुआ व्यक्ति था |
एक दिन रात का वक़्त… वह उस पेड़ के नीचे आराम कर रहा था, तो क्या देखता है कि एक परछाईं इस गाँव की ओर आ रहा है | …वो वहीँ से चिल्लाता है –..तू कौन है ? और तुम गाँव में क्यूँ आ रहे हो ?…
पलट कर वह परछाईं बोली …मैं “मौत” हूँ और मुझे आदेश मिला है कि यहाँ मैं इस गाँव के एक हज़ार लोगों को महामारी फैला कर मार डालूं |
वह फ़क़ीर इसे समय की नियति समझ कर चुप हो जाता है और उसे जाने देता है | लेकिन एक महीने के अंदर इस महामारी में दस हज़ार लोग मर जाते है | उस फ़क़ीर को बड़ा दुःख होता है कि मौत उससे झूठ क्यों बोली ?
उसे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कि उसे गाँव में जाने क्यों दिया ? लेकिन तभी उसने उस मौत को गाँव से वापस निकलते देखा, तो उसने परछाई को रोक कर झूठ बोलने का कारण जानना चाहा |
तो मौत ने जबाब दिया कि मैं तो अपने वादे के अनुसार एक हज़ार लोगों की ही जान ली हूँ, लेकिन बाकी के नौ हज़ार लोग अपने आप मर गए | .
है तो यह एक काल्पनिक कहानी, लेकिन इसके पीछे एक सच्चाई भी छिपी है और वो यह है कि –जीतना नुक्सान वो महामारी या बीमारी करती है उससे कई गुना नुक्सान मेंटल तनाव और घबराहट के कारण हो जाती है |,
अफवाह या उससे related rumour से भी ज्यादा मौतें होती है | डर के कारण हमलोग डिप्रेशन में चले जाते है और serious mental disorder के कारण उससे ज्यादा हानि उठानी पड़ती है |

- अगर मैं corona की बात करूँ तो इस केस में डरना तो ज़रूरी है लेकिन एक सीमा तक डरें | घर से बिना काम ना निकलने और सरकारी निर्देशों का पालन करने तक / | ताकि आप इस बीमारी के वाहक ना बन जाए या आप की एक गलती से यह बीमारी आप के घर में न आ जाए | लेकिन जब आप घर के अंदर lockdown का पालन कर रहे हो, तो डरने की ज़रुरत नहीं है |
- कोई भी बीमारी शरीर में घुस कर उतना नुक्सान नहीं करती जीतना दिमाग पर हावी हो कर सकती है / Dr Bruce .h. Lipton के एक रिसर्च के अनुसार…Stress is the cause of at least ९५ % of all illness and diseases.. only 5 % disease are genetically transferred..i.e. from family tree or ancestor .
- और आगे लिखते है कि वो 5 % heredity diseases भी stress के कारण ही उस हालत में पैदा हुए होंगे | इसका मतलब है कि 100% diseases मानसिक कमजोरी के कारण उत्पन्न होती है | डर उसका मुख्य कारण है | इसलिए मन के अंदर के डर को पहले ख़तम करना ज़रूरी है |
- एक बात और..बीमारी तो शारीरिक होती है पर कारण मानसिक होते है | ..एक disease के बारे में पढ़ा है ….वह है hypochondria, इसके रोगी के लक्षण भी अजीब होते है | इसके मरीज किसी दुसरे के heart attack के बारे में सुनता या देखता है तो उसे लगता है वो भी इस बीमारी का शिकार हो रहा है और २४ घंटे में भीतर वो symptom महसूस करने लगता है |
- आज कोरोना के केस में भी यही हो रहा है | इस महामारी से hypochondria का कुछ अंश हमारे अंदर डेवेलोप कर जाता है जिसके परिणाम से अगर हमें साधारण खांसी भी शुरू होता है तो हम डर जाते है कि कही कोरोमा ने तो नहीं इन्फेक्ट कर दिया है. ?
- इसलिए सबसे पहले तनाव को ख़तम करना ज़रूरी है ताकि डर दिमाग पर गलत असर ना कर सके, बार -बार कैरोना के बारे में सुन सुन कर हमारे sub conscious mind में एक डर बैठ जाता है और हम जब भी डर महसूस करते है तो हमारे Brain में एक stress hormone रिलीज़ होता है…जिसे कहते है catecholamine .. और दूसरा है cortisol,
- जब ये दोनों ब्रेन में release होती है तो ये हमारे एंटीबाडीज को कमज़ोर करते है और ultimately हमारा immune सिस्टम ख़तम होने लगता है | इसलिए इंसान जब lockdown में या Isolation में होता है तो अपने immune System को strong करने का अच्छा मौका होता है .. आप चाहे मैडिटेशन और exercise से इस डर पर काबू पा सकते है |

- उसी तरह ,दूसरी तरफ happiness की स्थिति में happy hormone रिलीज़ करती है जिसे कहते है..Dopamine and serotonin ..अगर हम बेवजह भी smile करते है और ख़ुशी महसूस करते है तो ये happy chemical तुरंत stress hormones को overpower कर लेते है और हम mental disorder से बच जाते है | इसलिए घर में या आसपास के वातावरण को ऐसा बनायें कि आप तनाव मुक्त और खुश रह सकें |
- और एक ज़रूरी बात.. कि हमलोग social distancing तो follow करे ही , लेकिन साथ साथ social media distancing भी बहुत ज़रूरी है | , फालतू और Fake message हमारे मानसिक शांति को भंग कर देते है इसलिए केवल विश्वस्त message को ही follow करना चाहिए.| .
- इस lockdown की स्थिति में, अपने को productive activity में ज्यादा व्यस्त रखना चाहिए और इस तरह डेली रूटीन बनायें कि फालतू की बातों के लिए समय ही ना बचे., .जैसे कुछ नया learning और मनपसंद कोई hobby डेवेलोप करना चाहिए ?
- lockdown मुर्ख इंसान के लिए जेल के सामान हो सकता है लेकिन एक बुद्धिमान के लिए अपने आप को re-invent करने का सुनहरा अवसर है | आप अपने को re-invent करें और एक नया इंसान के रूप में अपने को स्थापित करें |
- हम अपने मोबाइल को सुरक्षित रखने के लिए बाहर से anti virus लगा रखे है, उसी तरह अपने दिमाग के लिए भी एक anti-virus लगा लीजिए ताकि फालतू के इनफार्मेशन उसमे ना जा सके और आप अपने mind को स्ट्रोंग रखते हुए अपने इम्युनिटी को बनाए रखे |
इसलिए घर पर रहिये, सुरक्षित रहिये और किसी भी कंडीशन में अपने दिमाग पर किसी भी बात का असर मत होने दीजिए और मस्त रहिये | मैं कल एक दीपक जला कर देश के साथ कैरोना के विरुद्ध लड़ने का आह्वान किया था..शायद आप भी …आप नही अपने राय शेयर करें |. .
गुमसुम क्यों है
आज ये लम्हा गुमसुम क्यूँ है
तन्हाई भी गुमसुम क्यूँ है
सुबह ने तो अंगराई ले ली है
प्रकाश फिर आज गुमसुम क्यूँ है
रात तो है मध्यम मध्यम
अँधेरा फिर आज गुमसुम क्यूँ हैं
दिल में बाते तो बहुत है
जुवां फिर आज गुमसुम क्यूँ है
आज तो दिल की बात हो गई
मन फिर आज गुमसुम क्यूँ है
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: motivational
Gd morning have a nice day sir ji
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thank you dear ..how do you like this blog..
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Good Morning.
Feel Good Article 🙏
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thank you dear ..i am a great fan of you .learning so many things from you ..keep going..
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Very nice
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thank you dear
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Well observed and very timely awareness given on “ hypochondria “ ; when the entire world unknowingly falling pray . Thanks Vermajee
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thank you sir, this is very important topic to share with friends ..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
नवरात्रि का नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री एवम् नवरात्र समाप्ति
की हार्दिक शुभकामनाएं ..
HAPPY DURGA PUJA..
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