
बात उन दिनों की है, जब हमारी ज़िन्दगी की सबसे हसीन वो लम्हे .–.बैंक नौकरी की Joining Letter हाथ में थी | बैंक था “बैंक ऑफ़ इंडिया” और जगह थी “झुमरीतिलैया” |
उन दिनों इस जगह की बड़ी चर्चा होती थी, क्योकि उन दिनों “बिनाका गीत माला” में इस शहर के खूब चर्चे थे |
मैं पहली बार एजुकेशनल लाइफ से प्रोफेशनल लाइफ में प्रवेश कर रहा था | मेरे मन में एक नया जोश और उत्साह था | उन दिनों मैं सिंगल था , इसलिए फुल मस्ती थी |
घर में सबसे छोटा होने के कारण कोई लायबिलिटी नहीं थी / चिंता.. फिकर.. टेंशन .. दुःख.. तकलीफ हमारे डिक्शनरी में नहीं थे , था तो केवल जीवन में आगे बढ़ने का जज्बा, प्यार और खुद को हीरो समझना |
ठीक १०.०० बजे दिनांक 10th November 1983, मैं बैंक ऑफ़ इंडिया के झुमरी तिलैया शाखा में जोइनिंग हेतु पहुँचा | सामने शाखा प्रबंधक महोदय Sri. D. Ekambram , बड़े ही young और dynamic दिख रहे थे |
बड़ी गर्म जोशी से उन्होंने हमारा स्वागत किया और सभी उपस्थित स्टाफ से परिचय कराया | मुझे ऐसा माहौल देख कर बहुत अच्व्छा लगा और मुझे लगा , जैसे ज़िन्दगी की मंजिल मिल गई है |
सात दिनों तक बैंक के काम काज समझता रहा | चूँकि मैं Agril Assistt के post पर था तो हमारा काम गाँव में लोन देना और रिकवरी करना था /
इसलिए प्रबंधक महोदय ने मुझे अपने कक्ष में बुलाया और कहा कि आप को पास के सभी गाँव को visit करना है और किसानो से संपर्क करना है , उनके आवश्यकता के मुताबित लोन देना है |
और field visit करने के लिए शाखा में एक नई “बुलेट” मोटरसाइकिल की खरीद की गयी है | उसी का उपयोग करना है ,गाँव की visit में |
मैंने कहा — गाँव के उबड़ खाबड़ रास्तों के लिए तो जीप होनी चाहिए थी | तो वो हंसकर बोले — ..हमारी उतनी पॉवर नहीं है |

यह हकीकत थी कि उस समय तक मैं ने मोटरसाइकिल चलाना नहीं सिखा था | मैं ने अपनी समस्या बताई कि मैं मोटरसाइकिल चलाना नहीं जानता हूँ..और वो भी इतनी भारी भरकम बुलेट मोटरसाइकिल |
हमें तो सोच कर ही जाड़े में पसीना आ रहा था | उ न्होंने बड़े इत्मिनान से कहा.–.. कोई बात नहीं , मैं आप को एक दिन में बुलेट चलाना सिखा दूँगा |
मैं ने दयनीय दृष्टी से उनकी ओर देखा… मानो पूछ रहा हूँ कि कोई और दूसरा विकल्प नहीं है क्या ?
लेकिन प्रबंधक महोदय थे तो पतले दुबले, सिर्फ ४० किलो के , लेकिन उनमे साहस गजब का था | वो फिर बोले, — कल Sunday है , आप अकेले रहते हो, इसलिए आप लंच मेरे साथ करना और फिर मोटरसाइकिल भी चलाना सीख लोगे |
आप ठीक १० बजे दिन में आ जाना | उनकी बातें सुन कर मेरी तो टांग काँप रही थी | मेरा नौकरी करने का सारा जोश ठंडा पड़ गया |
सच बताऊँ, उस रात मैं ठीक से सो भी नहीं सका, क्योंकि मुझे मालूम था कि अगर बुलेट चलाते हुए गिरा तो हाथ – पैर टूटना लगभग तय है | ऐसी हालत में, यहाँ अकेला बंदा मैं क्या करूँगा ?

खैर अगले दिन सुबह भगवान का नाम लिया और खूब अच्छी तरह भगवान की पूजा की | करीब करीब सभी देवी देवता को याद किया और जबरदस्ती सबों का आशीर्वाद प्राप्त किया |
ठीक १० बजे दिन में झंडा चौक के पास उनके मकान के दरवाजे पर दस्तक दी | उन्होंने बड़ी गर्म जोशी से स्वागत किया और अपनी पत्नी से परिचय कराया | उनकी नई – नई शादी हुई थी, और उनकी पत्नी को तमिल भाषा के अलावा और कोई भाषा नहीं आती थी |
इशारों में नमस्कार हुआ और फिर चाय नाश्ता से निवृत होकर हमलोग उठे और बुलेट लेकर सीधे पास के गाँव “बेकोबार” में पहुच गए | एक बड़ी सी खाली खेत जो फील्ड जैसा ही था | लेकिन खेत होने के कारण उबड़ खाबड़ था , उसी में बुलेट चलाने का फैसला लिया गया |

उन्होंने मुझे बुलेट के पीछे बैठाया और फील्ड के दो चक्कर लगाये और फिर उतर कर मुझे बुलेट पर बैठा कर धीरे से clutch छोड़ने को कहा | मैं ने वैसा ही किया और थोड झटके के साथ बुलेट खुद ब खुद स्लाइड करने लगा |
मुझे पता था कि थोड़ी भी गड़बड़ हुई तो मैं गिर पडूँगा और मेरा हाथ पैर टूटना तो तय ही है |
मैं गाड़ी पर हिम्मत कर जमा रहा और चार चक्कर लगाये | फिर साहेब की मदद से गाड़ी से उतर पाया | लेकिन मुझमे confidence आ गया था और मुझे बिश्वास हो गया कि लम्बा चौड़ा शरीर नहीं होने के वावजूद मैं अच्छी तरह बुलेट चला सकता हूँ |
उस दिन का lunch सबसे स्वादिस्ट लगा | उस बुलेट की पहली तस्वीर आज भी संभाल कर रखता हूँ …- क्योंकि उस दिन मैंने जाना कि …….### डर के आगे जीत है ### …..
पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments
Please follow the blog on social media …link are on contact us page..
Categories: मेरे संस्मरण
Very nice
LikeLike
thank you
LikeLike
I wish ki aap aise hi aur dher saara experience share krenge.
LikeLike
hahahaha…definitely, you will find many more in the coning blog..thank you dear..
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Encourage instead of criticizing ,
Understand instead of judging
Initiate instead of waiting ..
All these habits elevate our Life…
LikeLike