
प्रार्थना और विश्वास दोनों अदृश्य हैं ,
परन्तु दोनों में इतनी ताकत है कि
नामुमकिन को मुमकिन बना देता है ..
आज कल हमारी जीवन शैली ऐसी हो गयी है कि stress हमारे जीवन का हिस्सा बन गए है ..आज, हम सबों के जीवन में होने वाले तनाव के कारण और उसके महत्व के बारे चर्चा करना चाहता हूँ…
आइये विचार करें कि, क्या हम तनाव को कम कर सकते हैं या समाप्त भी कर सकते हैं। आज बड़े बूढों से लेकर बच्चे तक में तनाव की समस्या नज़र आती है … इसलिए इस पर चर्चा करना लाज़मी हो जाता है |
यह सत्य है कि ज़िन्दगी है तो stress भी रहेगा | स्टूडेंट को पढाई में stress है, नौकरी पेशा में अलग तरह का तनाव है और जो रिटायर्ड लोग है उनका अलग तरह का तनाव है यानि यह सच्चाई है कि हर कोई तनाव से ग्रसित है | इसलिए पहले यह समझना होगा कि तनाव क्या है, और किन किन परिस्थितियों में होता है ।
“Stress” यानि तनाव | तनाव का मतलब है शारीरिक और भावनात्मक रूप से चिंता का महसूस होना ।
इस तरह की भावना ऐसे किसी भी घटना या विचार से आ सकते है, जिससे किसी व्यक्ति को निराशा, गुस्सा या घबराहट महसूस होता है |
तनाव मुख्य रूप से किसी चुनौती या मुश्किल भरे समय में मानव-शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।
हालांकि, थोड़े समय के लिए तनाव का होना सकारात्मक होता है, जो हमें किसी काम को गंभीरता से करने की शक्ति प्रदान करता है
लेकिन जब यह एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो इसका असर व्यक्ति की सेहत, और ज़िदगी पर पड़ता है।
यह सही है कि स्ट्रेस या तनाव किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है । और अगर स्ट्रेस (stress) ज्यादा दिनों तक लगातार बनी रहे तो इसके भयंकर दुष्परिणाम निकल सकते है | किसी अन्य बीमारी की तरह इसके भी कुछ लक्षण है जो संकेत देते है कि हमें सावधान हो जाना चाहिए …और इसके निदान हेतु आवश्यक कार्यवाई करनी चाहिए…

इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित तरह से हो सकते है .. –
कमज़ोरी महसूस होना-
स्ट्रेस (Stress) का प्रमुख लक्षण शरीर में कमज़ोरी का महसूस होना है।
जब कोई शख्स तनावग्रस्त होता है, तब सबसे पहले भूख लगना बंद हो जाता है और उसे कुछ खाने में रूचि नहीं रहती है , जिसका असर उसके शरीर पर पड़ता है |
सिरदर्द होना-
चूंकि, स्ट्रेस(stress) एक मानसिक रोग है, इसलिए इसका सीधा असर मानव शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग अर्थात् दिमाग पर पड़ता है, जिससे हमें सिर दर्द महसूस होता है ।
इस प्रकार, स्ट्रेस (stress) से पीड़ित लोगों को अक्सर सिरदर्द रहने की शिकायत रहती है ।
नींद न आना-
यदि किसी शख्स को ठीक तरह से नींद न आने की समस्या रहती है, तो इसका कारण भी स्ट्रेस (stress) का होना हो सकता है |
पेट दर्द रहना-
अक्सर, स्ट्रेस(stress ) की शुरूआत सामान्य समस्याओं जैसे पेट दर्द के साथ होती है।
अत: यदि लोगों का पेट खराब रहने लगे तो उन्हें अपनी सेहत की अच्छी तरह से जांच करानी चाहिए क्योंकि यह स्ट्रेस (Stress) का लक्षण हो सकता है।
मांसपेशियों में दर्द होना-
तनाव का अन्य लक्षण मांसपेशियों में दर्द होना भी है। ऐसी स्थिति में मेडिकल सहायता लेना ही बेहतर विकल्प साबित हो सकता है ताकि स्थिति को समय रहते काबू में किया जा सके।
तनाव हमारे जीवन का हिस्सा है, हम इसे पूरी तरह से समाप्त तो नहीं कर सकते है | हाँ, इसे manage अवश्य कर सकते है |

साधारणतया तनाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के होते है |
वैसे, हम सभी को सकारात्मक तनाव की आवश्यकता है क्योंकि यह अपने जीवन में तय किये गए लक्ष्यों को प्राप्त करने और दुनिया में जीवित रहने के लिए यह प्रेरित करता है |
सकारात्मक तनाव की छोटी मात्रा हमारी मानसिक क्षमता को विकसित करने में भी मदद करती है | ऐसा तनाव हमारे कम्फर्ट ज़ोन (comfort zone ) से बाहर आने पर हमें महसूस होता और जीवन में तरक्की करने के लिए हम सबों को comfort zone से बाहर आना ही पड़ता है |
हालाँकि जब तनाव हम पर ज्यादा दिनों तक हावी रहता है तो यह हम पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इसे manage करना आवश्यक है |
हमारे तनाव को manage करने के लिए बहुत सारे कारगर उपाय है| आइये इसकी चर्चा करें …
यह राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह स्ट्रेस (stress) का भी इलाज संभव है, जिसके द्वारा हम अपनी ज़िदगी खुशहाल तरीके से जी सकते हैं ।
अत: यदि कोई व्यक्ति तनाव से पीड़ित है, तो वह इन तरीके से अपना इलाज करा सकते है-
- घरेलू नुस्खे अपनाना-
स्ट्रेस (stress) का इलाज करने का सबसे आसान तरीका घरेलू नुस्खे को अपनाना है।
इसके लिए एक्सराइज़ करना, पौष्टिक भोजन खाना, परिवार के साथ समय बिताना इत्यादि तरीके को अपनाया जा सकता है।
- दवाई लेना-
कभी कभी स्ट्रेस (Stress) को घरेलु उपचार से ठीक नहीं कर पाते है | ऐसी स्थिति में इसका इलाज दवाई के द्वारा भी संभव है।
ये दवाई स्ट्रेस को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ इसे कम करने में सहायक साबित होता हैं।

- योगा करना-
चूंकि, स्ट्रेस (Stress) का सीधा असर हमलोगों के दिल और दिमाग पर पड़ता है | अतः इसका इलाज योगा और ध्यान के माध्यम से किया जाए तो इसके बेहतर परिणाम होते है, क्योंकि दवाइयों की तरह इसका न कोई साइड इफ़ेक्ट होता है और ना कोई आर्थिक बोझ पड़ता है | …
योग में ध्यान लगाना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है | यह स्ट्रेस से पीड़ित लोगों के दिमाग को शांत करता है और साथ ही उसमे सकारात्मक सोच की भावना को विकसित करता है |
- मनोवैज्ञानिक से मदद लेना :
यदि स्ट्रेस (Stress) का इलाज ऊपर बताये गए तरीका से संभव नहीं हो तब मनोवैज्ञानिक से मिलना और उनके सलाह के अनुसार मनोवैज्ञानिक ढंग से इलाज़ करना एकमात्र विकल्प बचता है।
मनोवैज्ञानिक चिकित्सक स्ट्रेस से पीड़ित लोगों से बात करके स्ट्रेस को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं।
हालाँकि हमारे समाज की यह कड़वी सच्चाई है कि यहां पर मानसिक रोग को तवज्जो नहीं दिया जाता है, बल्कि इसे भम्र या नाटक कहकर मज़ाक समझा जाता है।
हमारे इसी रवैये की वजह से काफी सारे लोगों को stress के कारण असहनीय दुख से गुजरना पड़ता है।
इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि अब यह तस्वीर काफी हद तक बदल रही है, विश्व स्तर पर लोगों में स्ट्रेस (stress ) को लेकर जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की जा रही है।

इसी कारण, हर साल 2 नवंबर – 6 नवंबर को विश्व तनाव जागरूकता सप्ताह (world stress awareness week) के रूप में मनाया जाता है।
हमारा भी यह दायित्व बनता है कि अपने स्तर पर स्ट्रेस से जुड़ी जानकारी लोगों को दें और उसका उचित इलाज के लिए जागरूक करें |
हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद लोगों का स्ट्रेस (Stress) या तनाव के प्रति नज़रिया बदलेगा …और उसे manage करने में सहायता मिलेगी ।
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Categories: motivational
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