# तलाश अपने सपनों की #…14

सुबह सुबह राधिका के पिता संदीप के घर अपनी बेटी राधिका को ढूंढते हुए आ धमके |

संदीप की माँ सीधे मुकर गई और कहा कि  राधिका उसके पास नहीं है |

लेकिन उसके पिता को पूरा विश्वास था कि वो झूठ बोल रही है |

इसीलिए गुस्से में धमकाते हुए उन्होंने कहा …. एक घंटे के भीतर राधिका वापस अपने घर नहीं आती है तो अपहरण के इल्जाम में इस घर के सभी लोगों को जेल भिजवा दूंगा |

ऐसी बातें सुन कर रेनू काफी डर गई | अभी सुबह के सात ही बज रहे थे, लेकिन रेनू ने घबरा कर सोफ़िया को फ़ोन मिला दिया |

सोफ़िया अभी सो रही थी तभी उसकी फ़ोन की घंटी बज उठी और उसकी नींद अचानक ही खुल गई |

उसने फ़ोन को उठा कर ज्योही देखा कि रेनू का नंबर है तो चौंक कर उठ बैठी |

उसे समझते देर नहीं लगी कि अभी सुबह – सुबह वहाँ कोई झमेला हुआ होगा | इसलिए फ़ोन उठा कर सोफ़िया ने जल्दी से पूछा …क्या बात है रेनू ? वहाँ सब ठीक तो है ना ?

नहीं सोफ़िया जी, यहाँ तो कुछ भी ठीक नहीं है | अभी अभी राधिका के पिता जी यहाँ आये थे और उन्होंने कहा है कि अगर एक घंटे के भीतर राधिका अपने घर नहीं पहुँचती है तो थाने में हम सब के विरूद्ध राधिका के अपहरण का केस कर देंग्रे |

मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि कही मामला थाना पुलिस में चला गया तो हम औरतें इसका सामना  कैसे करेंगे ?

ऐसे समय में भैया भी यहाँ नहीं है | अतः हमलोगों को और भी  ज्यादा घबराहट हो रही है –. रेनू घबराते हुए कहा |

तुम बिलकुल फिक्र मत करो रेनू,  मैं अभी अपने वकील से बात करती हूँ और उससे सलाह मशवीरा कर इस समस्या का समाधान निकालने  की कोशिश करती  हूँ |

सोफ़िया को फ़ोन पर बात करते देख राधिका भी दौड़ कर पास आ गई और उन लोगों की फ़ोन पर हो रही बातों को ध्यान से सुनती रही |

जैसे ही सोफ़िया की फ़ोन पर बात समाप्त हुई,  राधिका को उसके पिता के ऐसे व्यवहार के लिए बहुत दुःख हुआ और उसने सोफ़िया से कहा …देखो सोफ़िया, मेरे पिता गुस्सैल प्रवृति के है और गुस्से में आ कर रेनू और माँ को कही मुसीबत में ना डाल दें |

इसलिए मैं चाहती हूँ कि उन दोनों को भी वहाँ से ले आना चाहिए ताकि उनको सुरक्षित रखा जा सके |

तुम ठीक कहती हो राधिका,  मैं ड्राईवर को भेज कर उन्हें यहाँ बुलवा लेती हूँ और इसी बीच  मैं अपने वकील से सलाह मशवीरा कर भी लेती हूँ |

सोफ़िया ने राधिका से कहा और ड्राईवर को फ़ोन मिलाने लगी |

तभी राधिका ने कहा …लेकिन सोफ़िया अभी ड्राईवर को आने में समय लगेगा | हमलोग अभी तुरंत खुद ही जाकर उनलोगों को ले आते तो ठीक रहता |

ठीक है राधिका, मैं ऐसा ही करती  हूँ | हमें इस परिस्थति में कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए |

तुम जल्दी से तैयार हो जाओ तब तक मैं गराज से अपनी गाड़ी निकालती हूँ ….सोफ़िया ने कहा और खुद भी कपडे बदलने के लिए चल दी |

इधर  कुछ अनहोनी की आशंका से माँ ने रेनू से कहा …ऐसी हालत में संदीप को फ़ोन करके सारी स्थिति की जानकारी दे देनी चाहिए और उससे भी सलाह मशवीरा करना चाहिए, |

रेनू ने भी माँ की बातों का समर्थन किया और तुरंत ही संदीप को फ़ोन मिला दी |

संदीप बिस्तर पर बैठे ही आज का अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहा था |

तभी उसका मोबाइल बज उठा और उसने जब देखा यह तो रेनू का नंबर है |  संदीप अचानक घबरा गया |  उसे महसूस हुआ कि कोई अनहोनी घटना जरूर घटी है, वर्ना रेनू इतना सुबह फ़ोन क्यों करती ?

वह चिंतित होते हुए ज़ल्दी से फ़ोन उठाया और पूछा  …इतनी सुबह फ़ोन कैसे किया रेनू ?, वहाँ तुम लोग ठीक से हो ना ?

नहीं भैया , यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है | .तुम किसी तरह छुट्टी लेकर आ जाओ और फिर घबराते हुए रेनू ने आज की सारी घटना की जानकारी उसे दी |

रेनू की बात सुन कर संदीप व्याकुल हो गया  और ऑफिस से छुट्टी ना मिलने के कारण अपने आप  को लाचार  महसूस कर रहा था | उसे तो ऐसी हालत में अपने परिवार के साथ होना चाहिए था |

संदीप बहुत चिंतित हो गया  |  लेकिन उसे बस एक आशा की किरण दिखाई दे रही थी और वो थी सोफ़िया |

भगवान् की कृपा है कि वो ऐसे समय में हमारे परिवार की  मदद कर रही है |

संदीप को पता था कि सोफ़िया काफी तेज़ तर्रार है,  और वे लोग मिल कर स्थिति को संभाल लेंगे |

संदीप फ़ोन पर ही रेनू को समझा रहा था ….तुम हिम्मत से काम लो रेनू | हमने कोई क्राइम नहीं किया है , जो डरने की कोई बात है |

और फिर सोफ़िया और राधिका भी हमारे साथ है | तुम बस किसी तरह स्थिति को दो दिन और  संभाल लो |

मैं ऑफिस के कुछ ज़रूरी औपचारिकता पुरी कर यहाँ से चल दूंगा | इतना कह कर उसने  फ़ोन काट दिया |

संदीप ऑफिस जाने के लिए जल्दी ही तैयार हो गया ताकि अपनी छुट्टी के आवेदन के बारे में पता कर सके |

वह ऑफिस जाने के लिए गाड़ी में बैठ गया | गाड़ी तेज़ गति से चल रही थी और उससे भी तेज़ गति से संदीप का दिमाग चल रहा था |

आज के हालात  के बारे में वह सोच रहा था | ऐसी हालत में अपने परिवार और राधिका के पास मेरा होना आवश्यक है ताकि किसी भी परिस्थिति का हमलोग मिल कर सामना कर सके |

संदीप को पता था कि राधिका के पिता काफी गुस्सैल प्रवृति के है और अपनी इज्ज़त बचाने  के लिए वो कुछ भी कर सकते है |

अचानक उसके मन में विचार आया ..क्यों ना सीधा  नीलम मैडम के पास चला जाऊं और उनसे भी आज की हालात को बता कर तुरंत छुट्टी स्वीकृति के लिए निवेदन करूँ |

ऐसा सोच कर संदीप ने  ड्राईवर से कहा …आप सीधे नीलम मैडम  के ऑफिस चलो, मुझे उनसे कुछ काम है |

जी सर जी …, ड्राईवर ने कहा और गाड़ी दूसरी दिशा में मोड़ दी |

करीब एक घंटे के सफ़र के बाद , संदीप अपने  बॉस नीलम मैडम के पास पहुँच गया |

संयोग से वो ऑफिस में ही मिल गई और संदीप को देखते हुए सामने कुर्सी पर बैठने का इशारा  किया |

संदीप कुर्सी पर बैठते हुए जिज्ञासा भरी नजरो के मैडम को देख कर बोला …हमारा छुट्टी का आवेदन स्वीकृत हो गया ?

नहीं संदीप, उनलोगों ने तुम्हारी छुट्टी स्वीकृत नहीं किया …..मैडम अफ़सोस जताते हुए कहा |

संदीप मैडम की बात सुन कर काफी दुखी हुआ और आज घर में घटी  सारी घटना मैडम को बता दिया और कहा …अब आप ही बताएं कि मेरा वहाँ जाना कितना ज़रूरी है |

मैं समझ सकती हूँ संदीप | तुम बहुत बुरे दौर  से गुज़र रहे हो | लेकिन कभी कभी इंसान  इतना मजबूर हो जाता है कि चाहते हुए भी वह  कोई मदद नहीं कर पाता….मैडम ने दुखी स्वर में कहा |

मेरे पास  और कोई उपाय नहीं है मैडम… सिवाए इसके कि बिना छुट्टी के ही मैं घर चला जाऊं | मुझे माँ के लिए बहुत चिंता हो रही है … बोलते बोलते संदीप के आँखों से आंसूं बह निकले और वह बच्चो की तरह रोने लगा |

नीलम मैडम उसके सिर पर हाथ रख कर समझाते हुए कहा …धीरज रखो और हिम्मत से काम लो संदीप |

कभी कभी ऐसी भी परिस्थिति आती है कि इंसान को अपने नौकरी और परिवार के बीच  किसी एक को चुनना पड़ता है और यह परीक्षा की घडी तुम्हारे सामने आ गयी है |

अब तुम्हे  चुनाव करना है कि तुम क्या चाहते हो  |

आप ठीक कहती है मैडम |  मुझे पता है कि कंपनी के नियमानुसार बिना छुट्टी स्वीकृति के यहाँ से  जाते ही कंपनी मुझे नौकरी से निकाल सकती है |,

लेकिन मेरे पास और कोई विकल्प भी नहीं है.| मुझे तो  हर हाल में जाना ही होगा …संदीप ने मैडम की तरफ देख कर कहा |

ठीक है संदीप ,ऐसी हालत में मैं रोकूंगी नहीं तुम्हे | जैसा होगा मुझे खबर करना |

उधर सोफ़िया ने गाड़ी निकाला और रेनू के घर की ओर चल दी | साथ में राधिका भी उसके साथ अपने चेहरे को ढक कर बैठी थी ताकि कोई उसे पहचान ना ले |

क्योंकि राधिका के पिता उसका पता लगाने की कोशिश तो कर ही रहे होंगे |

किसी तरह लोगों की नजरो से बचते बचाते वे दोनों रेनू के पास पहुँच गए |

रेनू अचानक राधिका को देख कर आश्चर्य से पूछ बैठी …तुम्हे तो अभी अपने घर वालों से छुप कर रहना चाहिए और तुम खुलेआम घूम रही हो ?

तभी सोफ़िया ने कहा …रेनू , तुमलोग ज़ल्दी से तैयार हो जाओ, तुम लोगों को कुछ दिनों के लिए  मेरे साथ ही रहना होगा ताकि यहाँ कोई पुलिस वगैरह तंग ना कर सके |

सोफ़िया की बात सुन कर माँ चिंतित हो कर बोली …मैं तुमलोगों के साथ घर छोड़ कर नहीं जा सकती | घर बंद देख कर उनलोगों को और पुलिस  को भी शक हो जायेगा |

बात तो सही है माँ , लेकिन मैं आप को यहाँ अकेला नहीं छोड़ सकती | अगर कुछ ऐसी वैसी कोई बात हो गई तो मैं अपने को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी….राधिका माँ को समझाते हुए कहा |

मुझे कुछ नहीं होगा राधिका …. माँ ने कहा | माँ नहीं चाहती थी कि उसके कारण राधिका के ठिकाने का पता उसके पिता को चल जाये |

लेकिन राधिका किसी भी हालत में इनलोगों को यहाँ  रहने देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी |

जब माँ घर छोड़  कर जाने को राज़ी नहीं हुई तो राधिका ने मजबूर होकर कहा ….इन सब परेशानियों की जड़ मैं ही हूँ | अतः मुझे अपने पिता  के पास लौट जाना चाहिए ,…(क्रमशः)

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