#खुशी

#कोलकाता की यादें# 

बात उन दिनों की है जब मुझे पहली बार कोलकाता में पोस्टिंग  मिली थी | साल २००४ में मैं कोलकाता के एक शाखा में ज्वाइन किया था | मुझे मेट्रो शहर में रहने का कोई अनुभव नहीं था, इसलिए मैं घबरा रहा था | लेकिन  संयोग से… Read More ›

# और गुल्लक फूट गया # 

मिश्रा जी, वैसे तो सारी ज़िंदगी बैंक के काम करते हुये बिता चुके थे | लेकिन बचपन से ही  उनके मन में  हिन्दी साहित्य के प्रति खास आकर्षण था | अब रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने जवानी के दिनों  में… Read More ›

# एक प्रेम ऐसा भी #

प्रेम करने वाला व्यक्ति प्रेम तो कर लेता है परंतु उसको ठीक से निभा नहीं पाता है | वास्तविक बात करें,  तो प्रेम करने से कई गुना कठिन काम है प्रेम को निभाना | प्रेम में दोनों तरफ आँखों पर… Read More ›

#मन की कलम से# 

आज कल भगवान मेरी कोई प्रार्थना नहीं सुनते है। इसकी कोई ठोस वजह मुझे नज़र नहीं आता है | लोग कहते है कि भगवान को  साफ़ –  सफाई बहुत पसंद है … मैं घर में और अपने आस पास खूब… Read More ›

# मेरा ही अक्स है # 

कभी – कभी ऐसा महसूस होता है कि  बाहर चारों तरफ खुशियाँ है पर मेरे अंदर नहीं | मेरा मन हमेशा किसी न किसी बात से आहत  होता रहता है | ऐसा क्यों होता है, पता नहीं | मैं तो… Read More ›

# अलमारी से झांकती किताबें # 

यूँ ना छोड़ ज़िन्दगी की किताब को खुला बेवक्त की हवा ना जाने कौन सा पन्ना पलट दे .. आज सुबह सुबह जब मैं पार्क में टहलने गया तो  कुछ दोस्त वहाँ  मिल गए , दुआ सलाम के बाद हमलोग… Read More ›

#मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ # 

हर मनुष्य का यही लक्ष्य होता है कि वह हमेशा खुश रहे | इसके लिए तरह तरह के उपाय ढूंढता है, लेकिन आज के बाहरी माहौल कुछ इस तरह का है कि हम उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते… Read More ›

#मोहब्बतें बेच रहा हूँ# 

आज जब समाचार पत्र पर नजरे  जाती है तो ऐसा महसूस होता है कि आज नफ़रतों का बाज़ार गरम है | ज़्यादातर समाचार मन को दुख पहुँचने वाली ही होती है | ऐसा लगता है जैसे आपसी भाई-चारा और प्रेम… Read More ›