भले ही अब तक हमें कोई दिमाग़ी बीमारी न हुई हो, मगर रोज़मर्रा का तनाव इस क़दर है कि ये मुझसे से मेरा सुकून और ख़ुशी छीन रहा है | बड़ा सवाल ये है कि हम अपनी मसरूफ़ ज़िंदगी में… Read More ›
#बुढ़ापा
#मैं बुढ़ा और लाचार हो गया हूँ #
दोस्तों, यह एक कविता है जो एक व्यक्ति के अंतिम दिनों की अवस्था को बयान करती है। इस कविता में व्यक्ति अपने जीवन के कई पहलुओं को याद करता हुआ, अपनी बूढ़ापन और लाचारी के बारे में सोचता है। उसे… Read More ›