
“वाह विजय ,क्या खुब लिखते हो | पढने में बड़ा मज़ा आता है |
सरल भाषा ,सुंदर विषय वस्तु और नाटकीय घटनाक्रम रचना
को पठनीय बनाते है | जब हम पढना शुरू करते है तो बिना अंत के
उसे छोड़ नहीं पाते है और एक उत्सुकता अंत तक बनी रहती है
आगे की घटना को जानने के लिए / रचनाएँ आम जीवन के काफी
करीब महसूस होती है | उत्सुकता और इंतज़ार यही तो मज़ा है ज़िन्दगी में ,
जो रचनाएँ सहज ही उपलब्ध कराती है ….
आगे भी इसी तरह प्रयास ज़ारी रहे |
शुभकामनाओ सहित “
कृष्णा कुमार
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