
सच पूछा जाए तो हम अपनी ज़िंदगी को जीना ही भूल गए है । हम अपने रोजमर्रा के काम और दिन प्रतिदिन की भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो गए है कि अपनी ज़िंदगी को ठीक से कैसे जिए ये ही भूल गए है |
ज़िन्दगी बहुत खुबसूरत है . बहुत कीमती भी है , इसे न सिर्फ जीना चाहिए बल्कि महसूस भी करना चाहिए …
यह कविता ज़िंदगी को सही ढंग से जीने और उसे समझने का एक प्रयास है।

मेरी ज़िन्दगी ..
जाने कैसी है ये ज़िन्दगी ,
एक इच्छा जब पूर्ण होती है ..
तो फिर नयी इच्छाएं जन्म लेती है
यही तो है ज़िन्दगी …|
सुख की चाह में
संघर्ष करती ये ज़िन्दगी
मात्र खुद के लिए
समय न निकाल पाती ये ज़िन्दगी |
अटपटी है , अनोखी है
अनबुझ पहेली है ज़िन्दगी
जैसी भी है पर है तो
मेरी अपनी दुलारी ये ज़िन्दगी |
( विजय वर्मा )
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Categories: kavita
हद से ज्यादा खुबसूरत है जिंदगी 👍👍
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बिलकुल सही कहा आपने |
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अच्छी कविता।
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Thank you dear.
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💜
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Thank you so much.💕
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Excellent . Nice one
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Thank you so much.☺️☺️
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