
लोग कहते है कि मन की किताब पढना आसान नहीं है | सही है…
ज़िन्दगी कोई किताब नहीं है ज़नाब कि जो चाहे… जब चाहे… इसके पन्ने पलटे और इसे पढ़ ले | ज़िन्दगी के कुछ पल और कुछ एहसास ऐसे होते है जिसे आप बस महसूस कर सकते है, उसे कोई शब्द… कोई नाम… नहीं दे सकते है |
हाँ …ज़िन्दगी के कुछ ऐसे पल भी होते है जिसका वर्णन आप कर सकते है | जिसे आप अपने किस्से, कहानियों या फिर अपनी कविताओं का हिस्सा बना सकते है |
और यही किस्से और कहानियाँ जब किस्सागोई के दायरे से निकल कर एक विस्तृत फलक पाता है तो दुनिया को मंत्रमुग्ध भी कर देता है | किताब और लेखक दोनों को अमर कर देता है जब लोग इन्हें बड़े चाव से पढ़ते हैं |
लेखक और कवि तो अपनी रचनाओं से प्यार करते ही हैं … गाहे –बेगाहे उनके हाथ सेल्फ में सजी अपनी पुस्तकों पर चली जाती है, जब ,,,,

तेरी कुछ यादें
जब भी तन्हा होता हूँ
तेरी याद आती है
तेरे साथ बिताये पल
मुझे बहुत तडपाती है |
तुझे भूलने की कोशिश में
खुद को भूल जाता हूँ
लाख जतन किया मैंने
तुझे भूल नहीं पाता हूँ |
कुछ तो है अपने रिश्तों में
जो समझ नहीं आता है
क्या तुमभी कभी रोती हो
या यह मुझे ही रुलाता है |
पर तुम जैसी भी हो
मेरे ज़ीने का सहारा हो
डूबते इंसान के लिए
एक हसीन किनारा हो |
तुम आज भी हो मेरे करीब
तुझे कभी भूल नहीं पाउँगा
तेरे इंतज़ार में हरदम
मैं पलक पाँवड़े बिछाऊँगा …
जब भी तन्हा होता हूँ
तेरी याद आती है |
(विजय वर्मा )

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Categories: kavita
Nice poem
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Thank you so much.
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💗
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Thank you so much.❤️❤️
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💯lid poem🤩
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Thank you so much.
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