# लम्हा गुमसुम क्यों है ? 

कभी-कभी हर कोई उदासी महसूस करता है। हालाँकि ज़्यादातर मामलों में,  ये जो उदासी होती है, वो मनुष्यों के जीवन में आने वाले बदलावों और परिस्थितियों के कारण होती है | यह एक साधारण प्रक्रिया है।

अच्छी बात यह  है कि हर किसी के पास में खुशी को महसूस करने की काबिलियत भी होती है | हम अपनी उदासी से पार पाने के लिए तरह तरह के उपाय ढूंढते रहते है |

मेरे पास एक डायरी है मैं अपने  विचारों और फीलिंग्स को लिखने की कोशिश करता हूँ | यह मुझे अक्सर ही मेरी उदासी की भावना को समझने में मेरी काफी मदद करता है। यह मुझे  “एक धुन में” रमने में मदद करता है | इससे मुझे अपने ही बारे में और ज्यादा गहराई से  समझने का मौका मिलता है | डायरी के उन्हीं पन्नों में से कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ –,

लम्हा गुमसुम क्यों है ?

आज ये लम्हा फिर

गुमसुम – गुमसुम क्यूँ है,?

तनहाई भी गुमसुम क्यूँ है

सुबह ने  तो अंगड़ाई ले ली है

प्रकाश फिर गुमसुम क्यूँ है ?

रात है मद्धिम – मद्धिम फिर,

अंधेरा गुमसुम क्यूँ है ?

दिल में तो बहुत है बातें फिर

जुवां गुमसुम – गुमसुम  क्यूँ है ?

आज दिल की बात हो गई फिर

मन गुमसुम – गुमसुम क्यूँ है ?

………………………..विजय …..

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10 replies

  1. बहुत अच्छा।

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  2. बहुत अच्छी कविता।

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