# भावनाओं के भँवर में #

हमारी भावनाएं हमारे जीवन का एक अविभाज्य अंग हैं | भावनाओं के बिना जीवन कैसा ?  हमारी भावनाएँ ही हैं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हमें  खुश रख सकती है |

हमें स्वयं के साथ – साथ  सभी की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए | यह भावनाएं ही है जो हमें एक दूसरे से जोड़ कर रखती है |

कभी – कभी हम अपनी भावनाओं को किसी के सामने  व्यक्त नहीं कर पाते | ऐसी परिस्थिति में हम कागज़ और कलम  की मदद से अपने भावनाओं को व्यक्त करते है  |  कभी – कभी  उन भावनाओं में लिखी गई कविता को दोबारा पढ़ कर दिल को सुकून प्राप्त होता है | अतः जीवन में भावना का  होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।

भावनाओं के भँवर में

दिन तो फिर भी कट जाते है,

शाम होते याद आता है कोई

तन्हा तारों से कटती नहीं रातें

दिल में सीटी बजाता है कोई |

मैं उसके ऊपर लेटा था

वो मेरे नीचे सिमटा था ,

वो गैर और कोई नहीं

मेरे शब्द का ही बेटा था |

भावनाओं के इस भँवर में

कभी डूबता कभी उतराता रहा

शब्द पन्नों पर उभरते रहे

रात भर उसे गुनगुनाता रहा  |

 शब्द मेरे मन में यूं थिरकते रहे,

अपनी कहानी  वो कहते रहे

आंखों की नींद  जाता रहा

 दिये की लौ टिमटिमाता रहा

शब्द मेरे  आँसू बन कर

फिज़ाओं में बिखरती रही

मेरी भावनाएँ कागज के पन्नों पर   

कविता बन संवरती रही |

रात भर मैं लिखता रहा

कोरे पन्नों  को भरता रहा

दिल की घंटी बजती रही, और   

ख्वाबों की महफिल सजती रही |

(विजय वर्मा )

Please watch my video and please like and subscribe..

लम्हा गुमसुम क्यों है – ब्लॉग  हेतु  नीचे link पर click करे..

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments

Please follow the blog on social media … visit my website to click below. 

www.retiredkalam.com



Categories: kavita

35 replies

  1. अच्छी कविता।

    Liked by 1 person

  2. Good morning! Have a nice day! 😊

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: