
परेशाँ हूँ झुलसा चेहरा भुलाया भी नहीं जाता
किसी से हाल-ए-दिल अपना सुनाया भी नहीं जाता
वो आ जाए तो ये भी कह नहीं सकता ठहर जाओ
अगर वो जा रहा हो तो बुलाया भी नहीं जाता |
दोस्तों,
आज मैं एक ऐसी कहानी प्रस्तुत चाहता हूँ, जिसे पढ़ कर आपकी भी आत्मा रो देगी | वैसे तो क्राइम बहुत तरफ के होते है जिसे आये दिन समाचार के माध्यम से सुनते और पढ़ते रहते है |
लेकिन यह सिर्फ कहानी नहीं बल्कि सच्ची घटना है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती है कि एक इंसान दुसरे इंसान के साथ ऐसा घिनौना जुर्म कैसे कर सकता है |
एक इंसान जो अगर किसी को ज़िन्दगी दे नहीं सकता तो वह किसी की ज़िन्दगी ले कैसे सकता है ?..यह एक प्रश्न चिन्ह हमारे मन में उभरता है |
आखिर इंसान के दिमाग में इस तरह से गुस्सा क्यों आता है कि वह किसी की हंसती खेलती ज़िन्दगी को अचानक वैसे मुकाम पर पहुँचा देता है कि वह अदालत के कटघरे में खड़े होकर कहती है .. जज साहिबा, मैं मरना चाहती हूँ, मुझे मरने की इज़ाज़त दी जाए |
सच, कुछ क्राइम ऐसे होते है जो इंसान को झकझोर देते है | ऐसी ही एक क्राइम है .. एसिड अटैक, यानी तेजाब से हमला |
इसकी जो पीडिता है अगर उससे मिल लें और अगर उसके विकृत चेहरे को देख लें, तो आप सिहर उठेंगे |
जरा सोचिये जो पीडिता है वह जब तक जिंदा रहेगी, उसके अन्दर यह घटना ज़ख्म बन कर रिसता रहेगा, और उसके मन को टीसता रहेगा | उसे ज़िन्दगी भर अपने बदसूरत चेहरे और दुखों के साथ ज़िन्दगी बितानी पड़ेगी |
जी हाँ, साधना मुख़र्जी नाम है और आज उसकी उम्र करीब २७ साल है | उसका चेहरा तेज़ाब से जला दिया गया है | उसका चेहरा तेजाब से जल जाने के कारण इतना भयानक हो गया है कि वह जब भी आईना देखती है तो खुद को देख कर डर जाती है
वह अदालत में वकील के साथ अपने केस की सुनवाई का इंतज़ार कर रही है | वह कुर्सी पर बैठी अपनी आँखे बंद किए अपने अतीत में खो जाती है |

उसे १० साल पहले की पूरी घटना चलचित्र की तरह याद आ रही थी | साधना उस समय 17 साल की थी और ग्रेजुएशन कर रही थी |
पिता जी वहाँ एक कंपनी में सुपरवाइजर थे , घर में एक छोटी बहन और माँ थी | इतना ही बड़ा परिवार था |
परिवार में भाई नहीं होने के करण वो खुद ही माँ बाप का बेटा बन कर अपना फ़र्ज़ निभाने की कोशिश कर रही थी |
तभी तो वो पढाई के साथ एक छोटी सी कंपनी में पार्ट टाइम जॉब भी कर रही थी ताकि घर के खर्चे में हाथ बटा सके |
दुर्भाग्य से उसके पडोस में तीन मनचले किस्म के लड़के रहते थे जो हमेशा आते जाते रास्ते में उसे छेड़ा करते थे | साधना थी ही इतनी खुबसूरत और खुशमिज़ाज़ |
पहले को साधना यह सब बर्दास्त करती रही, क्योकि उसका सारा ध्यान अपनी पढाई पूरी कर एक अच्छी नौकरी पाने पर थी | वह अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी |
लेकिन साधना का यह सपना एक झटके में चकनाचूर हो गया और जो उसके साथ वो हुआ जिसकी कल्पना उसने सपने में भी नहीं की थी |
एक दिन वे लड़के फिर से उसे छेड़ने की कोशिश करने लगे तो उसने शोर मचा कर आस पास के लोगों को इकठ्ठा किया | लोगों क्र द्वारा उन मनचले लड़को की अच्छी पिटाई हो गयी |
इस घटना से वे तीनों बदमाश काफी गुस्से में थे और उनलोगों ने बदला लेने का मन ही मन फैसला कर लिया |
गर्मी का समय था और धनबाद जैसे छोटे शहरों में अक्सर बिजली गुल ही रहती थी | इसलिए साधना और उसकी छोटी बहन घर के छत पर सोती थी | उस रात भी वह छत पर सोई थी कि वह तीनो बदमाश आधी रात को किसी तरह छत पर चढ़ गए और गहरी नींद में सोई साधनापर अपने साथ लाए हुए बोतल की पूरी तेजाब उड़ेल दी |
उन बदमाशों ने ख़ास कर यह ध्यान रखा कि पूरा तेजाब साधना के चेहरे पर ही गिरे | जिस चेहरे की सुन्दरता पर उसे गुमान थी उसी को वह समाप्त कर देना चाहता था |

वह तेज़ाब फेक कर भाग खड़ा हुआ और इधर साधनाके चेहरे पर तेज़ाब पड़ते ही, वह जलन और दर्द के कारण जोर – जोर से चीखने लगती है |
उसकी चीख पुकार सुन कर माता पिता भागे – भागे उसके पास आये और स्थिति को देख कर आनन् फानन में उसे हॉस्पिटल ले जाया गया |
वहाँ उपस्थित डॉक्टर भी उसका झुलसा चेहरा देख कर घबरा जाते है | पूरा चेहरा तेजाब से झुलसा हुआ था एक आँख भी क्षतिग्रस्त हो चूका था | बायाँ कान लटक कर मांस का लोथड़ा बन चूका था |
डोक्टर की टीम ने जब उसकी चितिक्सा आरम्भ की तो पाया कि तेजाब से साधनाके चेहरे पर करीब 22 जख्म थे | चेहरा बिलकुल बिगड़ चूका था और हालत इतनी ख़राब थी कि धनबाद जैसी जगह में सही इलाज़ मिल पाना संभव न था |
इसलिए साधना को लेकर उसके पिता दिल्ली के एक हॉस्पिटल में आ गए |
धीरे धीरे वक़्त बीतता गया | इधर उन तीन लडको के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है और तीनो गिरफ्तार हो जाते है | लेकिन कुछ ही दिनों में वे तीनो बदमाश जमानत पर जेल से बाहर आ जाते है |
इधर साधनाके परिवार वाले साधनाको इन्साफ दिलाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते है | कोर्ट केस लम्बी खिचती है लेकिन अंततः दो लोगों को 9 साल की सजा होती है और तीसरा नाबालिग होने के कारण बरी कर दिया जाता है |
साधनाके पिता की हालत यह थी कि बेटी के महंगे इलाज़ के कारण उनके सारे जमा पैसे ख़त्म हो गए थे | और उधर साधनाको इन्साफ दिलाने के लिए कोर्ट के धक्के खाने पड़ रहे थे | साधनाके इलाज़ और कोर्ट केस में करीब 15 लाख रुपये खर्च हो गए |
साधनाके 22 ज़ख्मों के लिए 25 सर्ज़री की गयी | फिर भी इलाज़ मुकम्मल नहीं हो पाया था क्योंकि पैसे कम पड़ गए थे |

उनका घर बिक गया, और जो थोड़ी सी ज़मीन थी वह भी बिक गया |
लेकिन ना साधनापूरी तरह ठीक हो पाई और ना उसे कोर्ट से अब तक इन्साफ ही मिल पाया था | वो दोनों बदमाश ज़मानत पर फिर बाहर आ गए | इधर पैसो की तंगी थी ही |
अंत में माता पिता राज्य सरकार के पास इन्साफ के लिए और आर्थिक सहायता के लिए भी गुहार लगाया |
लेकिन सरकार ने सिर्फ आश्वासन ही दिया लेकिन किया कुछ नहीं |
यहाँ तक कि दिल्ली सरकार के पास भी गुहार लगाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ |
आखिरकार 9 साल के बाद भी साधनाके इलाज़ पैसो की कमी के कारण पूरा नहीं हो सका था |
उसके इलाज़ के लिए के बार बार दिल्ली ले कर आना और इधर कोर्ट कचहरी के कारण पूरा परिवार जैसे पिस गया था |
परिवार की मज़बूरी का एहसास साधना को था | उसके मन में हमेशा एक अपराधबोध (guilty) महसूस होता था कि उसकी वजह से उसका पूरा परिवार बिखर गया है |
उसके परिवार का एक एक पैसा उसके इलाज़ में खर्च हो चूका था और उसका चेहरा वैसे ही बिगड़ चूका है |
अतः ऐसी स्थिति में उसका जीना मुश्किल है, यह सब सोच कर वह एक कठोर निर्णय लेती है .. वह इस अदालत में एक अर्जी देती है |
तभी अपने वकील की आवाज़ सुन कर उसकी तन्द्रा भंग होती है और वह जज साहिबा के सामने कटघरे में जाकर खड़ा होती है |
साधना कहती है …. जज साहिबा , मैं गैर कानूनी तरीके से मरना नहीं चाहती हूँ ,.. इसलिए कानूनी तरीके से मरने की इज़ाज़त चाहती हूँ .. मुझे इच्छामृत्यु की इज़ाज़त दी जाए | यह कहते हुए उसकी आँखों से झर झर आंसूं बह रहे थे |
यह घटना वहाँ के मीडिया के लिए सुर्खी बन गयी और तब लोगों का ध्यान उसकी ओर गया |
फिर तो लोग भी उसकी मदद को आने लगे | दिल्ली के एक डॉक्टर ने मदद के लिए हाथ बढाया और कहा कि उसके चेहरे की प्लास्टिक सर्ज़री मैं खुद करूँगा और अपने खर्च पर करूँगा |

इधर साधनाकी दुःख भरी कहानी के चर्चे इस कदर मशहूर हुए कि उसे KBC से बुलावा आया और अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर बैठ कर साधना ने 25 लाख रूपये जीता | साधनाका KBC में जाने एक सपना भी था जो पूरा हुआ |
साधनाको KBC में जाने के बाद वह और भी चर्चित हो गयी |
बहुत सारे लोगों ने मदद की पहल करने लगे | सरकारी नेताओं को भी शर्म आयी जो अब तक सिर्फ दिलासे ही दे रहे थे |
राज्य सरकार के उसे नौकरी का ऑफर किया | साधना सरकारी नौकरी को ज्वाइन किया लेकिन कुछ ही दिन वहाँ नौकरी की |
लेकिन फिर वह दिल्ली आ गयी, जहाँ उसे एक मनपसंद नौकरी मिल गयी |
इन एक दो सालों में साधना की कहानी पुरे देश में चर्चा का विषय बन चूका था |
इसी बीच एक और घटना घटी, लेकिन वह सुखद थी |
दिल्ली में ही एक नौजवान जो पेशे से इंजिनियर था उसने भी साधना की संघर्ष भरी कहानी पढ़ी और TV पर भी देखा |
बस, उसे साधना से प्यार हो गया | एक दिन उसने साधनासे अपने प्यार का इज़हार किया और फिर दोनों ने आपसी सहमती से शादी कर ली |
बाहर साल के बाद साधना को अपने ज़िन्दगी में इन्साफ मिला और साथ ही उसकी किस्मत भी बदली |
उसे एक नेक जीवन साथी मिला और आज वह खुशहाल ज़िन्दगी जी रही है ….
(Pic source : Google .com)
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कहानी का सुखद अंत, पढ़ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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😐
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जय श्री राम |
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जय श्री राम।।
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आप कैसे हो ?💕
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Handsome!!!
Ap kaise he?
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I am also …some.
Stay blessed.💕
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Excellent write up.
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Thank you so much.😊
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💗
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❤️❤️
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बहुत दिल को छूने वाली लेकिन सुखद अन्त वाली हकीकत बयान की है आपने।एसी ही सच्ची हकीकतें आप बताते रहें।
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सही है , यह दिल को चुने वाली घटना है | ज़िंदगी कीमती है इसलिए इस कहानी का अंत सुखद होना चाहिए |
आपकी तारीफ के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |💕
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आपने सही फरमाया।जीवन अनमोल है।❣️🙏🏻❣️
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बिलकुल सही, ज़िंदगी अनमोल है, और इसे खुल कर जीना चाहिए |💕
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सुन्दर विचारों के लिए धन्यवाद❣️🙏🏻❣️
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Good morning, Have a nice day.
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🌹🙏🌹
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अति रोमांचक और दर्द भरी कहानी का सुखद अंत पढ़कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद , डियर |
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