
कभी कभी ज़िन्दगी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती है जब अपने पास समय भी होता है, पैसे भी होते है , पर साथ बैठ कर चाय पिने वाला कोई नहीं होता है |
आज लोगों के पास इतनी फुर्सत कहा है कि अपने बुजुर्गों के मन की बात को समझ सके | आज उन बुजुर्गों के मन की बात और उनकी व्यथित भावनाओं को कुरेदने का प्रयास है …

चाय पर चर्चा
आओ किसी का यूँ ही इंतजार करते हैं
चाय के साथ फिर कोई बात करते हैं
उम्र पचपन की हो गई है तो क्या
अपने बुढ़ापे का इस्तक़बाल करते है |
किसको पड़ी है फिक्र हमारी सेहत की
आओ हम एक दूसरे की देखभाल करते हैं,
बच्चे हमारी पहुँच से दूर हैं तो क्या
आओ उन्ही को फिर से रिकॉल करते हैं |
जिंदगी जो बीत गई सो बीत गई
जो बची है उससे ही प्यार करते हैं.
जो भी दिया लाजवाब दिया ऊपर वाले ने
इसके लिए कोटि कोटि धन्यवाद करते है |
आओ किसी का यूँ ही इंतजार करते हैं
चाय के साथ फिर कोई बात करते हैं |
विजय वर्मा

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Categories: kavita
Like the coffee cup image!
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Thank you so much.😊😊
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अच्छी कविता।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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बेहतरीन रचना
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बहुत बहुत धन्यवाद , डियर |
आपके शब्द मेरी प्रेरणा है |💕
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💗
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Thank you so much.💕
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Sundar kavita
But, me chai ni pita, phr kispe charcha kare?
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Daru pe Charcha bhi chal sakta hai .😂😂
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I don’t drink, I don’t smoke
Respected sir!
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मैंने चर्चा की बात की है ,पीने की नहीं |
प्लीज ज़रूर पढ्ना https://wp.me/pbyD2R-mv 😂😂
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