# प्यारी दोस्त गौरैया #

दोस्तों,

कल यानी २० मार्च को दुनिया भर में  विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) मनाया गया |

इसका मुख्य उद्देश्य गौरैया  पक्षी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना और उसके संरक्षण के लिए ज़रूरी उपाय करना है |  

दोस्तों यह देखा जा रहा है कि गौरैयों की संख्या  दिनों दिन घटते जा रही है, जो कि एक चिंता का विषय है | हमें इस हकीकत को समझना होगा …

हमें उस पक्षी के लिए प्यार और स्नेह की भावना फैलाना होगा क्योकि  हमारे जीवन में गौरैया बहुत महत्व  है |

आशा है कि हमारे इस प्रयास से लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो सकेगा  और उसके संरंक्षण के लिए  हम सभी मिलकर अपने घर और आस पास के इलाकों में गौरैया के लिए घर और खाने पीने के लिए मिट्टी के बर्तन की व्यवस्था करेंगे !

मैं सच कहूँ  तो मुझे इस पक्षी से भावनात्मक लगाव है क्योकि करीब ३० वर्षों से हमारे घर में यह मेरा दोस्त बन कर रह रही है |

मुझे आज भी याद है वह दिन … मैंने  अपना नया घर बनवाया था | मेरे ड्राइंग रूम (drawing room) का रोशनदान खुला था,  इसलिए उस पर एक कार्टून का बक्सा रख दिया था ताकि बाहर से धुल और गन्दगी अन्दर नहीं आ सके |

लेकिन एक सप्ताह के बैंक के ट्रेनिंग के बाद जब वापस घर आया तो मेरे जिज्ञासा का ठिकाना नहीं रहा |. .

उस कार्टून में किसी शिल्पी के तरह गौरैया ने  गोल गोल छेद  बना कर करीब सात-आठ घोसले बना लिए थे | सुबह सुबह उसकी चहचहाते की  आवाज़ सुन कर मेरी नींद खुल गयी |

फिर तो मैंने  रोज उसी एक जगह पर चावल और पानी रखने की व्यवस्था कर दी | और वे सब अपना अधिकार समझ कर फुदक फुदक कर खाती और आस पास खेलती |

करीब सात आठ जोड़े अपने उसी घोसले में रहने लगी | तब से आज तक वह मेरे घर का हिस्सा है |

यह मासूम चिड़िया हमेशा घरों में व मानवीय बस्तियों के पास ही रहना पसंद करती है। यह  इंसानों के बेहद करीब मानी जाती है इसलिए यह जंगलों या जहाँ इंसान नहीं रहते है वहाँ विरले ही दिखाई देती है |

यह गौरैया पक्षी दाने के साथ साथ हमारे प्यार की भी भूखी होती है |

जब जाड़े के दिनों में मैं बरामदा में बैठ कर खाना खाता तो यह गौरैया भी खाने के लिए आसपास व ऊपर नीचे उड़ना शुरू कर देती |  जोर-जोर से शोर मचाकर हक से अपना हिस्सा माँगती । शायद वह मुझे एहसास दिला रही होती है कि वह भी हमारे  परिवार का ही एक हिस्सा है ।

कभी कभी कुछ घटनाएं ऐसी भी घट जाती है जो दिमाग में स्मृति बन कर बैठ जाती है |.

गर्मी का दिन था और ड्राइंग रूम का पंखा चल रहा था |  सुबह सुबह हमलोग सभी TV में  महाभारत देख रहे थे | चिड़ियाँ सब रोशनदान में बने घोसले के आस पास चहचहाहट के शोर के साथ खेल रहे थे |

 तभी अचानक पंखे से किसी चीज़ की टकराने की आवाज़ आयी |  हमारा ध्यान जैसे ही उधर गया तो पाया कि एक नर चिडिया पंखे से टकरा कर एक कोने में जा गिरी है |

हम सभी दौड़ कर उस ओर भागे और उस चिड़ियाँ को हाथ में लेकर पानी पिलाना चाहा |

पहले तो हमें देख कर वह डर गयी लेकिन फिर थोडा सा  दुलार और सुरक्षा का भाव महसूस करते ही वह थोड़ी सहज हो गयी |

मैंने पाया कि उसके पैर और पंख घायल है | घर के सभी सदस्य उसके उपचार में जुट गए |

मैंने पानी पिलाया और फिर दवा  लगाया | दिन भर तो उसकी देख भाल होती रही और रात को एक छोटी टोकरी में रख कर अपने रूम में ही रखा |

लेकिन जब सुबह उठा तो मेरे आँखों में आँसू छलक आये , वह मर चूका था और उसकी पत्नी चिड़ि उदास अपने घोसले के पास अकेली बैठी थी |

कुछ दिनों तक मैंने  उस अकेली चिड़ि को watch करता रहा | फिर करीब एक सप्ताह के बाद  पाया कि एक दूसरा चिड़ा उसके साथ आ चूका है और वह पहले की तरह फिर से ख़ुशी ख़ुशी चहक फुदक रही है | जैसे सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो चूका था | मेरे दिल को  तसल्ली हुई |

फिर एक और अजीब दृश्य देखा | मैं नया नया ड्राइंग रूम में बेसिन लगवाया था और उसके ऊपर बड़ा सा mirror टांग दिया था | जो कि रोशन दान और उन गौरया के घर के पास था |

वही  चिड़ि रोज सुबह सुबह  mirror के सामने आती और अपने प्रतिबिम्ब को mirror में देख कर उसमे खूब चोच से मारती रहती ,  जैसे वह कोई दूसरी चिड़ि हो |

 यह सिलसिला रोज देखता और मैं अपने मन में उसकी  मानसिकता को समझने की कोशिश करता | यह सिर्फ वही चिड़ि कर रही थी जिसका चिड़ा मर गया था  |

मैं उसे अच्छी तरह पहचानता था क्योकि उसके एक पैर नहीं थे | मुझे उनलोगों की दिनचर्या देखने में बहुत मज़ा आता था और मेरा सन्डे को तो दिन भर उसी के साथ बीतता,  क्योकि उससे दोस्ती जो हो गयी थी |

लोग कहते है कि गौरया चार पाँच सालों तक जीवित रहती है | मुझे नहीं पता कि उसकी उम्र क्या थी लेकिन एक दिन की अप्रिय घटना ने जैसे मुझे अन्दर तक झकझोड़ दिया |

रात में मैं सोया था |  करीब 2 बजे रात में अचानक ड्राइंग रूम में उस गौरैया की ची ची की आवाज़ आयी | मेरी नींद खुल चुकी थी और मैं दौड़ कर ड्राइंग रूम में जाकर लाइट ऑन किया |

..एक काली बिल्ली को उस चिड़ि को मुँह में दबाए जाते हुए देखा… शायद बेसिन लगाने से उस पर चढ़ कर उसके घोसले तक पहुँचना बिल्ली के लिए आसान हो गया  था |

वैसे सभी को एक न एक दिन मरना तो है ही और जीवन मरण ऊपर वाले के हाथ में है |

लेकिन कुछ मौत विशेष परिस्थितियों में हो जाती है,  जिसके जिम्मेदार हम न चाहते हुए भी बन जाते है .. और इस बात का हमेशा ही अफ़सोस रहता है कि हमारे कारण  ही किसी निर्दोष की जान चली गयी | आज तक मैं अपने को उसका गुनाहगार मानता हूँ |

दोस्तों , जैसा कि हम सभी जानते है कि अगर पर्यावरण बचाना है तो हमें ना सिर्फ पेड़ पौधों को बचाना होगा,  बल्कि जंगलो में रहने वाले जीव जंतु और पशु को भी बचाना होगा |  हमारे घरों के मुदेंरो पर और आसपास रहने वाले पक्षियों को भी हमें बचाना होगा |

यह तो सत्य है कि इन पक्षियों के अस्तित्व खतरे में है । लेकिन हम अपनी इस दोस्त के संरक्षण के लिए अपने स्तर पर कुछ कदम उठा सकते हैं |

कृपया निम्न बिन्दुओ पर विचार करें…

  • सबसे पहली बात कि अगर हमारे घर में गौरैया घोंसला बनाए, तो उसे बनाने दें और  नियमित रूप से अपने आंगन, खिड़कियों और घर की बाहरी दीवारों पर उनके लिए दाना-पानी रखें। 
  • गर्मियों में न जाने कितनी गौरैया प्यास से मर जाती हैं। इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने छतों में और पेड़ों पर पानी के छोटे-मोटे बर्तन भर के रख दें। जिनसे सूखे के दिनों में सभी पक्षी अपनी प्यास बुझा सकें।
  • अपने घर के आस-पास अधिक से अधिक पेड़ व छोटे पौधे लगाएँ जिनसे उनके लिए प्राकृतिक आवास की उपलब्धता भी हो सके ।
  • नियमित रूप से उनको अपने आँगन में आवाज देकर बुलाकर दाना खिलाएँ, देखियें वो हमारी भाषा कैसे समझ लेती है और आप का साथी बन जाती है।
  • आखिरी में सबसे जरूरी कदम जिससे काफी मदद मिल रही है ….. वह है गौरैया के लिए कृत्रिम घर तैयार करना।  कृत्रिम घर बनाना काफी कम खर्चे वाला और आसान है | आज इंटरनेट पर गौरैया के लिए कृत्रिम घर बनाने के हजारों सुझाव उपलब्ध हैं।
  • हमारे घर में फालतू पड़ी पुरानी बोतलें,  ड़ब्बे,  खाल पेटियों की तख्तियों की मदद से,  पुराने छोटे मटकों आदि की मदद से हम अपनी नन्हीं दोस्त के लिए कृतिम घर तैयार कर अपने हुनर का परिचय दे सकते हैं ।

अगर ऐसा होता है तो  हमारे घर आँगन को अपनी चहचहाहट से, खुशी से भर देने वाली नन्हीं दोस्त को हम विलुप्त होने से बचा सकते हैं, |

धुंध की दीवार हेतु नीचे link पर click करे..

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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www.retiredkalam.com



Categories: मेरे संस्मरण

10 replies

  1. very informative, we should preserve them. thanks for sharing.

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  2. Ji bilkul
    Sahi likha aapne

    Plz sir share and subscribe my YouTube channel
    https://youtube.com/@surinderblackpen
    Share it plz

    Liked by 1 person

  3. Sir, yeh blog padke kafi acha laga!!

    In kisso ko janke acha laga

    hamare phele yeh chidya ati thi, par har jagah ghar ban jane se, aur pollution se ab ni ati.

    Kuch anya ati he, lekin yeh ni. Is din ki importance batane k lie shukriya sir.

    Liked by 1 person

    • बिलकुल सही कहा डियर | आज के शहरीकरण भी एक कारण है इसके लुप्त होने के |
      अपने विचार व्यक्त करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

      Liked by 1 person

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