
आनंदिया की यात्रा के आज 20 दिन हो चुके थे और वह बिना किसी परेशानी के अपनी मकसद की ओर धीरे – धीरे बढ़ रहा था | लेकिन उसे पता था कि अफगानिस्तान में थोड़ी परेशानी ज़रूर आने वाली है | हालांकि उसे इंडिया से पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान की सीमा में दाखिल होने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा |
लेकिन जब वह काबुल की ओर बढ़ रहा था तो उसे बंजर और पहाड़ी रास्तों का सामना करना पड़ रहा था | अभी वह कुछ दूर ही गया था कि अचानक कुछ बदमाश लोगों ने आनंदिया को पकड़ लिया और फिर उसे अपने सरदार के पास ले गए | शायद वे लोग किसी कबीले से संबन्धित थे | वे लोग खूंखार और अपराधी किस्म के दिख रहे थे |

कबीले के लोग लूटने के इरादे से उसे अगवा किया था | लेकिन आनंदिया के पास तो खाने के भी पैसे नहीं थे | उसकी प्रेम कहानी को सुन कर कबीले के सरदार को आनंदिया पर दया आ गई | उसने उसे रात में खाना खिला कर सोने का इंतज़ाम कर दिया | उस जंगली इलाके में आनंदिया को डर से नींद भी नहीं आई | लेकिन यह जान कर उसे तसल्ली थी कि ये लोग उसकी जान नहीं लेंगे |
सुबह आनंदिया आगे के सफर की तैयारी कर ही रहा था कि कबीले के सरदार ने एक सामान आनंदिया को देते हुये कहा कि स्वीडन – बार्डर के पास उसके एक सगे संबंधी है, उसके हवाले वह पैकेट कर देना है | आनंदिया इसके लिए सहर्ष तैयार हो गया, क्योंकि उन लोगों ने उसे आगे की सफर के लिए उसकी मदद कर रहे थे |
सरदार ने उसे कुछ पैसे भी दिये ताकि रास्ते में उसके खाने पीने का इंतज़ाम हो सके | हालांकि आनंदिया को अनुमान था कि आगे का सफर आसान नहीं है | लेकिन उसकी हिम्मत और पक्का इरादा आगे बढ़ते जाने के लिए उसे प्रेरित कर रहा था |

वह आनंदिया अपनी प्रेमिका से मिलने की आस लिए अपने साइकिल से सफर करते हुए रास्ते में अनेक मुश्किलों का सामना किया । उसे न तो सही समय पर भोजन मिल पाता था और न ही ठहरने के लिए कोई सही स्थान मिलता था। फिर भी वह अपने जुनून के कारण साइकिल चलाता हुआ आगे बढ़ता रहा ।
कभी – कभी तो उसे लगता था कि वह अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच पाएगा और फिर कभी अपनी पत्नी से नहीं मिल पाएगा। ऐसा सोच कर उसका मन बहुत उदास हो जाता था | लेकिन आनंदिया अपने सपनों के लिए अपने विचारों की लड़ाई लड़ता रहा। उसके जुनून को देख कर लोग उसका मज़ाक भी उड़ाते थे | लोगों को लगता था कि आनंदिया अपने मिशन में कामयाब नहीं हो पाएगा |
लेकिन आज उसने अपनी सारी मुश्किलों का सामना कर लिया था और अब बस एक ही पड़ाव बाकी रह गयी थी और उसे अपनी मंज़िल नजदीक दिखाई दे रही थी |
उसने ईरान, तुर्की, बुल्गारिया, युगोस्लाविया, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क तक का सफर पूरा कर लिया था|

लगभग 7,000 किलोमीटर का सफर उसने इस साधारण सी साइकिल से तय कर लिया था | अंत में उसे स्वीडन के अंतिम स्थान तक पहुंचना था। यहाँ से उसे गोथेनबर्ग जाना था जहां अपनी प्रेयसी से मिल सकेगा | वह मन ही मन, इन सभी बातों में उलझा हुआ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था, तभी बार्डर पर चेकिंग के दौरान पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया | उसके पास न तो वीज़ा थी और न ही पासपोर्ट | इस मामले में वहाँ का कानून बहुत सख्त था | इसलिए उसे जेल में डाल दिया गया |
अपने मकसद में नाकामयाब होता देख आनंदिया का दिल बैठा जा रहा था | उसने पुलिस अधिकारी को सच – सच अपनी पूरी कहानी बताई और यह भी कहा कि वह बहुत गरीब है और इसी कारण वह ज़रूरी कागजात नहीं बनवा सका |
लेकिन आनंदिया की फरियाद पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा था और मदद करने वाला भी वहाँ कोई नहीं था | पुलिस ने भी उसकी मदद करने से इंकार कर दिया |
अब आनंदिया के दिन जेल के सलाखों के पीछे बीत रहे थे | एक – एक दिन जैसे काटना मुश्किल हो रहा था | वह हर पल चारलोट को याद करता पर उसकी भावनाओं को समझने वाला वहाँ कोई नहीं था |
इधर चारलोट उसकी राह देखती रही | आनंदिया के बारे में उसे कोई समाचार नहीं मिल पा रहा था , लेकिन उसे अब भी भरोसा था की वह ज़रूर यहाँ तक पहुँच जाएगा | लेकिन दिन बीतते गए और इस तरह पिता को दिया हुआ वचन, और उसके छः महीने का मियाद भी समाप्त हो गया |
अब उसके पिता ने चारलोट को शादी करने के लिए उस पर दबाब बनाने लगे, लेकिन चारलोट का दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि वह अपने आनंदिया के अलावा किसी दूसरे पुरुष से शादी कर ले |

दूसरे दिन, इसी उधेड़ बुन में चारलोट ने अपने दिल का फैसला सुनाने के लिए अपने पिता के कमरे में गई | तभी उसके होश उड़ गए | उसने देखा कि पिता के मुंह से खून निकल रहा है और शायद उनकी मृत्यु तय थी | चारलोट को यह देख उसके मुंह से चीख निकल गई | माँ को तो उसने पहले ही खो दिया था, अब पिता भी नहीं रहेंगे, ऐसा सोचते ही उसके आँखों से आँसू बहने लगे |
चारलोट की चीख – पुकार सुन कर घर के नौकर चाकर दौड़ पड़े और उन्हें तुरंत पिता को हॉस्पिटल में भरतीं किया गया | (क्रमशः)
आगे की घटना हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: story
रोचक कहानी
LikeLiked by 2 people
बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
LikeLike
Interesting story.
LikeLiked by 1 person
Thank you so much.
LikeLike
Interesting story
LikeLiked by 1 person
Thank you so much, dear.
LikeLike
Good
LikeLiked by 1 person
Thank you so much.
LikeLike