
आनंदिया की याद में उधर उसकी प्रेमिका “चारलोट” का भी यही हाल था | वह हर पल आनंदिया को याद करती और भगवान से दुआ करती कि वह जल्द से जल्द आनंदिया से उसे मिला दे |
लेकिन उसके पिता के मन में तो कुछ और चल रहा था | उन्होने चारलोट से साफ – साफ लहजे में कह दिया कि एक माह के भीतर अगर आनंदिया नहीं आया तो फिर चारलोट की शादी उससे कर दी जाएगी जहां वे चाहते है |
चारलोट इन सब बातों से बहुत परेशान थी, तभी आनंदिया की चिट्ठी उसे प्राप्त हुई | उस चिट्ठी से पता चला कि आनंदिया साइकल से आठ देशों को पार करता हुआ हैप्पी ट्रेल रूट से यहाँ आ रहा है |
चारलोट को इस रूट के बारे में पता था और उसने अनुमान लगा लिया कि यहाँ तक पहुँचने में आनंदिया को कम से कम 6 माह का समय लग जाएगा | उसे अपने प्यार पर भरोसा था | आनंदीय तो एक खुद्दार इंसान है उसने तो मुझसे पैसों की सहायता लेने से माना कर दिया है, लेकिन उसने यहाँ आने का हौसला नहीं छोड़ा है | चारलोट को उम्मीद हो चली थी कि वह जल्द ही उससे मिल सकेगी |
वो अपने पिता को भी नाराज़ नहीं कर सकती थी | इसलिए उसने मन ही मन इसका एक उपाय सोचा, जिससे समस्या का समाधान निकल सकता था |

चारलोट ने अपने पिता के पास जा कर कहा – पिता जी, मुझे 6 महीने का समय दीजिये, फिर उसके बाद आप जहां कहेंगे मैं वहाँ शादी करने को राज़ी हो जाऊँगी |
हाँ, अगर इस बीच आनंदिया यहाँ आ गया तो आप उसे स्वीकार कर लेंगे, आप मुझे वचन दीजिये |
उसके पिता को भी पता चल चुका था कि आनंदिया साइकल से यहाँ आने की कोशिश कर रहा है | उसके इस निर्णय पर उन्हें हंसी आ रही थी | आज तक के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ था कि किसी ने साइकल से इतनी दूर की यात्रा करने का साहस किया हो |
उन्हे पूरा विश्वास था कि कुछ ही दूरी तय करने के बाद वह इस यात्रा को समाप्त कर देगा | उसके पास तो वीज़ा भी नहीं है | इन सब बातों को ध्यान में रख कर पिता ने चारलोट की शर्त मान ली और उसे 6 माह का समय दे दिया | उन्हें चारलोट की ऐसी शर्त रखने पर हंसी आ रही थी |

इधर आनंदिया ने भी हार नहीं मानी | उसके अंदर एक जुनून था , वह किसी भी तरह चारलोट से मिलने का अपना वादा पूरा करना चाहता था |
उसने अपनी पेंटिंग से एक बैनर बनाया , जिसमें दुनिया के लिए एक शांति – संदेश लिखा और यह लिखा कि वह अपनी साइकिल से विश्व – भ्रमण इसलिए कर रहा है कि विश्व में शांति और प्यार का संदेश फैलाया जा सके |
अपनी साइकिल से उन रास्तों से सफर करते हुए वह शांति और प्यार का संदेश दुनिया में फैलाना का प्रण वह ले चुका था | उसके साइकिल पर ज्यादा कुछ सामान नहीं थे | बस पेंटिंग के कुछ सामग्री और दिल में हौसला था |
आनंदिया ने यात्रा शुरू करने से पहले हिप्पी ट्रेल रूट के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर ली | उसे पता चला कि दिल्ली से यात्रा शुरू करते हुए अमृतसर, अफगानिस्तान, ईरान, तुर्की, बुल्गारिया, युगोस्लाविया, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क होते हुए स्वीडन पहुँचना है |
हालाँकि उसके साथ रह रहे दोस्त ने बहुत समझाया कि वहाँ तक साइकल से पहुँचना संभव नहीं है | लेकिन कहते है न कि अगर प्यार सच्चा हो तो लोग कठिन से कठिन बाधा को भी पार कर लेते है | उसने अपने दोस्त से विदा ली और फिर भगवान जगन्नाथ को प्रणाम कर दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू कर दी |

सचमुच, आनंदिया में गज़ब का जोश आ गया | सात दिनो की साइकल से यात्रा कर वह अमृतसर पहुँच गया | वह रोज़ करीब 70-80 किलोमीटर की यात्रा करता और फिर रात किसी ढाबे में बिताता था | लेकिन अब उसने पास पैसे समाप्त हो चुके थे और उसे आगे बहुत दूर तक जाना था |
उसके मन में एक विचार आया कि क्यों न मैं रास्ते में रुक कर लोगों की तस्वीरे बनाऊँ और उसके बदले में मुझे खाना और रात गुजरने का ठिकाना तो मिल ही सकता है | और ऐसा ही हुआ |
अमृतसर पहुँचने के बाद आनंदिया को पता चला कि यहाँ के एक जमींदार बहुत दयालु और जो कला के पारखी भी है | मौका पाकर आनंदिया उस जमींदार से मिला | अपनी कला का परिचय देते हुए आनंदिया ने उस जमींदार की एक तस्वीर बनाई और उन्हें अपनी तरफ से तोहफा के रूप में दिया |
जमींदार साहब अपनी सुंदर पेंटिंग देख कर आश्चर्यचकित हो गए | उसके कला की उन्होंने तारीफ की और सहर्ष उसके इस भेंट को स्वीकार कर लिया | वे बड़े ही नेक दिल इंसान थे और वे सबों की मदद करते थे |
उन्होंने आनंदिया द्वारा साइकिल से शांति – संदेश सारी दुनिया में फैलाने की भावना की भी तारीफ की | आनंदिया को रास्ते के लिए कुछ पैसे दिये | इतना ही नहीं उन्होंने एक प्रशस्ति पत्र भी दिया, जिससे दूसरे देश के बार्डर पार करने में सहायता मिल सकती थी |
आनंदिया उनसे आशीर्वाद पाकर आगे की यात्रा शुरू की | अगला चुनौती पूर्ण काम था अफगानिस्तान की बार्डर को पार करना और काबुल तक पहुँचना था | और अमृतसर से उसकी दूरी करीब 600 किलोमीटर थी | आनंदिया को लगातार आठ दिन साइकिल चलाने के बाद अब तो दिन भर साइकिल चलाने की आदत सी पड़ गई थी और थकान भी कम महसूस होती थी |

आनंदिया की यात्रा का आज 20 दिन हो चुके थे और वह बिना किसी परेशानी के अपनी मकसद की ओर धीरे धीरे बढ़ रहा था | लेकिन उसे पता था कि अफगानिस्तान में थोड़ी परेशानी ज़रूर आने वाली है | हालांकि उसे इंडिया के बार्डर पार कर अफगानिस्तान की सीमा में दाखिल होने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा |
लेकिन जब वह काबुल की ओर बढ़ रहा था तो उसे बंजर और पहाड़ी रास्तों का सामना करना पड़ रहा था | अभी वह कुछ दूर ही गया था कि अचानक कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसे पकड़ कर अपने सरदार के पास ले गए | शायद वे लोग किसी कबीले से संबन्धित थे | (क्रमशः )
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Categories: story
Beautiful story of Charlotti and Anandiya! 👌👌
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Thank you.. Please see the end.
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रोचक कहानी
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Thank you so much, dear.
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Marvelous blog ☺️🙏
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Thank you so much, Sir.
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🙏🙏
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Stay happy and stay blessed.
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Love your drawings!
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Thank you so much.😊😊
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दिलचस्प
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बहुत बहुत धन्यवाद |
आप इस कहानी का क्लाइमैक्स ज़रूर देखें |
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