
आनंदिया को अब तुरंत पैसों की ज़रूरत थी, ताकि प्लेन के टिकट का जुगाड़ हो सके | इसके अलावा वीज़ा और पासपोर्ट के लिए भी पैसे चाहिए |
इसलिए वह अब रोज़ ज्यादा काम करने लगा, और तरह तरह की तरकीबें सोचने लगा ताकि वह अपनी प्रेयसी चारलोट से मिल सके | उसे अब जुदाई सहन नहीं हो रही थी | उधर चारलोट के पत्र से उसे पता चला कि उसके पिता उसकी दूसरी शादी करने को आमादा है | इन्हीं सब कारणों से आनंदिया परेशान हो रहा था |
तभी उसकी मुलाक़ात वीज़ा और पासपोर्ट दिलाने वाले एक दलाल से हुई | उस दलाल ने आनंदिया को भरोसा दिलाया कि एक सप्ताह में उसका वीज़ा मिल सकता है, अगर वह 50000 रुपए का जुगाड़ कर सके |
अब तो आनंदिया को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वह चारलोट के बिना नहीं जी सकता है, अतः उसे जितनी जल्द हो सके चारलोट के पास पहुँचना होगा | लेकिन 50000 रुपए की बड़ी रकम कहाँ से लाये ? तभी उसने मन में ख्याल आया कि मुझे तो अब चारलोट के पास रहना है तो गाँव का पुराना घर रख कर क्या करेंगे और वह उसे बेचने के ख्याल से अपने गाँव निकल पड़ा |

सात दिनों के अथक प्रयास से उसे कामयाबी मिल गई और उसका घर बिक गया | पचास हज़ार रुपए मिलते ही उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा | उसे विश्वास हो चला था कि अब उसे चारलोट से मिलने से कोई रोक नहीं सकता |
वह पैसे लेकर खुशी – खुशी दिल्ली आ गया | उसने दलाल के हाथों पैसे दिये और निवेदन किया कि जल्द से जल्द वह उसके लिए वीज़ा और टिकट का इंतजाम कर दे |
उस दलाल ने पैसे लेकर आश्वासन दिया कि सात दिनो के अंदर काम हो जाएगा | अब आनंदिया एक – एक दिन गिनने लगा और वह आने वाले सुनहरे सपनों में जीने लगा | इस तरह सात दिन बीत गए | वह कुतुब मीनार के उस अड्डे पर जाकर उस दलाल का इंतज़ार करने लगा | वह दलाल उसे रोज़ तो वहीं मिलता था |
लेकिन यह क्या ! सुबह से शाम हो गई और उस दलाल को कोई आता पता नहीं था | आनंदिया ने सोचा कि शायद वीज़ा बनाने में शायद कुछ देर होने के कारण वह नहीं आ पा रहा है |
इसलिए वह रोज़ उस जगह पर जाकर अपने पेंटिंग भी करता और सुबह से शाम तक उस दलाल का इंतज़ार भी करता |
इस तरह एक महीने बीत गए लेकिन वह दलाल कहीं भी नहीं दिखा | आनंदिया को अब महसूस होने लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है | वह दलाल उसके पैसे लेकर भाग गया है | उसे पैसे देने के पहले उसके बारे में पता लगाना चाहिए था | लेकिन अब तो देर हो चुकी थी |आनंदिया अब तो लूट चुका था | उसके सपने टूटते नज़र आ रहे थे, उसके आंखों से आँसू का सैलाब उमड़ पड़ा |

तभी उसकी नज़र एक पुराना अखबार पर पड़ी | जिसमें साइकिल से दुनिया का भ्रमण, करने वाले एक जुनूनी आदमी का समाचार छपा था |
वह आदमी विश्व – शांति फैलने के मकसद से साइकिल से ही अपने देश से दूसरे देश का भ्रमण कर रहा था | दरअसल यह एक हिप्पी – ट्रेल रूट था जिसके द्वारा साइकिल चला कर एक देश से दूसरे देश जाया जा सकता है |
कभी अंग्रेजों के जमाने में कोलकाता से लंदन तक बस से सफर इसी हिप्पी ट्रेल रूट से की जा सकती थी | उस रूट पर रोड से भारत से यूरोप तक का सफर किया जा सकता था |
आनंदिया ने मन ही मन ठान लिया कि उसे अब अपनी चारलोट के पास जाना ही है , चाहे कितने भी मुसीबतों का सामना करना पड़े | वह कुतुब मीनार के पास बैठा इन्हीं सब बातों को सोच रहा था तभी आनंदिया ने देखा कि एक बुजुर्ग अपने पत्नी के साथ आ कर पास के एक बेंच पर बैठ गया | उम्र कोई 70 वर्ष थी, लेकिन चेहरे पर खुशी थी और उनके चेहरे पर शानदार मूंछ अच्छी लग रही थी | वे पत्नी के साथ बैठे कुतुब मीनार को निहार रहे थे और सिगार पी रहे थे |
उन दोनों को इस बुढ़ापे में भी इतना खुश देख कर आनंदिया को बहुत अच्छा लगा | वह वहाँ बैठे – बैठे 10 मिनट में उन दोनों की एक सुंदर तस्वीर बना डाली | आनंदिया ने उन लोगों के पास जाकर हैलो कहा और अपनी बनाई हुई वह पेंटिंग उन्हें गिफ्ट कर दी |

उस बुजुर्ग को अपनी पेंटिंग देख कर बहुत आश्चर्य हुआ और जिस सम्मान के साथ उसे गिफ्ट किया उससे उन्हें बहुत खुशी भी हुई | वो बुजुर्ग आनंदिया की ओर देख कर कहा – तुम एक उम्दा कलाकार हो | मैं तुम्हारी इस गिफ्ट को यादगार के तौर पर अपने पास रखूँगा | इसके बदले मैं भी तुम्हें एक गिफ्ट देना चाहता हूँ | इतना कहते हुए उन्होंने अपनी पॉकेट में हाथ डाला और एक सोने का सिक्का निकाल कर आनंदिया के हाथ पर रख दिया |
आनंदिया सोने का सिक्का पाकर बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसके मन में चल रहे विचार को अब पंख मिल चुके थे |
जी हाँ, आनंदिया ने उन पैसो से एक साइकिल खरीदी और दुनिया के भ्रमण पर निकलने की तैयारी में जुट गया | उसने उस हिप्पी ट्रेल रूट से साइकिल चला कर चारलोट के पास स्वीडन जाने का फैसला किया | लेकिन उसके पास वीज़ा और पासपोर्ट तो था नहीं | फिर भी उसने हार नहीं मानी |

वह अपनी पेंटिंग से एक बैनर बनाया , जिसमें दुनिया के लिए शांति – संदेश लिखा और अपनी साइकिल से वह संदेश दुनिया में फैलाना का प्रण किया | उसके साइकिल पर कुछ ज्यादा समान नहीं थे | बस पेंटिंग के समान और दिल में हौसला था |
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Nice trips
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Thank you so much.
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अच्छी कहानी।
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Thank you so much, dear.
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Achhi Kahani. 👌👌👌
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Thank you so much, dear.
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Good morning Sir! Happy Monday! Hoping you start the day and the week with blessings and creativity. All the best.
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Thank you so much, Sir.
I just started my day routine.
what about you, Sir?
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You’re welcome Sir. Yes, I am starting off a tad late as I had to go to the art store to buy a new canvas for a new painting I will try to start today. All the best and may you accomplish a lot of good things today.
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That is great, Sir. All the best.
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Thank you!
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Have a nice day, Sir.
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Thank you so much Sir!
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What about an evening party?😂😂
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Nice
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Thank you so much.😊😊
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