#एक जुनून  ऐसा भी-1 #

दोस्तों,

आज मैंने पढ़ा कि एक हंगेरियन जिसका नाम अत्तिला बर्था है, वह साइकिल से दुनिया के दौरे पर हैं | जिन्होंने एक साल में बुडापेस्ट और कोलकाता के बीच 12,000 किमी से अधिक की दूरी साइकिल से तय की है और अंततः गुरुवार को कोलकाता, भारत मे पहुंचे |  यहाँ उत्तरी कोलकाता साइक्लिंग क्लब की लड़कियों  से ‘भाई फोटा” प्राप्त किया |

हंगेरियन साइकिल चालक अत्तिला बर्था इस सम्मान से अभिभूत हो गए । भावुक बर्था ने कहा, “मेरी भारतीय बहनों ने  मेरे लंबे जीवन की कामना की है और मैंने कामना की है कि उन सबों के जीवन में पंख लग जाये ।

वे बुढ़ापेस्ट मे फिल्म एडिटिंग का काम करते है | वे  एक साल तक लगातार साइकिल चला कर 12000 किलोमीटर की  यात्रा की है और  22 देशों, जिसमे टर्की, ईरान , और पाकिस्तान  के रास्तों को पार करते हुये इंडिया पहुंचे |  यह कैसा जुनून है ?

हाँ ,इसे जुनून ही कहा जा सकता है |

जुनून यानि  पागलपन, उन्माद या , दीवानगी भी कह सकते है | आज इस घटना को पढ़ कर मुझे एक बड़े ही खूबसूरत प्रेम कहानी की याद आ गई , जिसे मैं यहाँ आप सब लोगों के साथ शेयर करना चाहता हूँ |

यह सच है कि जुनून में इंसान कुछ भी असंभव लगने वाला काम भी कर सकता है |

ऐसी ही एक जुनूनी और एक सच्ची प्रेम कहानी के बारे में पढ़ा था | लोग कहते है न कि प्यार एक एहसास है | दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं जिसने कभी प्यार न किया हो | प्यार किसी से भी, किसी भी उम्र में हो सकता है | कभी कभी प्यार जुनून के हद तक पार कर जाता है |

कहानी कुछ इस प्रकार है |

एक छोटा सा बालक, नाम था आनंदिया | उड़ीसा के एक छोटे से गाँव बाँकी में रहता था | उसके पिता राज मिस्त्री का काम करते थे | गरीबी में जीवन कट रही थी , लेकिन खुशहाल परिवार था |

हालांकि वह एक छोटे जाति में पैदा हुआ था , इसलिए गाँव और स्कूल सभी जगह उससे अक्सर भेद भाव किया जाता था  | वो आज़ादी के पहले का दौर  था और समाज में  उंच-नीच, गरीबी -अमीरी का बोल बाला था |  वह इस सामाजिक व्यवस्था से नफरत करता था | वह कभी बहुत उदास हो जाता तो अपनी माँ के पूछता – हमारे समाज में हमसे हमारे गाँव वाले ही इतना भेद भाव क्यों करते है |

इस पर माँ प्यार से समझाती – अभी तू बहुत छोटा है, सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे | धीरे धीरे समय बदलेगा, व्यवस्था बदलेगा और फिर यह सभी भेद – भाव समाप्त हो जाएगा , फिर स्वराज आएगा |

नंदिया बचपन से ही पढ़ने – लिखने में मेघावी  था | वो खूब पढ़ – लिख कर बड़ा आदमी बनना चाहता था | वह अभी दसवीं में पहुंचा ही था कि अचानक एक दिन उसके पिता राज मिस्त्री का काम करते हुये एक हादसे में उनकी मृत्यु हो जाती है | आनंदिया पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा | ठेकेदार ने हालांकि मदद के तौर पर कुछ पैसे दिये लेकिन वो भी जल्द ही खर्च हो गए |

कहने को तो समाज है, रिश्तेदार है, लेकिन विपत्ति के समय कोई भी मदद को नहीं आता |  अब तो खाने के लाले पड़  गए | एक माँ थी जो बिलकुल अनपढ़ थी , लेकिन वह बहुत हिम्मत वाली थी | नंदिया जब अपनी किस्मत पर रोता तो उसे उसकी माँ हिम्मत दिलाती |

नंदीय की माँ ने  जल्द ही दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम शुरू कर दिया और खाली समय में घर में पड़े पुराने सिलाई मशीन से गाँव के लोगों के कपड़े की सिलाई करने लगी | इस तरह डगमगाते घर को थोड़ा सहारा मिल सका |

इधर आनंदिया किसी तरह गाँव के स्कूल की  पढ़ाई तो पूरी कर ली, लेकिन कॉलेज में दाखिला के लिए शहर जाना होगा और उसके लिए घर में पैसे नहीं थे | अतः उसकी पढ़ाई छुट गई | उसने  तय किया कि वह भी कोई छोटा मोटा काम करके माँ की मदद करेगा,  घर को सहारा देने में मदद करेगा | 

मजदूरी का काम उससे  तो हो नहीं सकता था | लेकिन वह चित्रकारी बहुत सुंदर करता था | उसने मन ही मन इसी काम को अपना प्रॉफ़ेशन बनाने का फैसला कर लिया |

वह गाँव के लोगों की  तस्वीर बनाने लगा जिससे उसकी कुछ कमाई हो जाया करती थी |

गाँव के मुखिया जी  आनंदिया की  इस प्रतिभा से बहुत प्रभावित हो गए | आनंदिया की प्रतिभा को देखते हुये , उसे पूरी ले आए , जहां वह  समुद्र के किनारे रेत से तरह – तरह के चित्र बनाने लगा | इस तरह वहाँ आए विदेशी पर्यटकॉ  से कुछ आमदनी  होने लगी | कुछ ही दिनों में उसने कुछ पैसे जमा कर लिए | अब वह किसी बड़े शहर में जाकर अपनी इस हुनर से ज्यादा पैसे कमाने की  सोच रहा था |

उसका एक दोस्त दिल्ली में पढ़ाई करता था | उसकी मदद से वह दिल्ली पहुँच गया | वहाँ कुतुब मीनार के पास बैठता और वहाँ आए पर्यटकों की  तस्वीर बनाता | उसमे इतनी अच्छी हुनर थी कि कोई पर्यटक वहाँ घूमने आता तो उसे बिना बताए 10 मिनट में उसकी तस्वीर बना देता और फिर उसी को सर्प्राइज़ के रूप में वह तस्वीर दिखाता और उनको गिफ्ट कर देता | उनसे जो कुछ पैसे मिलते वह खुशी खुशी रख लेता |

इस तरह कुछ आमदनी हो जाती और दिन ब दिन उनकी कलाकारी में निखार भी आने लगा |

एक दिन तो कुछ खास घटना घटी , जिसका उसे बहुत बड़ा इनाम मिला |

हुआ यूं कि एक विदेशी लड़की कुतुब मीनार घूमने आई | उसके साथ एक आदमी था , शायद उसका बॉय फ्रेंड होगा |  लेकिन लड़का था इंडियन | वे दोनों एक बेंच पर बैठ कर कॉफी पी रहे थे और कुतुब मीनार और उसके आस पास के नज़ारे का मज़ा ले रहे थे |

अपनी आदत के अनुसार आनंदिया उन लोगों को  बिना कुछ बताए तस्वीर बनाने लगा | करीब दस मिनट में ही  उन दोनों की  तस्वीर तैयार कर ली | उसने सोचा कि यह तस्वीर उस लड़की को सर्प्राइज़  गिफ्ट करेगा , जिससे उसे अच्छे पैसे मिलेंगे |

तभी वहाँ अचानक भीड़ लग गई और आनंदिया ने जब नजदीक जाकर देखा तो वह लड़की रो रही थी | क्योंकि साथ वाला वह आदमी गाइड बन कर लड़की के साथ आया था और फिर मौका पा कर उसका बैग  ले कर भाग गया | वह लड़की स्वीडन से इंडिया घूमने  आई थी और  उस आदमी के बारे में कुछ नहीं जानती थी | उसके बैग में पासपोर्ट वीज़ा सभी कुछ था  | इसलिए लड़की का  घबड़ाना लाज़िमी था | (आगे की कहानी अगले भाग मे )

इसके आगे की कहानी हेतु  नीचे link पर click करे..

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24 replies

  1. अच्छी कहानी

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  2. Good morning Sir! I hope you enjoy a grand day and do great things!

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  1. #एक जुनून  ऐसा भी# -7 – Retiredकलम

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