
प्रेम करने वाला व्यक्ति प्रेम तो कर लेता है परंतु उसको ठीक से निभा नहीं पाता है | वास्तविक बात करें, तो प्रेम करने से कई गुना कठिन काम है प्रेम को निभाना | प्रेम में दोनों तरफ आँखों पर पट्टी बंधा रहता है | इसलिए दोनों को जीवन शुरू करने के बाद आपस में समझौता करना पड़ता है |
दोनों को ही अपने अहम का त्याग करना पड़ता है । प्रेमी तो प्रेम करने के दौरान में अनेकों त्याग कर चुका होता है लेकिन उसे बाद में त्याग करने में कठिनाई होता है | प्रेमी को अपने अंदर की प्रेम प्रकृति को समझना चाहिए और आपस में सामंजस्य बैठा कर साथ- साथ चलना चाहिए | ऐसा करके ही एक प्रेमी अपने प्रेम को सफल बना सकता है |
वास्तव में जहां प्रेम होता है वहाँ मोह होता ही नहीं | प्रेम का जन्म करुणा से होता है, और मोह का जन्म अहंकार से |
प्रेम शब्द का उपयोग हम कई जगह पर करते है | लेकिन सही अर्थों में प्रेम क्या है ? जिस से प्रेम होता है उसी के साथ क्यों झगड़ा होता है ? क्या जहां पर प्रेम है वहीं पर अपेक्षा रहती है | पति – पत्नी का प्रेम, माता – पिता का संतानों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम | क्या इसी को प्रेम कहते है ? या फिर उससे भी विशेष कोई प्रेम हो सकता है ?

प्रेम शब्द को गहराई से अनुभव करने के लिए एक सुंदर कहानी प्रस्तुत करना चाहता हूँ |
एक कहानी
एक सुंदर सा खुशहाल परिवार, जिसमें राहुल उसकी पत्नी रीमा और एक बेटा राजीव खुशी – खुशी अपने छोटे से मकान में रहते थे | परिवार छोटा , मकान भी छोटा था , परंतु उनका दिल बहुत बड़ा था |
राहुल अब रिटायर्ड हो चुके है | वह रोज सुबह – सुबह घर के पास बने मंदिर में जाते है और घंटों भगवान से न जाने क्या बातें करता रहते है | आज उसे याद आ रहा था अपने अतीत के बीते हुए दिन | 30 साल बीत गए, लेकिन लगता है जैसे कल की ही बात हो |
राहुल अपनी पढ़ाई पूरी किया ही था, तभी उसे विदेश से एक अच्छे जॉब का ऑफर आया था | लेकिन उनके पिता अपने इकलौते बेटे को अपने आंखों से दूर नहीं रखना चाहते थे | वे राहुल से बहुत प्यार करते थे |
वो विदेश न जाए, इसलिए उन्होंने बड़े अरमान से राहुल की शादी अपने दोस्त की बेटी रीमा से कर दी थी | चूंकि राहुल भी अपने पिता से बहुत प्यार करता था इसलिए पिता की इच्छा पूरा करना अपना कर्तव्य समझता था |

शादी के बाद दोनों खुश थे | राहुल को अपने ही शहर में तुरंत ही एक अच्छी नौकरी भी मिल गई | राहुल के दिल में तमन्ना थी कि जब मैं एक अच्छी नौकरी कर रहा हूँ , तो अपने बूढ़े माँ – बाप को वो सब सुख सुविधा दूँ जिनसे वे लोग हमेशा खुश रहें | उनकी खूब सेवा करूँ |
लेकिन राहुल के दिल के अरमान दिल में ही दफन हो गए | अचानक एक दिन पिता को हार्ट अटैक आया और उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई | उसी गम में माँ भी कुछ ही दिनों में स्वर्ग सिधार गई |
राहुल ने तो बचपन से ही हास्टल की ज़िंदगी जिया था | माँ – बाप को सेवा करने का भगवान ने तो मौका ही नहीं दिया | आज वह मंदिर में पुजा करने के बदले वह यह सब क्या सोचने बैठ गया है ?
उसने अपनी आँसू पोंछी और अतीत से वर्तमान में आ गया | वह भगवान के सामने हाथ जोड़ कर कह रहा था – भगवान तूने मुझे राजीव जैसा नेक बेटा देकर मुझ पर बहुत उपकार किया है | राजीव भी हम लोगों से उतना ही प्यार करता है, जितना मैं अपने माता – पिता से करता था |
पुजा करने के बाद, राहुल मंदिर से चुप – चाप अपने घर वापस आ गया | उसके नाश्ते का समय हो रहा था , इसलिए वह अखबार पढ़ता हुआ नास्ते के टेबुल पर नाश्ता आने का इंतज़ार कर रहा था |
तभी घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी | राहुल ने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने डाकिया बाबू थे और उन्होंने राहुल के हाथ में एक लिफाफा दिया |
उन्होंने लिफाफा खोला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा | राजीव को वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति का ऑफर था | लेकिन उसके लिए उसे अमेरिका जाना होगा |
राहुल को अपने बेटे से अलग होने का दुख का एहसास हो रहा था , लेकिन अगले ही पल इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर उन्हें अपने बेटे पर गर्व भी हो रहा था |

उन्होंने मन में ठान लिया कि राजीव को अमेरिका ज़रूर भेजेगा , क्योंकि उन्होंने तो अपने विदेश में नौकरी करने की इच्छा अपने पिता को समर्पित कर दिया था | मैं राजीव के साथ ऐसा नहीं होने दूंगा |
हालाँकि राहुल को पता था कि उसके बीमारी की खबर राजीव को लगी तो वह उसे छोड़ कर कहीं नहीं जाएगा | लेकिन अपने औलाद की ज़िंदगी संवार जाये, उससे बड़ी खुशी किसी भी बाप के लिए क्या होगी ?
हाँ, राहुल को एक महीना पहले ही डॉक्टर ने कह दिया था कि उसे कैंसर है और उसके पास सिर्फ छः महीने ही शेष है |
लेकिन यह बात राहुल ने अब तक सभी से छुपा कर रखी थी ताकि उसके कारण घर का खुशनुमा माहौल दुख और परेशानी में न बादल जाये |
राहुल नाश्ता समाप्त कर के अपना छाता उठाया और बैंक की ओर चल दिया , उसे आज जीवन प्रमाण पत्र जमा करने थे |
इधर राजीव को विदेश वाली नौकरी के ऑफर लेटर की बात पता चली तो, उसने माँ से साफ – साफ कह दिया कि मैं आप लोगों को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाला हूँ | पिता जी के जो खेत है, उसी में organic खेती करूंगा और खूब पैसे कमाऊँगा |
यह कैसा प्रेम ?
जब राहुल को अपने बेटे के मन की बात पता चली तो वे परेशान हो उठे | तो क्या उसे इसलिए इतना पढ़ाया था कि वह किसान बने ? नहीं, मुझे कुछ उपाय सोचना होगा |
अब राहुल छोटी – छोटी बातों पर राजीव से उलझ जाते उसे भला बुरा कहने लगते | उसकी पत्नी को भी कभी – कभी कुछ अपशब्द कह देते | इस बदले हुए पिता के व्यवहार से राजीव परेशान हो उठा | लेकिन यह सिलसिला आगे भी चलता रहा |

आखिर राजीव कितना बरदाश्त करता | अब बाप – बेटे के बीच कटुता जनम ले चुकी थी | एक दिन उसने ऊब कर फैसला कर लिया कि विदेश वाली नौकरी जॉइन कर लेगा | कुछ छोटी – मोटी तैयारी करके दस दिनों बाद ही अपने पत्नी के साथ अमेरिका चला गया |
राहुल तो यही चाहता था कि राजीव अपनी गृहस्थी की गाड़ी ठीक से संभाल ले | पोता -पोती का मुंह देख ले, फिर चैन से इस संसार से रुखसत हो लेंगे | लेकिन उसके पास उतना समय कहाँ है ?
इधर राजीव वहाँ अमेरिका में अपने आप को ठीक से एडजस्ट कर लिया था |
वह प्रायः 2-4 दिनों पर घर फोन करता , लेकिन बात सिर्फ माँ से करता था | पिता से तो वह बहुत नाराज़ रहता था | लेकिन राहुल उसके नाराज़ होने का बुरा नहीं मानते थे | वो तो उससे इतना प्रेम करते थे कि उसकी भलाई के लिए अपने कैंसर जैसे गंभीर बीमारी को भी छुपा के रखा था |
इस तरह तीन महीने गुज़र गए | राहुल बीच- बीच में डॉक्टर के चक्कर लगाता | लेकिन उसकी हालत में सुधार होने के बजाए बिगड़ती जा रही थी | राहुल तो बस भगवान से इतनी विनती करता कि वह ज़िंदगी के कुछ और पल दे दे ताकि वह दादा बन कर अपने पोते का मुंह देख ले |
और सच ही, भगवान ने राहुल की बात सुन ली और आज ही खबर आया कि बहुत जल्द ही राजीव बाप बनाने वाला है |
यह बात सुन कर राहुल बहुत खुश था | अपने सभी लोगों में मिठाइयाँ बांटी | घर में भी खुशी का माहौल था | आज से ठीक छः महीने बाद बहू यहाँ आ जाएगी ताकी बच्चे का जनम अपने घर में , अपने देश में हो सके |
सचमुच समय बड़ा बलवान है | हमारे चाहने से कुछ नहीं होता, हमारी साँसों की डोर उसी के हाथों में है |
देखते – देखते इस तरह राहुल के बीमारी के छः माह बीत गए | और फिर एक दिन अचानक राहुल की तबीयत बिगड़ गई |

उसे आनन – फानन में डॉक्टर को दिखाया गया | उनके डॉक्टर ने तुरंत हॉस्पिटल में एड्मिट होने को कहा | तभी उनकी पत्नी को सारी हकीकत का पता चला | वो बेचारी अब अकेले कैसे अपने पति को संभालेंगी |
राजीव को पिता के बीमारी के बारे ने जानकारी मिली तो वह घबरा गया | बाप के प्रति नफरत अचानक समाप्त हो चुकी थी |
उसने उसी समय अपने फ्लाइट की बूकिंग करा ली | लेकिन तीन दिन बाद जाना होगा क्योंकि ऑफिस के कुछ ज़रूरी काम पूरे करने थे |
खैर किसी तरह तीन दिन बीते | इस बीच वह हर पल की खबर लेता रहता |
तीसरे दिन सारे formality को पूरा करने के बाद राजीव पत्नी के साथ अन्ततः इंडिया पहुँच गया |
लेकिन भगवान की भी कैसी मरज़ी है ?
उसी समय उसकी पत्नी को भी प्रसव पीड़ा शुरू हुआ और उसे भी हॉस्पिटल में दाखिल कराना पड़ा |
और अंत में वह समय भी आ गया जब उसकी पत्नी ने बेटे को जनम दिया | राहुल दादा बन गए | बाप- बेटे की कटुता भी खतम हो गई | राजीव यह खुशखबरी अपने पिता को सुनाने के आया था , लेकिन उससे पहले ही राहुल के प्राण पखेरू उड़ चुके थे | राजीव अब खुशी मनाए या मातम ?
यह कैसा प्रेम की पराकाष्ठा थी जिसमे पता ही नहीं चला कि राहुल के प्रेम का यह कौन सा रूप है, और इसे क्या नाम दिया जाये ?
एक दिन हम भी कफन ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे
जितना जी चाहे सता लो मुझको यारों
एक दिन रोता हुआ सब को छोड़ जायेंगे।
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