
पिंकी आज बहुत उदास थी, क्योकि आज उसकी माँ की बरखी थी | वह आज सुबह – सुबह माँ के फोटो के सामने एक दीप जलाया और कुछ फूल रख फूट – फूटकर रोई |
आज फिर उसे अपनी पिछली बातें याद आ गई और बचपन की अपनी गलतियों को भी | जब वो ५ साल की थी और वो अपनी छोटी बहनों से बहुत झगडा करती थी और उनके लिए कोई ना कोई समस्या खड़ी कर देती |
इससे तंग आकर पिता जी ने फैसला लिया था कि उसे अपने मामा के यहाँ जयपुर भेज दिया जाए ताकि वहाँ ठीक से पढाई हो सके और इसकी आदतों में सुधार आये |
वैसे माँ जाने नहीं देना चाहती थी, लेकिन पिता के जिद के आगे माँ की एक ना चली..|
उसे आज भी याद है ..माँ किस तरह उसके जाने के दिन फूट फूटकर कर रोई थी |
अब , कभी – कभी ही माँ से मिलना होता था जब स्कूल की छुट्टियाँ होती थी |, लेकिन उसे माँ से बहुत प्यार था | माँ की लाडली थी | उसकी पहली संतान जो थी |
यह सच है कि धरती पर माँ – बाप भगवान की मूरत होते है, लेकिन अचानक माँ के निधन से सबसे ज्यादा किसी को फर्क पड़ा तो उसी को पड़ा था | ..
उसकी ज़िन्दगी जैसे बदल ही गई थी, जिम्मेवारियों का एहसास छोटी उम्र में ही करा दिया था | उसे भगवान् से इस बात का हमेशा शिकायत रहती है |

मैं अभी – अभी उदयपुर से बैंक की ट्रेंनिंग पूरा कर घर आया ही था कि पिंकी के घर से रोने की आवाज़ आयी | .. मुझे कुछ समझ नहीं आया तो घबरा कर बीच के दरवाज़े पर धीरे से दस्तक दिया |
थोड़ी देर के बाद रिंकी(उसकी छोटी बहन) ने दरवाज़ा खोला तो मैं घबराहट में पूछ लिया कि पिंकी क्यों रो रही है ?, वह इशारा से हमें अंदर आने को बोली और साथ लेकर पिंकी के पास आई , जहाँ माँ के फोटो के पास बैठी वो रोये जा रही थी |
मैं उसकी माँ की फोटो पर फूल – माला चढ़ा देख कर समझ गया था |
मैंने पिंकी के सिर पर हाथ रख कर कहा … बीती बातों पर शोक मनाने से क्या होगा ? तुम तो समझदार हो और तुन्हारे साथ ये छोटे बच्चे, तुम्हे रोता देख घबरा जायेंगे | और माँ की आत्मा को भी दुःख होगा |
साथ ही रिंकी से एक गिलास पानी लाने को कहा | वो हमें देख कर मेरी बाह को जोर से पकड़ ली और यूँ ही कुछ देर अपना सर रख कर रोती रही |
तब तक रिंकी पानी लेकर आयी तो उसे पानी पिलाया और उसके हाथ के प्लास्टर के बारे में जानकारी ली |
जबाब में बोली कि …आज ही प्लास्टर उतरने का date है |
ठीक है… मैं साथ चलूँगा ..मैंने कहा |
उसने मुझसे पूछा .–.आप तो अभी अभी आये, आज तो बैंक भी जाना होगा |
अभी तो बहुत समय है …आराम से जाऊंगा | तुम्हे किसी चीज़ की ज़रुरत हो तो बताना | ..मैं बोल कर वापस अपने घर में जल्दी से आ गया, क्योकि उसके घर में मुझे कोई देख लेता तो मैं मुसीबत में पड़ सकता था |
मैं जल्दी से तैयार होकर बैंक चला गया था | , एक लोन का फाइल आज निपटाना ज़रूरी था, सो मैंने १२ बजे तक काम पूरा किया और मेनेजर साहेब से इज़ाज़त लेकर घर आ गया |
घर आते ही रसोई में देखा तो मनका छोरी खाना बना कर गई थी | ..
मैं ज़ल्दी ज़ल्दी खाना खा ही रहा था कि बीच का दरवाज़ा खुला और पिंकी सज धज कर तैयार मेरे पास आई |..
आज कहाँ बिजली गिराने का इरादा है ?–..मैं हँसते हुए पूछा |
कोशिश तो बहुत दिनों से जारी है , लेकिन तुम पर तो कोई असर ही नहीं होता |
लेकिन आज का दिन सिर्फ तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ.–. वो खुश होते हुए बोली |
तुम तो रोज़ ही हमको देखती हो ,फिर नई बात क्या है ? .. मैंने मज़ाक किया |
वो मैं कुछ नहीं जानती | ,,आज, आबू रोड प्लास्टर कटवाने सिर्फ आप मेरे साथ जायेंगे और कोई नहीं | आज मैं थोडा मन का करना चाहती हूँ | तुम मना नहीं करना |

लेकिन तुम्हारे पिता जी को भी तो गाँव से साथ ले जाना होगा, आबू रोड |..
नहीं, आज हमदोनो ही सिर्फ जायेंगे .– .मैं पिता जी से कुछ बहाना कर दूँगी |
ठीक है, सिर्फ एक दिन की आज़ादी होगी और आज तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी |
पिंकी ने खुश होते हुए कहा … धन्यवाद , जनाब |
थोड़ी देर बाद , कार खुली सड़क पर तेज़ गति से आबू रोड की तरफ भाग रही थी और पिंकी मेरे साथ कार की पिछली सीट पर मेरी बाह थामे चुप चापं बैठ रही |
कुछ देर के बाद उसने ही शांति भंग की और कहा — आबू रोड में तुम्हारा भी कोई काम है क्या ?
नहीं ..मैंने हँसते हुए कहा., . आज का दिन सिर्फ तुम्हारे लिए |
तो ठीक है , मुझे सिनेमा हॉल में मूवी देखनी है |
तब तो रात के १० बज जायेंगे | तब घर में क्या जबाब देंगे –..मैंने उसकी ओर देखते हुए पुछा |
हम लड़कियों पर इतनी पाबन्दी क्यों है ? — ..वो धीरे से खुद से बोल रही थी |
मैं हँसते हुए ज़बाब दिया –..मुझ पर तो पाबंदियों के अलावा जबाबदेही भी है |
अब मैं तुमसे अलग नहीं रहना चाहती | अब तुम्हारी आदत सी पड़ गई है– उसने कहा और तभी
हमारी कार, डॉक्टर के क्लिनिक के आगे खड़ी हो गई | और हमलोग सीधे डॉक्टर के चैम्बर में आ गए |
डॉ दीक्षित हमलोग को देख हँसते हुए बोले.–. पहले इसके प्लास्टर की जांच कर लूँ , फिर फैसला होगा कि इसे आज ही प्लास्टर उतारना है या नहीं |
पिंकी अपने दायें हाथ से मुझे कस कर पकड़ रखी थी | और थोड़ी देर में डॉक्टर ने उसकी प्लास्टर उतार दी | उसने अपने हाथ को गौर से देखा और फिर खुश होकर मेरे गले में हाथ डाल कर लगभग झूल गई |
उसकी चेहरे ही ख़ुशी देख कर मैं भी ख़ुशी का अनुभव कर रहा था |
अब तुम्हारे हाथ के बंधन खुल गए है अब जहाँ चाहो हाथ लगा सकती हो –..मैंने मजाक से कहा |
आज तो तुम रोमांटिक मूड में लग रहे हो –..मेरी तरफ देखते हुए बोल पड़ी |
तब तक डॉक्टर साहेब भी पास आ गए और दवा की पर्ची देते हुए हमलोगों को विदा किया |
क्लिनिक से बाहर निकलते ही पिंकी बोली,– मुझे अपने लिए कुछ खरीदना है, लेकिन पसंद तुम्हे करना होगा | ..चलो हमलोग मार्किट चलते हैं |
मैंने कहा –. थोडा जल्दी करना, ..देर होने से हमारी मुसीबत बढ़ सकती है |
आज मैं किसी भी बात की परवाह नहीं करुँगी | तुमने ही तो कहा है, ..आज मैं मन का कर सकती हूँ ….आज वह बहुत खुश लग रही थी |
मुझे भूख लगी थी तो मैंने कहा कि चलो पहले कुछ खाते है | …बिलकुल सामने ही एक होटल दिख गया और हम दोनों उस होटल मे दाखिल हुये |
क्या तुम भी ब्रेड – आमलेट लोगी ? –..मैंने पूछा |
वो आश्चर्य से मेरी ओर देखी और बोली –. Are you mad ?
मैं तो जैन हूँ, ,.. अगर किसी ने मुझे non – vege खाते देख लिया तो ऑनर किलिंग हो जाएगी | हमलोग के नियम बहुत सख्त है |
वैसे तुम खाना चाहो तो खा सकते हो, मैं मना नहीं करुँगी | ..तुम्हारा दारु झेल गई तो यह क्या है.–..वो आज बहुत खुश थी |
खैर, marketing और मौज – मस्ती में समय का पता ही नहीं चला | मैंने घडी देखा तो रात के आठ बज चुके थे | हमलोग काफी लेट हो गए थे इसलिए जल्दी से कार में बैठ रवाना हो गया |
मैं मन ही मन सोच रहा था — .ख़ुशी के पल तेज़ गति से चलते है और दुःख में उतना ही धीरे |
करीब एक घंटा बाद पिंकी को उसके घर के दरवाजे पर छोड़ कर .. मैं अपने घर में दाखिल हो गया | मनका छोरी खाना बना रही थी और मैं हाथ मुहँ धोकर खाने की तैयारी कर ही रहा था, तभी पिंकी के घर से जोर जोर से आवाज़ आने लगी, शायद उसके चाचा हमलोग की चोरी पकड़ लिए थे |
मुझे लगा कि उनके पास जाकर मामले को सुलझाने की कोशिश करूँ पर और ना उलझ जाये ..ऐसा सोच कर बस खामोश उनकी आवाज़ को सुनने को कोशिश करने लगा…….(क्रमशः).

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