
आज रविवार होने के कारण, मैं बहुत relax महसूस कर रहा था | और जब से मनका छोरी दिन का खाना खिला कर गई थी तब से ही सो रहा था |
अभी शाम के पांच बजे रहे थे और मेरी नींद खुल गई | अब तो रात के दारु का हैंगओवर भी दूर हो गया था |
मन बिलकुल तरो – ताजा और खुश लग रहा था |
अचानक मेरी नज़र दीवार पर टंगी हुई पतंग पर गई और मेरा बचपना जाग गया | मैं पतंग लेकर छत पर चला आया |
छत पर सभी बच्चे लोग खेल रहे थे | मैं भी बच्चो के साथ पतंग उड़ाने की कोशिश करने लगा |
तभी गुड्डी पतग उड़ाने की जिद करने लगी | मैंने हवा में कलाबाज़ी खाते पतंग की डोर छोटी बच्ची को दे दिया, |
उसे आकाश में उड़ती पतंग की डोर खिंच कर उडाने में खूब मज़ा आ रहा था | और सभी बहने भी साथ मिलकर उस पतंगबाजी पर खुश हो रही थी | छत पर हल्ला – गुल्ला की आवाज़ सुन कर पिंकी भी नीचे से दौड़ कर छत पर आ गई |
मैं दीवार के सहारे खड़ा बच्चो को पतंग उड़ाते देख रहा था | पिंकी भी मेरे पास बिलकुल करीब आ कर खड़ी हो गई |
मैंने उससे कहा — मेरे इतने नजदीक मत खड़ी हो | दुसरे छतों से लोग इधर ही देख रहे है | तुम्हारे चाचा से फिर शिकायत कर देंगे |

वो हँसते हुए बोली… इसीलिए तो चिपक कर खड़ी हूँ |
वो सामने जो औरत छत पर खड़ी इधर देख रही है , ..वही दूर की मेरी रिश्तेदार है | हमलोग उन्हें मासी कहते है | उन्होंने ही मेरे चाचा से मेरी शिकायत की थी और बीच का दरवाज़ा बंद किया गया था |
उसी की नज़रों से बचने के लिए तुम्हारी ओट का सहारा ले रही हूँ |
लेकिन, आज तो बड़ी अच्छी खुशबु का आभास हो रहा है |..इतना नजदीक होने का प्रभाव है शायद –..मैंने छेड़ा उसे |
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और बोली — कल तो तुम्हारे मुँह से भी शराब की खुशबू आ रही थी | रात पांच घंटे तुम्हारे साथ रहते हुए मैं बर्दास्त की थी |
मैंने कहा …मुझ जैसे शराबी को देख कर तुम्हे गुस्सा नहीं आता है ?
आता है, बहुत गुस्सा आता है, | अगर किसी शराबी को देख लेती हूँ |
लेकिन जब तुम नशे में होते हो तो बिलकुल original लगते हो | दिल की बात और सच्ची बात करते हो | .वही तो तुम्हारे नजदीक रहने का कारण है | मुझे दिखावा करने वाले लोग पसंद नहीं है |
फिर मैंने कहा –.क्या मतलब..?
तुम चाहती हो .मैं रोज़ शराब पिऊँ … original दिखने के लिए ?…बताओ तो ..?
यह तो मुझे नहीं मालूम | लेकिन मुझे शराब से बहुत नफरत है |
लेकिन पता नहीं क्यों तुम जब शराब पीते हो तो मुझे गुस्सा नहीं आता है | ..
खैर छोडो , ..यह बताओ कि बीच का दरवाज़ा कैसे खुला ?
तुमको अचानक रात में अपने पीछे खड़ा देख कर लगा कि तुम कोई चुड़ैल हो | , क्योंकि घर के सभी दरवाजे बंद होते हुए भी तुम मेरे सामने थी |
तुमको जब छुआ तो मुझे तसल्ली हुई कि तुम कोई चुड़ैल नहीं हो |
गलत बोल रहे हो तुम | ..मैं चुड़ैल ही हूँ | .इसीलिए बार बार तुम्हारे भगाने पर भी नहीं भाग पाती हूँ.| और तुम्ही से चिपकी हूँ |
अच्छा एक बात बताओ .– .हमारे हर पसंद और नापसंद का पता तुम्हे कैसे है ? …
जैसे, तुम्हे मेरे बारे में सब कुछ पता है –..पिंकी ने तिरछी आँखों से देखते हुआ बोली |
लेकिन मैं तो यह भी नहीं जानता था कि तुम्हारी माँ अब इस दुनिया में नहीं है | ..तुम्हारे पिता जी के सामने उस दिन बड़ी दुविधा की स्थिति हो गई थी | ..
क्या तुम्हे पता है ?.. मैं आधा इंजिनियर हूँ.–. पिंकी की बात सुनकर हम चौक गए |..
उसने आगे बताया …मैं जयपुर में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष की छात्रा थी |
मामा के यहाँ जयपुर में रह कर ही मैंने schooling की थी | एक दिन अचानक मेरी माँ हम सभी को छोड़ कर चल बसी |
मेरी छोटी -छोटी तीन बहने तो आप देख ही रहे है | कितनी छोटी है और इन तीन बहनों को संभालना पिता के बस की बात नहीं थी |
उनकी खेती के अलावा फैक्ट्री भी है ..वे काफी बिजी रहते है | , मुझे ही घर का सभी कुछ मैनेज करना होता है |
पिता जी बिज़नस की ज़रूरी फैसले में भी मेरी सहमती लेते है | मैं यहाँ सिर्फ खाना बनाने के लिए नहीं हूँ | , सभी बच्चों के पढाई की जिम्मेवारी भी है |
मेरे घर में चाचा बहुत धूर्त है, वो पिता जी को बेवकूफ बना कर पैसे ठगते रहते है | विरोध करने पर हमारे विरूद्ध कुछ ना कुछ षड़यंत्र करते रहते है, | जैसे अभी उन्होंने बीच के दरवाजे पर ताला डाल दिया |

लेकिन वो दरवाज़ा की चाभी तुम्हे कैसे मिली ? ..
तुम उस चाभी के पीछे परेशान क्यों हो –..वो मुझे देख कर बोली |
मैंने हँसते हुए कहा — मैं पूरी घटना जानना चाहता हूँ |
सच है, एक तुम्ही हो जिससे दिल की बात शेयर करने की इच्छा होती है | लेकिन तुम पूरी बात जान कर नाराज़ मत होना |
पिंकी की बात सुन कर मैं आश्चर्य से उसकी ओर देखा | .
उसने आगे कहा — जब तुम शाम के सात बजे तक घर नहीं आये तो मुझे चिंता होने लगी और मैं बाहर वरामदे में बैठ कर तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही थी |
तभी मैंने देखा., . तुम गली में लड़खड़ाते हुए चले आ रहे हो और मेरे सामने से गुज़र कर भी मुझे नहीं देखा तो मुझे लगा कि जनाब अपने कण्ट्रोल में नहीं है |
फिर तुम्हारे बाथरूम से आवाज़ सुन कर मैं बेचैन हो गई | तुम्हे उल्टियाँ हो रही थी | ,
हमें लगा कि मेरी जरूरत है और मैं भाग कर छत के रास्ते तुम्हारे पास आने की कोशिश की,| परन्तु तुमने सीढ़ी का दरवाज़ा बंद कर रखा था | और तब मैं मजबूर होकर अपने घर में रखी लोहे की रॉड से बीच के दरवाजे का ताला को तोड़ दिया और फिर…….
इतना सुनते ही मुझे ज़ोर का गुस्सा आ गया और अचानक गुस्से में मेरा हाथ उठा ही था कि देखा बच्चे मेरी ओर देख रहे थे …( क्रमशः )
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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