
जी चाहता है चुरा लू, दुःख सभी की जिंदगी से, –
कि देख ना पाऊं दुःख, इक पल भी किसी के चेहरे पे,
चाहत है, हो दुनिया ऐसी, जहाँ दिखे हर एक की आँखों में ख़ुशी,
रोये तो रोये गम रोये, क्यों रोये ये दो पल के बंजारे,
क्यों रोये ये दो पल के बंजारे….
डॉक्टर साहब ने बताया कि कौशल्या देवी की भूलने की यह बीमारी किसी गहरे सदमे के कारण हुई है और आज उसी के बारे में चर्चा करने हेतु दशरथ उनके चैम्बर में आया हुआ है |
और डॉ साहब के सामने बैठ कर अपने जीवन के दुःख भरे पन्नो को एक एक कर के खोल रहा है | अपने बेटे के कारनामो को बताते हुए उसे काफी आतंरिक पीड़ा हो रही है |
लेकिन मजबूरी है कि डॉ साहब को उन सभी घटनाओं के बारे में विस्तार से बताना है जिसके कारण कौशल्या की यह स्थिति हुई है |
दशरथ के आँखों से आँसू निकल रहे थे, फिर भी एक -एक बात को वह बता देना चाहता है | कुछ भी छुपाना नहीं चाहता है |
हाँ तो, डॉ साहब …मैं कह रहा था कि मेरे रिटायरमेंट में मिले सारे पैसे धीरे – धीरे कर व्यवसाय के नाम पर बेटे और बहु दोनों ने हमसे ले लिया |,
फिर भी उनलोगों का मन नहीं भरा और अब उनलोगों की आँखे मेरे इकलौते मकान पर लग गई | हमलोगों ने यह मकान बहुत शौक से बनाया था, और इसका नाम कौशल्या – कुटीर रखा था | कौशल्या की तो इसमें आत्मा बसती है |
एक दिन बेटा अपनी पत्नी के साथ आया और कहा कि आप दोनों प्राणी यहाँ अकेले कैसे रह पाओगे ? कोई देखने वाला तो होना चाहिए |
इसलिए हमलोगों ने विचार किया है कि पटना वाले इस घर को बेच कर उसी पैसों से दिल्ली में मैं अपने घर के पास ही आप लोगों के लिए एक फ्लैट खरीद लूँगा ताकि हमलोग आप की देख भाल अच्छी तरह से कर सके |
बुढ़ापा में बच्चो का ही तो सहारा होता है |

मैं उसकी बातों में आ गया, परन्तु उसके सामने एक शर्त रखी कि पहले दिल्ली में फ्लैट बुक करो | फिर मैं इस मकान को बेचूंगा |
कुछ दिनों के बाद बेटा फिर आया | उसके साथ कुछ टाइप किये हुआ पेपर थे | संयोग से मैं उस समय घर पर नहीं था और पत्नी से उसने सभी पेपरों पर हस्ताक्षर करा लिए |
पूछने पर उसने यह बताया कि यह दिल्ली में आप लोगों के लिए जो फ्लैट खरीद रहा हूँ , यह उसी का एग्रीमेंट पेपर है |
मैं जब घर वापस आया तो बेटा जा चूका था | चूँकी पत्नी ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है इसलिए उसने अपने बेटे पर विश्वास करके उसके मन मुतावित सभी पेपर पर हस्ताक्षर कर दिया |
उसने कहा था कि जब इस मकान को बेचने पर जो पैसा आएगा तो उसी पैसे से दिल्ली वाले फ्लैट का पेमेंट कर दिया जायेगा |
मुझे थोडा तो शक हुआ था, क्योकि वो मुझसे मिले बिना चला गया था | लेकिन मेरा दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि जिस माँ की कोख से वह पैदा हुआ है उससे भी इस तरह छल कर सकता है |
खैर, एक दिन हम दोनों प्राणी घर के वरामदे में बैठ कर चाय पी रहे थे कि कुछ दबंग किस्म के लोग आये और उन्होंने मेरे बेटे अभिराम से मिलने की इच्छा प्रकट की |
हमने मिलने का कारण जानना चाहा तो उसने जो बताया, उसे सुनकर हमलोगों के पैरों तले की ज़मीन खिसक गई |
उसने बताया कि अभिराम ने इस मकान को बेचने के लिए उसके साथ एग्रीमेंट किया है और उसके एवज में बीस लाख रूपये एडवांस लिया है |
एग्रीमेंट की शर्तो के अनुसार एक माह के अंदर इस मकान को उनलोगों के नाम रजिस्ट्री करना था, लेकिन अभी तक रजिस्ट्री नहीं हुआ है |
उनलोगों ने यह भी बताया कि उन्होंने अभिराम से कई बार अनुरोध किया है कि बाकी के पैसे लेकर मकान की रजिस्ट्री करो या एडवांस के पैसे वापस करो |
चुकि अभी तक ना तो इस मकान की रजिस्ट्री की गई है और ना ही एडवांस के पैसे वापस किये गए है | अतः आप को यह सूचित करने आए है कि 15 दिन के अंदर या तो अभिराम या आप मेरे एडवांस के पैसे वापस कर दे, नहीं तो इस मकान पर जबरदस्ती कब्ज़ा ले लेंगे |
इतना कह कर वो लोग चले गए |

इस घटना के बाद हम दोनो काफी परेशान हो गए | जब हमलोगों ने फ़ोन पर अभिराम से इस विषय में बात की तो उसने बताया कि पैसे तो खर्च हो गए है |
और साथ में यह भी सलाह दी कि …अच्छा यही होगा कि घर उनलोगों के नाम रजिस्ट्री कर दीजिये और बाकि के जो पैसे मिलेंगे उससे मैं आप के लिए यहाँ अच्छा सा एक फ्लैट खरीद लूँगा |
और नहीं तो आप अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहिये |
जिसका डर था वही हुआ | 15 दिनों के बाद वे लोग कुछ असामाजिक तत्त्व को लेकर आए और घर में घुस कर तोड़- फोड़ किया, और गली गलौज पर उतर आये |
जब हम लोग घर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए तो उनलोगों ने हमलोग को धक्के मार कर घर से निकाल दिया |
मैं मदद के लिए अपने नजदीक के थाने में गया तो देखा कि वो लोग पहले से ही वहाँ हाज़िर है | उनलोगों ने पुलिस को सारी बातें बता रखी थी |
पुलिस ने उल्टे मुझे ही दोषी करार दिया और कहा ….या तो इनके एडवांस के पैसे वापस करो या इनके नाम से अपना मकान रजिस्ट्री कर बाकि पैसे ले लो |
अब हमारे पास कोई चारा नहीं था | मैं वापस घर आया | और सारी बातें कौशल्या को बताई | अब तक पत्नी को यह पता चल चूका था कि बेटे ने हमलोगो के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है और अब यह घर छोड़ना ही पड़ेगा |
यह सब सोच कर वह जोर जोर से रोने लगी और तभी उसकी तबियत बिगड़ गई और देखते देखते वो बेहोश होकर गिर पड़ी |
मैं तुरंत एम्बुलेंस को फ़ोन किया और चूँकि मैंने सुन रखा था कि पास का आपोल्लो हॉस्पिटल, एक प्राइवेट हॉस्पिटल है | अतः इलाज की अच्छी सुविधा होगी यह सोच कर मैं कौशल्या को वहाँ भर्ती करा दिया |
वहाँ पर, डॉ के इलाज से उसे होश आ गया | उसे होश में देख कर मेरे ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | मैंने उससे पूछा… कौशल्या कैसी हो ?
पर उसने कुछ ज़बाब नहीं दिया | इस पर मेरा माथा ठनका | मैंने फिर उससे बात करने की कोशिश की, पर उसके व्यवहार से मुझे लगा कि वह मुझे पहचान ही नहीं रही है | वो बस छत को घूरे जा रही थी |
वहाँ उपस्थित डॉ ने उसे चेक करने के बाद बताया …. और तो सब कुछ ठीक है लेकिन लगता है इनकी याददाश्त चली गई है | इतना सुनना था कि मेरे होश उड़ गए |
मुझे लगा कि अब मेरे जीवन का कोई अर्थ नहीं रह गया है | मैं बिलकुल निराश हो गया |.

एक मशहूर कहावत है ना कि …जब तक साँस चलती है इंसान को जीना ही पड़ता है | मुझे भी अपने रहने की व्यवस्था वृद्धाश्रम में करनी पड़ी |
चूँकि मुझे पेंशन मिलती है …. उसी के भरोसे किसी तरह से काम चलता रहा है |
उसके बाद की सारी कहानी तो आप को मालूम ही है |
मेरी सब बातें सुन कर डॉ साहब के आँखों में भी आँसू आ गए |
उन्होंने बताया कि अगर इस तरह सदमे के कारण याददास्त चली जाती है तो अगर सदमा पहुचाने वाला व्यक्ति मरीज़ के सामने आये और उसी तरह घटना को दोहराया जाये तो शायद याददास्त वापस आ जाए | इसकी सम्भावना रहती है |
आप अपने बेटे को फ़ोन करके यहाँ आने के लिए कहिये | अगर वह सामने आता है तो शायद इसकी याददास्त वापस आ जाये |
डॉ साहब की सलाह पर दशरथ ने उसी समय अभिराम को फ़ोन लगाया और उसे सारी बात बताई | उसे व्यक्तिगत रूप से आने के लिए कहा |
परन्तु अभिराम ने आने से साफ़ मना कर दिया और बोला …. आपलोग तो मुझे बेटा मानते ही नहीं है | आप लोग के दिमाग में धन दौलत का लालच समाया हुआ है |
मैंने कितनी बार कहा कि वहाँ वाला घर बेच दीजिये पर आपलोग आज तक तैयार नहीं हुए | अब ऐसी स्थिति में उसी घर को पकड़ कर रोइए |
उसकी बातें सुन कर दशरथ को गुस्सा आ गया | फिर भी अपने मन को शांत कर अभिराम को बहुत समझाया और उसकी माँ का हवाला देते हुए बोला ..जिसने तुम्हे जनम दिया, पाल -पोश कर बड़ा किया, उसी माँ के लिए तुम्हारे ऐसे विचार आना शर्म की बात है |
इस पर अभिराम ने कहा कि एक ही शर्त पर माँ को देखने के लिए आ सकता हूँ कि आप पटना वाला घर बेचने के लिए राज़ी हो जाएँ | (क्रमशः )…………..
इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें…

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Nice story.
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Thank you dear.
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Nice post Sir! It’s amazing 🤗😉✌
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Thank you so much, dear.
Please read the complete story. You may like that.
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Good morning.
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Thanks sir for your blessings and I also wish the same to you also😊👍✌
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😉🤗💕🙏
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You also have a good day💕😊
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