# कलयुग का दशरथ # …3 

आज दशरथ बहुत खुश था | सुबह- सुबह ही अपने वृद्धाश्रम से चल कर कौशल्या के पास आ गया था. क्योकि अपने डॉ साहब के हॉस्पिटल में न तो समय का बंधन है और ना ही खाने पीने  की तकलीफ | बिलकुल घर जैसा ही लगता है |

अपने डॉ साहब तो कौशल्या को माँ के सामान ही समझते है |

मैं तो देख ही रहा हूँ, कल ही उन्होंने सारी सुविधाएँ  उपलब्ध करा दी थी | समय पर खाना और दवा भी दिया जा रहा है | कौशल्या के  यहाँ आने से मैं अब  बहुत शांति महसूस कर रहा हूँ |

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि  यहाँ कौशल्या जल्दी ही ठीक हो जाएगी ..दशरथ उसे नास्ता कराते हुए सोच रहा था |

नाश्ता समाप्त होते ही कौशल्या को कप में चाय दिया और दशरथ खुद भी लेकर पी रहा था, तभी डॉ साहब भी आ गए | डॉ साहब आते ही दशरथ का अभिवादन किया और पूछा   …कैसे है आप ?  यहाँ पर आप को या माँ जी को कोई तकलीफ तो नहीं हो रही है ना ?

नहीं नहीं, डॉक्टर साहब,…   दशरथ जल्दी से बोला |  हम दोनों यहाँ बिलकुल ठीक है और कौशल्या तो पहले से बेहतर नज़र आ रही है |

यह सब आप के देख- रेख का ही नतीजा है ..उसने डॉ साहब को आशीर्वाद देते हुए कहा |

आज दोपहर में तीन बजे हमलोग एक मीटिंग करेंगे और उसमे फैसला लेगें कि आगे इनका इलाज किस तरह से किया जाये  ताकि माँ जी जल्दी स्वस्थ हो जाएँ ..डॉ साहब ने कहा

ठीक है डॉ साहब.. अब जो उचित हो, आप करें,  मुझे आप पर पूरा विश्वास है …दशरथ बोला |

शाम को वो और उनके स्पेशलिस्ट  डॉ प्रसन्ना  इस विषय पर विचार करने के लिए बैठक किए |

बैठक में जांच से सम्बंधित सारी रिपोर्टें प्रस्तुत की गई | दोनों डॉ ने इस  पर गहन विचार विमर्श के बाद यह पाया कि सारे रिपोर्ट सही है  और शारीरिक रूप से कही कोई गड़बड़ी नज़र नहीं आ रही है | तो फिर रोग का क्या कारण हो सकता है ?

बहुत विचार विमर्श के बाद भी कौशल्या के रोग के कारण का पता नहीं चल पा रहा था | और बिना रोग की पहचान किये  इलाज की शुरुआत कैसे की जाए, यह एक समस्या सामने खड़ी थी |

इसी बीच में  डॉ प्रसन्ना ने फैसला लिया कि अभी हमलोग इस  तरह से इलाज जारी रखेंगे कि मरीज़ के मानसिक और शारीरिक स्थिति में ज्यादा से ज्यादा सुधार किया जा सके |

और अंत में डॉ प्रसन्ना ने यह भी निर्णय लिया कि  अमेरिका के डॉ थॉमस से संपर्क किया जाए, वो इस विषय के  विश्वस्तरीय डॉक्टर है |

वो अगर तैयार हो गए तो सारी रिपोर्ट उनको भेजकर उनसे एक्सपर्ट  ओपिनियन लिया जाये | और तभी  सही दिशा में उपचार किया जा सकेगा |

दशरथ जब दुसरे दिन आया तो  डॉ साहब ने कहा…….. दशरथ जी, हमलोगों ने डॉ थॉमस से इनके विषय में कांटेक्ट किया था और उनके कहे अनुसार माँ जी की सारी जांच रिपोर्ट उनको भेज दी गई है |

आशा है कि शीघ्र डॉ थॉमस अपना एक्सपर्ट ओपिनियन देंगे |

यह तो बहुत अच्छी बात है डॉ साहब, हमलोग सही दिशा में बढ़ रहे है -.दशरथ ने खुश हो कर कहा |

देखते देखते दो दिन और गुजर गए |  और आज  शाम के समय .डॉ साहब टहलते हुए कौशल्या के बेड  के पास आये तो देखा कि यहाँ  दशरथ पहले से ही मौजूद है  |

 डॉ साहब ने पूछा ………अब माँ जी की तबियत कैसी है ?

इस पर दशरथ बोला……..तबियत में तो काफी सुधार है डॉ साहब  |  बस केवल वह  किसी को अभी भी पहचान नहीं पा रही है |

डॉ साहब दशरथ के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गए और कहा ……आज ही मुझे डॉ थॉमस का एक्सपर्ट ओपिनियन मिला है | उनके अनुसार,  माँ जी की सारी जांच रिपोर्ट नार्मल पायी गई है |

उन्होंने यह बताया है कि किसी सदमे के कारण भी याददास्त चला जाता है  और इस केस में भी शायद ऐसा ही हुआ है | क्योंकि सारी जांच रिपोर्ट नार्मल है |

उन्होंने आगे  कहा … इनके केस में, सदमे के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए तभी उस सदमे से उभरने का और याददास्त वापस लाने का उपाय किया जा सकता है |

डॉ साहब ने लगभग विनती के लहजे में कहा…. मैं जानता हूँ आपके व्यकिगत जीवन की बातों को पूछना उचित नहीं है, लेकिन इस केस में अगर आप मुझे सारी जानकारी देते है तो इलाज में मुझे सुविधा रहेगी | इनके सदमे के कारण जानना बहुत ज़रूरी है |

इस पर दशरथ  ने कहा ….ठीक है डॉ साहब, आप से क्या छिपाना | आप तो मेरे बेटे की तरह है |  वैसे भी मैं अपने दिल पर एक बहुत बड़ा बोझ लिए घूम रहा हूँ आप को बताऊंगा तो शायद मन हल्का हो जायेगा |

ठीक है , आज शाम को  मेरे चैम्बर में आइये |  मरीज़ देखने के बाद  फ्री हो कर हमलोग चाय पियेंगे | और साथ ही इस विषय पर चर्चा भी करेंगे  |  आप की  पूरी कहानी  जानने  के बाद … हमलोग उचित निर्णय  लेंगे …..डॉ साहब ने कहा |

शाम सात बजे दशरथ उनके चैम्बर के बाहर  बैठ कर  उनके फ्री होने का इंतज़ार करने लगा  |

तभी डॉ साहब की नज़र उन पर पड़ी तो उन्होंने तुरंत अपने चैम्बर में बुला लिया | सभी मरीज़ जा चुके थे और डॉ साहब भी फ्री हो चुके थे |

दशरथ बोला ..अगर आप इज़ाज़त दें तो मैं अपने  जीवन की दुःख भरी कहानी आप को सुनाऊं ?

हाँ – हाँ,  बात तो पूरी बतानी ही होगी | हालाँकि आप को  यह दुःख भरी कहानी सुनाने में आतंरिक पीड़ा तो होगी,  लेकिन इसे ज़रुरत समझ कर पूरी कहानी हमें विस्तार से बताएं …डॉ साहब कागज़ और कलम टेबल पर रखते हुए कहा  |

जैसा कि आप को मालूम है ही कि मेरा बेटा  अभिराम बचपन से ही काफी उदंड और खर्चीला रहा है | वह हमेशा महंगे कपडे और सामन खरीदने का शौक़ीन रहा है |.

एकलौता बेटा होने के कारण हमलोग बचपन से ही उसके नखरे उठाते रहे है  और उसकी सारी फरमाईस  पूरी करते रहे है |

आप  तो यह भी  जानते  है कि वह पढाई में भी साधारण था |  क्योंकि  ज्यादा समय तो उसका मौज मस्ती में गुजरता था |

आप ने मेडिकल का कम्पटीशन पास करके पढाई करने के लिए मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया था | लेकिन उसका  किसी अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला नहीं मिल सका  | तो मज़बूरी में उसकी इच्छा अनुसार हमलोगों ने  डोनेशन देकर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिला दिया |

पढाई पूरी कर जब वह कॉलेज से निकला तो उसे साधारण सी नौकरी मिली | चूँकि उसकी आमदनी कम थी और खर्चे ज्यादा थे, तो  गाहे -बगाहे वह  हमलोगों से पैसे  मांगता रहता था |

और फिर हमलोग के बिना जानकारी के उसने शादी  भी कर लिया …….. वह जब पत्नी को लेकर घर आया तो पता चला कि  उसने लव- मैरिज कर लिया है |

यह देख कर मैं और मेरी पत्नी को बहुत दुःख हुआ | मैंने तो दिल पर पत्थर रख कर इसे बर्दास्त कर लिया, लेकिन मेरी पत्नी को इस घटना ने  काफी बेचैन कर दिया | वह अंदर ही अंदर घुटने लगी |

क्या क्या अरमान दिल में पाल रखे थे बेटे के लिए, वो सब धुल में मिल गया |

मैं कौशल्या को बार बार समझाता, पर उसके दिमाग से यह बात उतर नहीं पा रही थी | अभिराम से उसे नफरत सी  हो गई थी |

वह चिडचिडी सी रहने लगी | और वह न तो अभिराम को देखना और न बात करना ही पसंद करती थी |

कुछ दिनों के बाद अभिराम ने फ़ोन से मुझसे संपर्क किया और कहा कि  घर के खर्चे ठीक से नहीं चल पा रहे है इसलिए वह आमदनी बढाने  के लिए एक नया व्यापार शुरू करना चाहता है |

उसकी पत्नी बुटीक का काम जानती है और यहाँ पर इस इलाके में इसका बहुत डिमांड है | .

अतः बुटिक की दूकान खोलने का प्लान बनाया है | दूकान और जगह भी देख रखी है | अभी एडवांस और पगड़ी के मद  में पाँच लाख रुपए मालिक को देने पड़ेंगे |

इसके अलावा अन्य खर्चे  के लिए 15 लाख रूपये यानी कुल बीस लाख का  खर्च आएगा |  पिता जी,  आप की क्या राय है ?

मैंने कहा … अब तुम बड़े हो गए हो, अपना भला बुरा समझते हो , इसलिए जो उचित लगे वो करो |

इस पर वह बोला……..पैसे तो आपको ही देने है,  मेरे पास इतने पैसे तो नहीं है |

पहले तो मैंने पैसे देने से बिलकुल मना कर दिया | लेकिन कुछ दिनों के बाद वह मेरे पास पटना आया और बहुत हाथ पैर जोड़ने लगा |

और  मैं भावना में बह कर उसे पैसे दे दिया | इस घटना के बाद वह व्यापार के नाम पर बार बार पैसे लेता रहा और मेरी सारी जमा पूंजी  ख़तम हो गया | .इसके बाद घर बेचने की बात करने लगा.. …(क्रमशः ) …

इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें…

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6 replies

  1. बहुत ही सुंदर कहानी

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