
जीत और हार आप की सोच पर ही निर्भर करती है
मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी |
अंत भला तो सब भला
राजेश्वर के पास ठीक बीस दिनों के बाद बड़े वकील साहब का फ़ोन आया |
बड़े वकील साहब ने बताया कि चूँकि उन्होंने “केवेट” फाइल कर रखा था, अतः ज्योही उनलोगों के ज़मानत की अर्जी लिस्ट पर आयी, उन्हें भी सुचना मिल गई और उन्होंने ज़मानत का विरोध किया | फलस्वरूप, उनलोगों के ज़मानत की अर्जी ख़ारिज हो गई और अभी वे सब लोग जेल में ही रहेंगे |
और जैसा कि आशंका थी, कि बेल खारिज होने के दुसरे ही दिन दिनेश की पत्नी अपने बच्चे को लेकर गाँव पहुँची | उसका रो – रो कर बुरा हाल था | वह अपने गलतियों के लिए माफ़ी मांग रही थी |
राजेश्वर उस समय खेत पर काम कर रहा था | जब वह घर लौटा तो दरवाजे पर ही कौशल्या और दिनेश की पत्नी मिल गई | दिनेश की पत्नी ने झुक कर राजेश्वर को प्रणाम किया |
राजेश्वर ने कोई ज़बाब नहीं दिया | बस, अपने हाथ का सामान वही रख कर बाहर दलान में बैठ गया |
कुछ देर में कौशल्या वहाँ पहुँची | उसने राजेश्वर को मनाने का बहुत प्रयास किया |
वो बोली… देखो जी, बहू बहुत दूर शहर से आयी है | रो – रो कर उसका बुरा हाल है | न तो कुछ खा रही है और न पानो पी रही है | अब तो उसे माफ़ कर दो | अब उनलोगों को अपनी गलती का एहसास हो गया है |
राजेश्वर को सारी वो पूरानी बातें याद आ रही थी | इनलोगों के कारण ही उसकी ज़िन्दगी तबाह हो गई … कोर्ट – कचहरी के कारण वह कंगाल हो गया | सारे गाँव और समाज में उसकी जग-हंसाई हुई, सो अलग |

जिसको उसने अपने बेटे की तरह पाल- पोस कर बड़ा किया, उसने ही उसे चोर बना दिया |
नहीं नहीं, मैं हरगिज माफ़ नहीं कर सकता | मेरे साथ हमेशा ही उनलोगों ने छल किया है | इतने धोखे दिए है इन लोगों ने कि इन सबों पर से मेरा विश्वास ही उठ गया है ..राजेश्वर मन ही मन सोच रहा था |
और कौशल्या की तरफ देखते हुए बोला …, तुम ध्यान से सुनो | अगर तुमने मुझे मजबूर किया तो मेरा सारा गुस्सा तुम पर ही निकलेगा.. इतना कह कर राजेश्वर घर से निकल कर चौपाल की तरफ चल दिया |
चौपाल में वह पहुँचा तो पाया कि वहाँ गाँव के कुछ लोग बैठे है और उनके बारे में ही चर्चा कर रहे है | राम खेलावन भी वहाँ मौजूद था | राजेश्वर को देखते ही बोले ..आइये राजेश्वर भाई, हम लोग आप के ही बारे में चर्चा कर रहे थे |
सुना है कि सरपंच और खलीफा की ज़मानत की अर्जी खारिज हो गई है ? …..राम खेलावन बोला |
हाँ, बिलकुल सही सुना है …राजेश्वर उनके पास बैठते हुए बोला |
कुछ लोगों ने इस बात का समर्थन भी किया और कहा कि उन्होंने जैसा काम किया है उसकी सजा तो उन्हें मिलनी ही चाहिए | एक निर्दोष व्यक्ति को उनलोगों ने छल – कपट से चोर और बेईमान सिद्ध कर दिया था |
सरपंच के बेटा को जब पता चला कि राजेश्वर चौपाल में है तो वह भी दौड़ा – दौड़ा वहाँ पहुँच गया |
उसने सब के सामने राजेश्वर के पैर पकड़ लिए और कहा…मैं आप से अपने पिता की गलतियों के लिए माफ़ी मांगता हूँ | हमलोगों की परिवार और समाज में काफी बेइज्जती हुई है | मेरे पिता जी ने निःसंदेह बहुत बड़ी गलती की है |
लेकिन फिर भी आप से दया की भीख मांगता हूँ कि आप उन्हें जेल से बाहर निकलवा दें और उनको प्रायश्चित करने का मौका दें |

इस पर राम खेलावन ने कहा ….अब आप क्या सोच रहे है राजेश्वर भाई, अब तो आप की खोई इज्जत प्रतिष्ठा के साथ साथ खेत भी वापस मिल गई है | और ज़ल्द आप के अच्छे दिन भी आ जायेंगे | मैं तो कहता हूँ कि इनलोगों को माफ़ कर देनी चाहिए |
तुम ठीक कहते हो, अगर इंसान को अपनी गलती का एह्साह हो जाए तो वह माफ़ी के हकदार हो जाता है | मैं इस पर विचार करता हूँ ……..| उसके बाद राजेश्वर घर की ओर रवाना हो गए |
रात करीब आठ बजे के आस पास घर वापस आया तो देखा कि कौशल्या और बहू दरवाजे पर ही बैठे है | बच्चा वही खाट पर सो गया है | उसको समझते देर न लगी कि दोनों उसके जाने के बाद भी यही बैठे हुए है | बहू के बगल में खाना रखा हुआ था मगर उसने खाना नहीं खाया था |
वह हाथ मुँह धोकर बैठा तो कौशल्या खाना लेकर आई | उसने पूछा ..तुमने खाना खाया ?
नहीं, कैसे खाती …बहू तो सुबह से अन्न – पानी का एक दाना भी मुँह में नहीं लिया है | मेरी भी भूख मर गई है |
राजेश्वर धर्मसंकट में पड़ गया | उसके खाने की इच्छा भी मर गई | एक दो कौर खा कर वह उठ गया |

फिर कौशल्या से जोर से बोला ताकि बहू भी सुन ले | देखो, तुमलोग खाना खाओ | कल मैं वकील साहब के पास जाउँगा …देखता हूँ मैं क्या कर सकता हूँ |
इतना सुनना था कि बहू दहाड़ मार कर रो उठी | वह राजेश्वर के पैर पकड़ कर बोली… मुझे माफ़ कर दें | अगर इनका जमानत नहीं हुआ और यह केस नहीं उठा तो इनकी नौकरी भी जाएगी और हम सब दर – दर के भिखारी हो जायेंगे |
बहू , कौशल्या को पकड़ कर रोये जा रही थी | बार -बार एक ही रट लगा रही थी ….मुझे माफ़ कर दो और मुझे अपनी गलती सुधारने का मौका दो |
कौशल्या ने अपने सारे दुःख दर्द को भूल कर उसे गले लगा लिया | और आग्रह करके अपने हाथो से उसे खाना खिलाया |
जब दुसरे दिन राजेश्वर बड़े वकील साहब के पास पहुँचे तो वह उसे देखते ही मुस्कुरा दिए और बोले…. मैंने तो पहले ही बता दिया था कि वे लोग आपके पास रोते -गातें पहुंचेंगे | वही हुआ न ?
हाँ वकील साहब, वही हुआ | उनका रोना -गाना सुन कर अब तो मेरा भी दिल पसीज रहा है | मेरी पत्नी कौशल्या ने चूँकि दिनेश को अपने बच्चे की तरह पाला पोसा है अतः वो ज्यादा ही परेशान हो रही है |

ठीक है, अब मैं उनके ज़मानत की अर्जी का विरोध नहीं करूँगा ताकि उनलोगों का जमानत हो जाए |
फिर अगर आप दोनों समझौता कर के केस ख़तम करना चाहेंगे तो उस पर भी विचार करूँगा |
वकील साहेब ने आग्रह कर के राजेश्वर को चाय नास्ता कराया | फिर राजेश्वर अपने गाँव लौट गया और सारी बातें कौशल्या और बहू को बताई |
और इसके बाद की कहानी तो छोटी ही है और आप सब इसका अंदाज़ लगा भी सकते है | वैसे भी इस कहानी को पढ़ कर बहुतों ने आगे की घटने वाली घटनाओं का कई बार सही सही अंदाज़ लगाया भी है |……और यह इस बात का सबूत भी है कि आप सब कहानी बहुत ध्यान से पढ़ते है, इसके लिए शुक्रिया |
हाँ, तो मैं बता रहा था कि राजेश्वर ने बड़े वकील साहब को इस बात के लिए मना लिया कि आगे जब यह सब ज़मानत की अर्जी फाइल करेंगे तब उसका विरोध नहीं करेंगे ताकि ज़मानत हो सके |
और फिर समझौता कर के केस निरस्त करने पर भी आप से सहमती बन गई |
इसके बाद तो कहानी का सुखद अंत तो होना ही है | जी हाँ, दिनेश ने साहूकार को पैसा चुका कर अपने खेत भी छुड़वा लिया और भाई – भाई सारे गिले शिकवे भूल कर एक हो गए |
कहावत चरितार्थ हुआ ………….अंत भला तो सब भला ……………

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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बहुत अच्छा अंत। पढ़ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद , डियर |
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