# नमक हराम #….7 

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कौन किसे दिल में ज़गह देता है

पेड़ भी सूखे पत्ते गिरा देता है

वाकिफ है हम दुनिया के रस्मों-रिवाजों से

दिल भर जाए फिर हर कोई भुला देता है …

मेरी प्रतिज्ञा है

राजेश्वर थका हारा गुस्से में पंचायती से उठ कर घर आ गया और खाट पर चुपचाप लेट गया | कौशल्या को उसके असमय घर आने पर आश्चर्य हुआ और वो दौड़ कर राजेश्वर के पास पानी का गिलास लेकर आयी |

ऐसा क्या हुआ जो तुम दुखी मन से आकर खाट पर लेट गए …कौशल्या ने चिंतित मुद्रा में पूछा |

राजेश्वर  के मुँह से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी, सिर्फ आँखों से आँसू बह रहे थे, यह सोच कर कि इस छोटे भाई को भाई की तरह नहीं बल्कि अपने बेटे की तरह पाला – पोसा ,पढाया – लिखाया, बड़ा आदमी बनाया, वही  आज उसके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रहा है |

वो किसी तरह अपने को संभाला और उठ कर पानी पिया और कौशल्या से कहा …तुम ठीक कहती थी कि दिनेश सचमुच बदल गया है | उसके पास कुछ पैसे क्या हो गए कि अपनी नैतिकता और संस्कार ही खो दिया है | पुरखो की ज़मीन को हम साहूकार से लड़ कर लेने की उपाय कर रहे है और वह उसी खेत को बेचने पर उतारू हो गया है |

आज पंचायती में मेरी खूब बेइज्जती हुई है, यहाँ तक कि उसने मुझे चोर बना दिया |

वो हमारे उस स्नेह को भी भूल गया जब उसके लिए ठेकुआ, गुझिया .. और निमकी तुम बना कर देती थी और मैं हर सप्ताह शहर जाकर उसे हॉस्टल में दे आता था | मैं तो  सपने में भी कभी सोच नहीं सकता था कि मेरे इतनी सेवा करने और पढ़ा कर बड़ा आदमी बनाने के बाद अपनी संस्कार भूल जायेगा और मेरी गरीबी का फायदा उठाएगा |

शायद  मेरी परवरिस में ही कमी रह गई |

तुम दिल छोटा ना करो | जब तुमने  बेटे की तरह उसका परवरिश किया है | खुद अनपढ़ रह कर उसे पढाया,  खुद आधा पेट खा कर उसे किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी है  | तो एक काम और कर दो …कौशल्या कुछ बोलना चाह रही थी कि बीच में ही राजेश्वर गरजते हुए बोला ..नहीं भाग्यवान, तुम जो चाहती हो वो मैं जीते जी नहीं होने दूंगा |

उसके लिए मेरे मरने तक उसे इंतज़ार करना होगा | मैं पुरखो की ज़मीन  किसी भी कीमत पर बिकने नहीं दूंगा | यही मेरे बाप के लिए सच्ची श्रद्धान्ज़ली होगी | मैं छोटे भाई  को ज़मीन कभी नहीं दे सकता हूँ,  मैं कोर्ट – केस लडूंगा,  लेकिन हार नहीं मानूंगा | गुस्से में राजेश्वर के आँखों से अंगारे बरस रहे थे |

उसने घडी देखा तो दिन के दो बज चुके थे | वह कुछ सोच कर खाट से उठा और अपना गमछा सँभालते हुए घर से निकल गया | कौशल्या ने उसके गुस्से को देख कर अभी कुछ बोलना उचित नहीं समझा |

राजेश्वर सीधा वकील साहब के चैम्बर में पहुँचा तो पता चला कि वो एक केस के सिलसिले में कोर्ट परिसर में है |

राजेश्वर उनके चैम्बर में ही बैठ कर उनके आने का इंतज़ार करता रहा | थोड़ी देर में वकील साहब आ गए और राजेश्वर को देख कर बोले ..कैसे आना हुआ ?

राजेश्वर ने आज के सारी घटनाक्रम  की जानकारी दी और यह भी कहा कि उसने पंचायती का बहिस्कार कर दिया है |

वहाँ कोई लिखा पढ़ी हुई थी क्या ? आपने कोई कागज़ पर दस्तखत तो नहीं किया ?.. वकील साहेब आश्वस्त होना चाहते थे |

नहीं-नहीं, मैंने कोई पेपर पर किसी तरह की  सहमती नहीं दी है, बल्कि मैंने कहा कि पहले खेत को रेहन मुक्त कराओ फिर बंटवारे की बात करेंगे ..राजेश्वर ने कहा |

आप ने सही किया | आप निश्चिन्त रहे राजेश्वर जी | आप का भाई बिना आपकी सहमती के खेत नहीं बेच सकता है …वकील साहब ने कहा |

और हाँ, एक बात और कहना चाहता हूँ कि साहूकार को नोटिस दिए  15 दिन बीत चुके है और उसने अभी तक कोई ज़बाब नहीं दिया है .. उसके बारे में आप का क्या विचार है |

उसके ऊपर तो मुकदमा जितना जल्द हो सके कोर्ट में ठोक दीजिये, ताकि मामला कोर्ट में रहने पर वह मेरी खेत को बेच नहीं सके … और साथ ही साथ फसल काटने का हर्जाना भी क्लेम कर दीजिये | और उस केस में पुलिस को  भी पार्टी बनाइये कि वह उससे मिला हुआ है |

इसीलिए मेरे निवेदन करने पर भी वह केस रजिस्टर नहीं किया ….राजेश्वर अपना गुस्सा प्रकट कर रहा था |

ठीक है,  मैं पूरा पेपर तैयार कर कल ही केस फाइल कर देता हूँ….वकील साहेब ने कहा |

केस फाइल होते ही साहूकार को कोर्ट के तरफ से सम्मन  ज़ारी हो गया | तो वो तिलमिला गया और उसने अपने आदमी भेज दिए उसे बुलाने के लिए |

राजेश्वर को मज़बूरी में उसके पास जाना पड़ा | साहूकार उसे देखते ही धमकी भरे लहजे में कहा …तुम्हे तो मैं ने पहले ही कहा था कि  तुम अपने खेत, नियम के अनुसार मुझे रजिस्ट्री कर दो | लेकिन तुमने उलटे हम पर ही  केस कर दिया |

तुमको तो पता है कि मेरी पहुँच कहाँ तक है और केस लड़ने के चक्कर में जो भी रहने का एक मकान है तुम्हारे पास ..वो भी बिक जायेगा | तुमको कौन ऐसी उलटी – सीधी सलाह देता रहता है | अभी भी मौका है तुम केस वापिस ले लो और खेत मेरे नाम कर दो |

राजेश्वर उसकी बात सुनता रहा और अंत में सिर्फ इतना ही कहा ….भले ही मैं बर्बाद हो जाऊंगा, लेकिन अपनी पुरखो की ज़मीन तुम्हे नहीं दे सकता ..इतना कह कर वह वहाँ से चल दिया |

घर पहुँचा तो कौशल्या को चाय लाने को कह कर खाट पर बैठ गया | आज दिन भर के माथा पच्ची के कारण सिर में पीड़ा हो रही थी, शायद चाय से थोड़ी राहत  मिले….वो पानी पीते हुए ऐसा सोच रहा था |

थोड़ी देर में कौशल्या दो कप में चाय लेकर आयी | एक राजेश्वर को  दी और दूसरी खुद लेकर उसके सामने ही बैठ गई |

आज का दिन बहुत ख़राब बीता, इधर साहूकार धमकी दे रहा है उधर  मेरा खुद का भाई भी….राजेश्वर उदास मन से बोला |

तुमने तो अपने ज़िन्दगी में ना जाने कितने उतार चढ़ाव देखे है, फिर भी ऐसी परेशानी से घबरा जाते हो ? ऐसी परेशानी  तो आते  रहता है | तुम सब्र रखो  और भगवान् पर भरोसा रखो |  एक दिन वो सब ठीक कर देंगे.. कौशल्या चाय पीते हुए संतावना दे रही थी |

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सच है, हम ने बहुत दुःख देखे है .. सब्जी का ठेला लगाया, चाय की दूकान की और ना जाने क्या क्या जतन  किये ज़िन्दगी में | और कितनी परीक्षा लेगा भगवान् …वो कौशल्या से दिल की बात कह रहा था |

तुम वकील बाबू से कहो कि उन दोनों पर केस कर दे , चाहे जो भी हो अपने इज्जत को सरेआम नीलाम नहीं होने देंगे | उसके लिए भले ही गहना – जेवर बिक जाए | हमलोग को सिर्फ दो वक़्त की रोटी ही तो चाहिए वो भगवान् कही से भी इंतज़ाम कर देगा | अब हमलोग किसी के सामने गिडगिडाने नहीं जायेंगे ..कौशल्या का गुस्सा फुट पड़ा |

तुम ठीक कहती हो भाग्यवान, जब अपना ही सिक्का खोटा है तो दुनिया ठोकर मारती  है तो इसमें अचरज की क्या बात है ..राजेश्वर अफ़सोस प्रकट करते हुए बोला |

इसी चिंता – फिकर में उसे रात में ठीक से नींद नहीं आयी और सुबह उठने में काफी देर हो गई | उठकर घडी देखा तो  दिन के आठ बज चुके थे | राजेश्वर जल्दी जल्दी तैयार हुआ और दूकान की ओर चल दिया |

इस तरह चिंता फिकर में कुछ दिन बीत गए | और एक दिन राजेश्वर सुबह अपनी दूकान जा ही रहा था कि  रास्ते में पीछे से  राम खेलावन की आवाज़ सुनाई पड़ी ..वह रुक कर उसका इंतज़ार करने लगा | राम खेलावन जब नजदीक पहुँचा तो घबराये हुए स्वर में बोला…..राजेश्वर भैया, क्या आपने वो खेत बेच दिया ?..उसने जिज्ञासा से पूछा |

नहीं तो, क्यों भला ? ..उसने आश्चर्य से पूछा |

इस पर राम खेलावन बोला ..आप की खेत की तरफ से ही आ रहा हूँ | वहाँ तो आपके खेत को कोई और जोत रहा है, हमने उससे पूछा भी कि आप क्यों खेत जोत रहे हो | तो, उसने बताया कि  वह  खेत उसने ही ख़रीदा है ..और अब वह इसका मालिक है |

यह सब सुन कर राजेश्वर सकते में आ गया | और आँखों के सामने अँधेरा छ गया ….उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके छोटे भाई का किया धरा है ….(क्रमशः )

इससे आगे की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें..

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