# एक अधूरी प्रेम कहानी #..21 

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मेरी दुश्मनी बस इसी सौतन से है
क्योंकि मेरा यार फिदा इस पे तन मन से है

मेरे यार पर उसने भी काबू किया है
पता नही क्या जादू किया किया है

मैं तेरी सौतन

रामवती अपने छोटे बच्चे, राजू को हरिया को थमाते हुए बोली ..इसे  अभी अपने पास रखो | और जाते वक़्त अपने साथ ही लेते जाना |

नहीं रामवती , तुम भी घर चली जाओ | मैं यहाँ सब संभाल  लूँगा …रघु रामवती को समझा रहा था |

मैं सुमन को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ सकती,  अगर इसे कुछ हो गया तो मेरा भी जीवन व्यर्थ हो जायेगा ….रामवती ने साफ़ साफ़ लफ्जो में रघु को बोली |

डॉक्टर साहेब भी बहुत चिंतित मुद्रा में लग रहे थे | ..वे सुमन के पास आये और रघु की ओर देखते हुए बोले ….. अभी इनकी हालत काफी बिगड़ चुकी है |, कुछ कहा नहीं जा सकता है कि इन्हें बचा पाउँगा या नहीं | अपेंडिक्स के फट जाने से अंदर जहर फ़ैल रहा है | मुझे तुरंत ऑपरेशन करना  होगा |

ऐसा मत कहिये डॉक्टर साहेब,   इसे हर हाल में बचाना होगा ….रामवती रोते हुए बोल  रही थी |.

मैं पूरी कोशिश कर रहा हूँ, बाकि तो सब ऊपर वाले के हाथ में है | दुआ में बहुत ताकत होती है, आप लोग दुआ कीजिये कि  सुमन बच जाये | डॉक्टर साहब ऑपरेशन थिएटर में जाकर  ज़रूरी तैयारी  करने लगे |

सुमन बेहोश स्ट्रेचर पर पड़ी थी | रघु और रामवती  उसके दोनों ओर खड़े होकर एक टक  सुमन  को  देखे जा रहे थे और दोनों के आँखों से आँसू बह रहे थे |

तू तो मेरी “सौत” हो , फिर भी तुझसे इतना स्नेह क्यों है ?…रामवती मन में सोच रही थी |

इतने में  डॉक्टर साहेब अंदर से  आये  और  सुमन को एक इंजेक्शन लगाया और एक स्टाफ की मदद से ऑपरेशन थिएटर में लेकर चले गए |

ऑपरेशन थिएटर  के बाहर सभी लोग खड़े हाथ जोड़ कर  भगवान् से दुआ कर  रहे थे | उसी समय सेठ जी भी आ गए |

सुमन कहाँ है ? …सेठ जी ने रघु से पूछा |

सर, डॉक्टर साहेब अभी अभी अंदर लेकर गए है, शायद ऑपरेशन चालू हो गया है | सेठ जी ऑपरेशन थिएटर के बाहर जलते बल्ब को देख कर समझ गए कि  ऑपरेशन शुरू हो चूका है |

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वो वहीँ  एक बेंच पर बैठ गए और सब लोगों को भी बैठने का इशारा किया | लेकिन सभी लोग वही खड़े रहे और  हाथ जोड़ कर भगवान् से प्रार्थना करते रहे  |

आज यह पता चला कि सुमन का व्यवहार इतना अच्छा है कि हर कोई उसके ज़िन्दगी के लिए भगवान् से प्रार्थना  कर रहा है | यह तो सच ही है कि उसने सब की भलाई के लिए कुछ ना कुछ किया है …भले ही उसकी ज़िन्दगी संघर्ष पूर्ण रही हो |

वो अपने मेहनत और सच्ची लगन से काम करते हुए इस मुकाम पर पहुँची  है कि इतने बड़े इंडस्ट्री का मालिक भी उसके लिए बाहर बेंच पर बैठ कर जल्द ठीक होने की कामना कर रहा  है |

ऑपरेशन थिएटर का दरवाजा खुला तो सभी लोग दौड़  कर उस ओर भागे |

रघु जल्दी से डॉक्टर से पूछा…. अब कैसी है सुमन ?

डॉक्टर साहेब परेशान  नज़र आ रहे थे | वो रिसेप्शन में गए और  वहाँ के स्टाफ को कहा कि डॉक्टर माथुर जैसे ही यहाँ आयें, उनको अंदर लेकर आ जाना |

बोल कर वापस ऑपरेशन थिएटर में जाने लगे तभी सेठ जी ने पूछ लिया ….अब कैसी है सुमन ?

डॉक्टर साहेब उनकी ओर मुखातिब होकर बोले ….अभी सुमन की हालत बहुत नाज़ुक है, अपेंडिक्स फट जाने के कारण शरीर में ज़हर फ़ैल गया है | ,  इसलिए मैं एक और एक्सपर्ट डॉक्टर को भी बुला रहा हूँ |

आप पैसों की  चिंता नहीं करेंगे | आपको जितने डॉक्टर को कंसल्ट करना है, कीजिये … आप को किसी भी हाल में सुमन को बचाना  होगा / | वो मेरी बेटी जैसी है …..सेठजी के आँखों में आँसू आ गए थे |

कुछ देर बाद,  रघु ने सेठ जी से कहा .. ऑपरेशन तो बहुत देर तक चल सकता है | आप कितना देर यूँही बैठे रहेंगे | आप घर जाइये और जब ऑपरेशन पूरा हो जायेगा तो आप को खबर कर दूंगा |

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ठीक है, मैं जाता हूँ | लेकिन पल पल की खबर देते रहना ..बोल कर सेठ जी जाने लगे \

तभी एक डॉक्टर रिसेप्शन पर पहुँच कर बोला …आई ऍम  डॉ माथुर | ….

जी सर, आप का ही इंतज़ार कर रहे थे … रिसेप्शनिस्ट ने कहा और उनको लेकर ऑपरेशन  थिएटर में चला गया |

सब लोगो की सांस अटकी हुई थी,  न जाने क्या होने वाला है | लेकिन एक बात तो तय है कि सुमन ने इतने लोगों का भला किया है तो उनकी दुआएं अवश्य काम करेगी |

लंच का टाइम हो रहा था, लेकिन किसी को भी भूख नहीं लग रही थी | बस सभी लोग टकटकी लगाए उस दरवाजे को देख रहे थे जिसके अंदर सुमन ज़िन्दगी और मौत से जूझ रही थी |

चार घंटे  तक चले लम्बे ऑपरेशन के बाद  डॉक्टर साहेब अपने सिर के पसीने को पोछते हुए बाहर आये और इतना ही कहा .. .हमारा काम जो ऑपरेशन का था वो तो कर दिया है | अभी होश आने में करीब चार घंटे लग सकते है |

लेकिन ऐसी स्थिति में कभी कभी मरीज़ कोमा में भी चला जाता है | आपलोग भगवान् से दुआ कीजिये कि ऐसी स्थिति ना आये | अभी उसको रूम में शिफ्ट किया जा रहा है |

थोड़ी देर बाद, सुमन को ऑपरेशन थिएटर से निकाल  कर रूम में शिफ्ट कर दिया गया | सुमन बेहोश बेड पर पड़ी थी और रामवती और रघु उसके पास  ही खड़े होकर उसके होश में आने का इंतज़ार कर रहे थे | तभी सुमन के शरीर में हरकत हुई और सभी लोग चौक कर उसे देखने लगे |

सुमन धीरे से अपनी आँखे खोली और रामवती को देखने लगी |

वो कुछ बोलना चाह रही थी, लेकिन मुँह से आवाज़ बिलकुल नहीं निकल रहा था | वो  रामवती को बस एक टक  देखे जा रही थी | सुमन की आँखे मानो  कह रही हो …..आखिर  तुमने मुझे बचा ही लिया दीदी… .सुमन की आँखों से आँसू बह रहे थे |

हाँ – हाँ सुमन,  मैं तुम्हारे पास ही हूँ | रामवती उसकी हाथ  को अपने हाथ में लेते हुए बोली | अब तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी |

लेकिन वह फिर बेहोश हो गयी | सभी लोग घबरा गए और  रघु दौड़ कर डॉक्टर के पास  गया और बोला …डॉक्टर साहेब, सुमन को होश आया था लेकिन फिर बेहोश हो गयी |

डॉक्टर साहेब चल कर सुमन के पास आये और उसकी जांच करने के बाद बोले …..अभी अनेस्थिसिया का असर है , अभी होश आने में दो घंटे और लगेंगे |

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तभी रामवती ने डॉक्टर साहेब से कहा …सर,वो कुछ बोलना चाहती थी लेकिन उसके मुँह से आवाज़ ही नहीं निकल पा रहा था |

डॉक्टर साहेब ने समझाते हुए कहा … शरीर में  जहर फ़ैल जाने के कारण,  उस  जहर से  कुछ अंग  भी प्रभावित हुए होंगे | शायद इसी कारण उनकी आवाज़ भी चली गयी होगी |  

मैं उनको दवा दे रहा हूँ, शायद फिर से वो बोलने लगे | आपलोग भी भगवान् से प्रार्थना कीजिये  कि इनकी आवाज़ जल्दी  वापस आ जाये |

और हाँ, आपलोगों को एक बात  और भी बताना था | शरीर  में फैले ज़हर की वजह से इनकी बच्चेदानी में भी  इन्फेक्शन हो गया था , इसलिए लाचारी में  इनका बच्चादानी भी काट कर निकालना  पड़ा है |

अब ये कभी माँ नहीं बन सकती है | और कौन कौन सा अंग प्रभावित हुआ , उनके होश आने पर ही पता चल पायेगा | आप फिलहाल किसी भी तरह से इन्हें परेशान नहीं करें और पूरा आराम करने दें |

अभी चार घंटा बहुत ही विशेष है …, कुछ भी  हो सकता है,  बोल कर डॉक्टर साहेब चले गए |

रामवती को सुमन की स्थिति के बारे जान कर चिंता .और पीड़ा महसूस हो रही थी |

हे भगवान्,… तू ने यह क्या कर दिया …सुमन की तो सारी ज़िन्दगी चौपट कर दी | . . बाँझ रह कर ही सारी ज़िन्दगी उसे  बिताना पड़ेगा | एक औरत के लिए इससे बड़ी दुःख और क्या हो सकता है. | …

इसने  तो सब का भला किया, किसी का  भी दिल नहीं दुखाया | फिर किस बात की सजा इसे मिल रही है ….रामवती  दुखी होकर मन ही मन बोल रही थी और सुमन के सिर पर हाथ रख कर शीघ्र ठीक होने की कामना करने लगी |

तभी रघु बाहर से कुछ खाना लेकर आया और रामवती को  खाने के लिए दिया , लेकिन वो खाने से मना करते हुए बोली… अभी मुझे भूख नहीं है |

देखो रामवती,  मैं समझ सकता हूँ  कि सुमन की ऐसी स्थिति से तुम दुखी हो,… मुझे भी तो दुःख है |

लेकिन भूखे रहने और इस तरह रोने – धोने से अगर तुम भी बीमार पड़ जाओगी तो सुमन की सेवा कौन करेगा ?

इस पर रामवती के कहा… सुमन को  होश तो सुबह तक आएगा .. ..मैं स्त्री हूँ, इसलिए मुझे इसके पास रहना ज़रूरी है | आप  घर चले जाओ और  राजू का भी ध्यान रखना  | सुबह भले ही जल्दी आ आना …(क्रमशः )

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