
मन ही मन को जानता …मन की मन से प्रीत ,
मन ही मनमानी करे …मन ही मन का मीत .
मन झूमे मन बाबरा … मन की अद्भुद रीत
मन के हारे हार है …. .मन के जीते जीत
हाय री किस्मत
रामवती से मिलाने वाली बात सुमन के मुँह से सुन कर रघु को पसीने आ रहे थे | उसे पता था कि रामवती सामने पा कर मुझे तो ज़रूर पहचान जाएगी | इस स्थिति को किसी तरह भी टालना होगा |
उससे बचने के लिए क्या करना चाहिए, रोटी खाते हुए रघु सोच रहा था | चिंता के मारे, उसके मुँह से निवाले नीचे नहीं उतर रहे थे |
पास में बैठा विकास उसकी हालत को देख कर बोल पड़ा …क्या बात है रघु भैया, आप कुछ चिंतित नज़र आ रहे है | मैंने तो अपना खाना समाप्त भी कर लिया है और आप अभी तक लेकर बैठे हुए है |
रघु उदास स्वर में विकास से बोला … बहुत गड़बड़ घोटाला हो गया है विकास |
ऐसा क्या हुआ है भैया ?…विकास उत्सुकता से पूछा, तभी हरिया भी पास आ गया |
दरअसल , बात ऐसी है कि रामवती राजू को लेकर गाँव से मुंबई आ गई है .. रघु बोला |
यह तो अच्छी बात है, लेकिन भाभी है कहाँ ? . .विकास उत्नेसुकता से पूछा |
वो अभी सुमन के पास है और सुमन को यह पता नहीं है कि वह मेरी रामवती है … खाना की थाली सरकाते हुए रघु ने कहा |
यह क्या कह रहे है ? यह सब कैसे हुआ ?..इस बार हरिया बोल पड़ा |
यह तो एक लम्बी कहानी है, इसे छोडो | हमें उपाय सोचना है कि रामवती के सामने होते हुए भी वो मुझे पहचान नहीं सके | कल सुमन स्टूडियो में मुझसे मिलाने ला रही है …. रघु पॉकेट से बुखार का टेबलेट निकाल कर खाते हुए कहा |
अरे, बाप रे…यह तो बड़ी भारी समस्या आ गई है .. हरिया बोल पड़ा |
तभी विकास बोला …एक उपाय कर सकते है, अगर आप कहे तो बताऊँ ?
तो ज़ल्दी बताओ ना… रघु बेचैन हो कर पूछा |
विकास बोलने लगा ..आप मेरी बात ध्यान से सुनियेगा | आप को शूटिंग तो कल करना है ना ?.
हाँ तो ….रघु ने कहा |

आप अपना गेट अप एक दम बदल लीजिये | मूंछ सफा-चट और दाढ़ी मौलाना वाली | सिर पर मुस्लिम टोपी | आप तो बिलकुल मुसलमान बन जाइये और सुमन को समझा दीजिये कि धारावी में मुस्लिम आबादी ज्यादा है, इसलिए उसके पहनावे को ध्यान में रख कर आज फोटो शूट करेंगे |
इसमें सुमन भी मान जाएगी और रामवती को तो शक भी नहीं होगा… विकास अपनी बात समझा रहा था |
बिना मूंछ के रघु भैया को तो हम भी नहीं पहचान पाएंगे …. हरिया हँसते हुए बोला |
तुम ठीक कर रहे हो विकास , और कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है …रघु चिंतित मुद्रा में बोला | रात इसी तरह सोचते हुए बीत रही थी | रघु के साथ – साथ विकास और हरिया भी जाग रहे थे | थोड़ी देर बाद बुखार उतर चूका था और फिर तीनो को नींद आ गई |
इधर सुबह जब रामवती उठी तो उसके बदन में दर्द हो रहा था, शायद कल मुंबई घुमने की थकान अभी तक गई नहीं थी | सुमन तो अभी भी घोडा बेच कर सो रही थी |
फिर भी रामवती आज खुश थी और किचन में चाय बनाते हुए सोच रही कि जब सुमन उठेगी तो उसको चाय के साथ एक सरप्राइज दूंगी, हाँ अब मुझे लिखना-पढना आ गया है ..मैं अपना नाम लिखने के साथ साथ अपने पति का भी नाम लिख सकती हूँ ….. रघु राम |
वो चाय बनाते हुए एक देसी गीत गुनगुना रही थी / रामवती के गीत की आवाज़ सुनकर सुमन की नींद खुल गई | उसे समझते देर ना लगी कि आज रामवती बहुत खुश है |
सुमन बिस्तर पर बैठे बैठे आवाज़ लगा दी… चाय में कितनी देर है दीदी |
मुझे पता था . … तू उठते ही चाय के लिए आवाज़ देगी, इसलिए सबसे पहले तुम्हारी चाय और राजू के लिए दूध तैयार कर दी हूँ , बस अभी लेकर आ रही हूँ |
सुमन चाय लेते हुए बोली…. वाह , आज चाय से अच्छी खुशबु आ रही है, दीदी |
हाँ, मैंने इलायची जो डाली है चाय में …रामवती बोल कर उसी के पास अपनी चाय भी लेकर बैठ गई |
कल तुम्हारे साथ मुंबई घुमने में बड़ा मजा आया..रामवती खुश हो कर बोल रही थी | जिसका पास में घर होता होगा वो तो रोज़ वहाँ मजे करते होंगे |
नहीं दीदी ,वहाँ पर रहने वाले लोग बहुत धनी होते है ..उनके पास समय की कमी होती है और वो उसका मज़ा नहीं ले पाते…सुमन समझाते हुए बोल रही थी |
तभी रामवती ने देखा कि सुमन पेट पकड़ कर बैठी है, शायद पेट में दर्द हो रहा था | उसने सुमन का हाथ पकड़ कर पूछ लिया …तुम्हारे पेट में तकलीफ है क्या ?
हाँ दीदी, ..थोडा दर्द महसूस हो रहा है, | बोलते बोलते सुमन अचानक बेहोश हो गई |
रामवती सुमन की स्थिति को देख कर घबरा गई | वो दौड़ कर किचन से पानी लेकर आयी और उसके मुँह पर पानी के छीटें मारे | उसे होश तो आ गया लेकिन दर्द काफी हो रहा था |

रामवती को सुमन की हालत देखी नहीं जा रही थी | उसके सिर को अपने गोद में रख कर सहला रही थी, और मन ही मन सोच रही थी …. मुझ जैसे अनपढ़ को ना तो दवा और ना ही रोग के बारे में कुछ पता है | ऐसे हालत में. अकेली मैं औरत जात क्या करुँगी |
सुमन ने हमारे लिए कितना कुछ किया है लेकिन मैं यहाँ ना तो किसी को जानती हूँ ना ही इस जगह से वाकिफ हूँ | रामवती अपने को अकेला महसूस करने लगी और उसके आँखों में आँसू आ गए |
तभी रामवती को एक उपाय सुझा और सुमन को डॉक्टर के पास चलने का आग्रह करने लगी |
सुमन ने कहा ….अभी थोडा दर्द है और कुछ देर में अपने आप ठीक हो जायगा | तुम चिंता मत करो दीदी |
लेकिन रामवती डॉक्टर के पास जाने को जिद करने लगी, और मज़बूरी में सुमन को ड्राईवर को फ़ोन कर बुलाना पड़ा | .
ड्राईवर सुमन की हालत के बारे में समझ कर तुरंत भाग कर आ गया | .किसी तरह रामवती ड्राईवर की मदद से उसे डॉक्टर के पास लेकर गई |
डॉक्टर ने सुमन की तुरंत जांच की और फिर बोला… मैं कुछ क्लिनिकल जांच के लिए लिख दे रहा हूँ | रिपोर्ट आने के बाद ही सही ढंग से इलाज हो पायेगा तब तक के लिए मैं कुछ दवा दे देता हूँ और इंजेक्शन भी लगा देता हूँ ….थोड़ी देर में आराम हो जाना चाहिए .| …
रामवती से कहा कि दो दिन में ठीक नहीं हुआ तो इनका गहन जांच करने हेतु हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ सकता है | फिलहाल दो दिन तक पूर्ण आराम की आवश्यकता है |
सुमन को घर ले कर रामवती आ गई और बिस्तर पर सुलाते हुए बोली …तुम यहाँ आराम करो | ,मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ और वो किचन में चली गई |
सुमन अब थोडा अच्छा महसूस कर रही थी, तभी सुमन के फ़ोन की घंटी बज उठी और सुमन ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ से रघु हेल्लो हेल्लो किये जा रहा था | सुमन धीरे से बोली …तुम कैसे हो रघु ?
मैं बिलकुल ठीक हूँ लेकिन तुम्हारी आवाज़ को क्या हो गया है , तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना ?…रघु घबरा कर पूछ रहा था |
हाँ, रघु, मैं बिलकुल ठीक हूँ …..वो अपनी बीमारी की बात छुपा कर बोली |
अरे हाँ, तुम कल स्टूडियो आ रहे हो ना…. सुमन कन्फर्म होने के लिए रघु से पूछ ली |
हाँ सुमन, कल स्टूडियो समय से पहुँच जाऊंगा …रघु शांत स्वर में बोला | ,
तभी रामवती फ्रूट जूस लाकर सुमन से बोली…तुम अभी जूस पी लो | थोड़ी देर बाद खाना देती हूँ . | मोबाइल में जैसे ही रामवती की आवाज़ सुनाई पड़ी.. रघु फ़ोन ज़ल्दी से काट दिया |

अचानक इस तरह रघु के व्यवहार से सुमन एक बार फिर चौक उठी और सोचने लगी… ,आज कल रघु को ये क्या हो गया कि मुझसे बात बिलकुल नाप तौल कर करने लगा है |कल मिलूंगी तो इसका कारण ज़रूर पूछूँगी |
सुमन को दवा का असर हुआ और रात में खाना खाने के बाद वह आराम से सो सकी .लेकिन रामवती रात भर जग कर उसकी देखभाल करती रही |
सुबह जैसे ही सुमन की आँख खुली तो देखा रामवती उसके पास ही बैठ कर उसका सिर सहला रही है | सुमन के जागते ही वो पूछी..अब कैसी तबियत है सुमन |
सुमन रामवती को पकड़ कर बोली…मेरी अच्छी दीदी, मैं तो अब ठीक हूँ ,लेकिन तुम रात भर मेरे पास बिना आराम किये बैठी रही….इसीलिए तुम अपनी हालत बताओ …|
मुझे क्या होने वाला है, ,मैं बिलकुल ठीक हूँ …रामवती बोली /और हाँ तुन्हें आज दिन भर सिर्फ आराम करना है , डॉक्टर साहेब ने कहा है |
शाम के चार बज रहे थे और सुमन अभी तक सो रही थी | रामवती उसके उठने का इंतज़ार कर रही थी, और खुद से बोल रही थी कि सुमन उठ जाये तो मैं भी उसके साथ स्टूडियो जाने की तैयारी करूँ |
सुमन तो जग चुकी थी और रामवती की बातें सुन ली थी | वह अंगराई लेती हुई बोली…दीदी, तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और मैं भी तैयार हो जाती हूँ |
ठीक पांच बजे दोनों स्टूडियो में पहुँच गए …सुमन रामवती और राजू को सोफे पर बैठा कर बोली …दीदी, तुम यही से शूटिंग देखना और किसी चीज़े की ज़रुरत हो तो गेट पर खड़ा ड्राईवर को बोल देना ।
सुमन स्टेज पर जा कर सभी इंतज़ाम का का मुआइना करने लगी | लेकिन उसे आश्चर्य लगा कि रघु अभी तक कही दिखाई नहीं पड़ रहा था |
सुमन चिंतित होकर रघु को फ़ोन मिला दी ..लेकिन रघु फ़ोन उठा नहीं रहा था |
सुमन परेशान हो उठी और खुद से बोलने लगी.. लगता है रघु की तबियत फिर से ख़राब हो गयी | वो हतास हो कर इधर उधर टहलने लगी | तभी सुमन ने देखा , एक मुस्लिम युवक उसकी ओर आ रहा है | वो उसे देख कर पहचानने की कोशिश करने लगी …तभी वो सुमन के पास आकर धीरे से बोला ..हेल्लो सुमन |
सुमन पलट कर देखी तो पहचान ही नहीं पायी |
सुमन आश्चर्य से उसकी ओर देख कर बोली ..अरे तुम, रघु हो ? … तुम तो बिलकुल पहचान में ही नहीं आ रहे हो | यह मुस्लिम वाला गेट अप क्यों किया है |
मेरा गेट अप ठीक नहीं लगा क्या ? रघु सुमन की ओर देखते हुए बोल पड़ा.. |
नहीं- नहीं, ऐसी बात नहीं है, , तुम तो बिलकुल पठान लग रहे हो…|
रामवती दूर से चुप चाप बैठे उनलोगों को देखे जा रही थी… शायद उसकी तेज़ नजरो से रघु का बचना मुश्किल ही लगता है | ……(क्रमशः ).

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