
ज़िन्दगी की उलझनों ने किस कदर उलझा दिया
कहीं दूर तक मंजिल नहीं …जाने कहाँ पहुँचा दिया
अब नहीं बाकी किसी से कोई भी …उम्मीदे ए वफ़ा
अपनों ही ने हर कदम जितना हुआ …धोखा दिया
मन की उलझन
टैक्सी में बैठा रघु सोच रहा था….., कल तो सुमन मेरी तबियत ख़राब होने की खबर सुन कर ही रास्ते की कठिनाइयों को पार कर मेरी खोली में आ गई थी | और आज उसको पता होने के बाबजूद कि मुझे बुखार है फिर भी आना तो दूर फ़ोन भी करना उचित नहीं समझा |
वह अपने माथे पर हाथ रख कर महसूस किया कि अभी भी बुखार है और ऐसी हालत में घर से नहीं निकलना चाहिए था |
टैक्सी अपनी गति से सड़क पर दौड़ रही थी और रघु आँखे बंद किये बस उस गेस्ट के बारे में सोच रहा था जिसके कारण आज रविवार होने के बाबजूद सुमन उससे मिलने नहीं आयी | पहले तो ऐसी स्थिति में फ़ोन करके परेशान कर देती थी |
अचानक आँखे खुली तो चौपाटी का खुबसूरत नज़ारा आँखों के सामने था | वैसे शाम को तो यहाँ की खूबसूरती और भी निखर जाती है | लेकिन आज उसे कोई ख़ुशी महसूस नहीं हो रही थी इसका कारण एक नहीं दो थे …….एक तो बुखार से शरीर तप रहा था और सिर में पीड़ा का अनुभव कर रहा था | और दूसरी तरफ सुमन के गेस्ट के बारे में पता करना भी ज़रूरी था |
सुमन अकेले रहती है अतः ऐसे वैसे लोगों के चक्कर में पड़ गई तो एक नया मुसीबत खड़ी हो जाएगी | यह तो मुंबई शहर है , यहाँ अनजान आदमी पर भरोसा करना खतरे से खाली नहीं होता | रघु सोचते – सोचते चौपाटी के उस छोर पर पहुँच गया जहाँ अक्सर सुमन घंटो उसके साथ बैठा करती थी |
चारो तरफ नज़रें घूम रही थी लेकिन सुमन उस जगह पर नहीं थी जहाँ हमेशा बैठा करती थी | वह बेचैन हो उठा, ऐसा तो नहीं, कही दूसरी ज़गह चली गई हो |
मुझे तो उसके गेस्ट पर शंका हो रही थी ..कही वो उसे कोई और जगह ना ले गई हो …रघु बेचैन होकर इधर उधर ढूंढता रहा और तभी उसकी नज़र सुमन पर पड़ गई ..वो चाट वाले से चाट ले रही थी लेकिन उसके आस पास कोई नहीं था |
रघु एक दुकान की आड़ में छुप कर सब कुछ देखने लगा और जानने की कोशिश करने लगा, कि सुमन के साथ कौन है ?
सुमन चाट वाले को अपने बैग से पैसे निकाल कर दे रही थी, तभी एक औरत उसके पास आई.. ,तो उसको देख कर रघु चौक पड़ा ..अरे, यह तो मेरी रामवती के जैसी लग रही है | चेहरा तो बिलकुल वैसा ही है लेकिन उसके बाल और लुक थोडा अलग थे | रामवती ठहरी गाँव वाली और यह तो बिलकुल शहर वाली लग रही थी |
वो मन ही मन बोल रहा था ..उसको भी कैसा कैसा शक हो जाता है ..भला रामवती मुंबई आ जाये और उसे खबर भी ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है ? फिर भी पता तो लगाना ही पड़ेगा कि वो अनजान औरत है कौन और सुमन के पास किस इरादे से आई है | रघु उत्सुकता से उधर ही लगातार देखे जा रहा था .|
उन दोनों ने चाट का प्लेट लेकर एक ओर चल दी | थोड़ी दूर पर बालू पर ही बैठ कर चाट खा रही थी और तभी एक नन्हा सा बच्चा आ कर चाट खाने की जिद करने लगा | शायद वो पास में ही बालू पर खेल रहा था |

जब रघु ने उन बच्चे को देखा तो उसके होश उड़ गए | अरे यह क्या ..यह तो अपना राजू है, मेरा बच्चा, भला उसको पहचानने में कैसी परेशानी | वो तो …….शत -प्रतिशत राजू ही है | हमारी आँखे इस मामले में धोखा नहीं खा सकती ,रघु अपने मन में ही बोले जा रहा था |
वो अपना माथा पकड़ कर वही बैठ गया, इसका मतलब तो यही हुआ ना कि वो गेस्ट और कोई नहीं रामवती ही है | सुमन ने ही उसका लुक बदल दिया है, और उसे “गाँव-वाली” से “शहर-वाली” बना दिया है |
चलो वो सब मान भी लेता हूँ कि रामवती और राजू ही है | लेकिन फिर एक सवाल यह कि रामवती मुंबई आयी कैसे और वो भी डायरेक्ट सुमन के पास | क्या दोनों एक दुसरे के बारे में पहले से जानते है ? नहीं, ऐसा नहीं है ,.. अगर वो एक दुसरे को जानते तो अब तक घमासान हो गया होता …. और मैं दोनों के बीच में सैंडविच बन गया होता |
रामवती अपनी सौतन कभी स्वीकार नहीं कर सकती | वो लोग अब तक एक दुसरे से अनजान है, मुझे पूरा विश्वास है |
भगवान् का लाख लाख शुक्र है कि अभी तक यह भेद नहीं खुल पाया है, वर्ना अब तक सब का जीना हराम हो गया होता | रघु को बुखार के बावजूद माथे से पसीना की बुँदे टपकने लगे और सिर का दर्द भी गायब हो गया | क्योंकि बहुत बड़ी समस्या खड़ी होने वाली थी |
रघु और ज्यादा देर तक यहाँ ठहरना उचित नहीं समझा ,अगर उनलोगों में से किसी ने भी देख लिया तो यही महाभारत शुरू हो जायेगा |
वह जल्दी से वहाँ से निकल जाना चाहता था और उनलोगों के नज़रों से खुद को बचाते हुए एक टैक्सी में जा कर बैठ गया |
टैक्सी घर के लिए निकल चूका था | वो आँखे बंद किये आने वाले समस्याओं के बारे में सोचने लगा | तभी उसके मोबाइल की घंटी बज उठी… रघु आँखे खोल कर मोबाइल में देखा तो सुमन बात करने को तैयार थी | लेकिन अब तो सुमन से बात करने में भी डर लग रहा था | मैंने हिम्मत करके धीरे से बोला .. .हेल्लो,
अरे अभी तक सो रहे हो ? देखो आज मौसम कितना सुहाना है | अगर तुम्हारी तबियत खराब नहीं होती तो तुम्हे भी चौपाटी ले कर आती और अपनी प्यारी सी गेस्ट से मिलवा देती |
आज बहुत दिनों के बाद धुप खिली है इसलिए यहाँ शाम का नज़ारा बहुत ख़ूबसूरत लग रहा है | मुझे इस समय तुम्हारी बहुत याद आ रही है | तुम ठीक तो हो ना..?.
हाँ –हाँ, मैं बिलकुल ठीक हूँ तुम अपने गेस्ट का ख्याल रखो | मैं अभी चाय पी रहा हूँ. .. रघु घबरा कर बोला और फ़ोन काट दिया |
उसे पता था कि ज्यादा देर बात की तो उस गेस्ट के कारण मुसीबत में पड़ जाऊंगा | ड्राईवर मेरी झूठी बातों को सुनकर मुस्कुरा रहा था, क्योकि ना तो मैं चाय पी रहा था और ना ही मैं घर पर था | मेरा बुखार लगभग उतर चूका था और मैं भगवान् से प्रार्थना कर रहा था कि इस आने वाले मुसीबत से मुझे बचा ले |
इधर, सुमन के साथ- साथ रामवती और राजू भी खूब मस्ती कर रहे थे | चौपाटी का नज़ारा देख कर रामवती को लग रहा था जैसे वो दुसरे ही दुनिया में आ गयी है |
रामवती खुश होकर बोली…सुमन ,चलो हमलोग भी फोटो उठाते है, वो देखो ना, वहाँ फोटो उठाने वाला भी घूम रहा है |
ठीक है दीदी …सुमन फोटो वाले को आवाज़ देकर बुला ली और सब लोग खूब फोटो खिचाने लगे | राजू तो इतना खेल-कूद किया कि उसे नींद आने लगी और अँधेरा भी हो चला था | इसलिए रामवती बोली ..अब वापस चलना चाहिए | घर पर चल कर खाना भी बनाना होगा |
सुमन भी रामवती के साथ खूब मौज मस्ती करके खुश थी और सोच रही थी इतने दिनों में पहली बार रघु के बिना चौपाटी घुमने आयी थी |
कार मैं बैठते ही राजू और रामवती दोनों सो गए और सुमन अपनी आँखे बंद कर फैक्ट्री और अपने भविष्य के बारे में सोच रही थी | क्योकि फैक्ट्री की सफलता के पीछे ही उसकी कामयाबी छुपी हुई है |

इन्ही ख्यालो में सारा रास्ता कट गया और गाड़ी फ्लैट के नीचे आ कर खड़ी हो गई | रामवती भी नींद से जग गई और तीनो घर में आ गए |
दीदी, कल रात की नींद की भरपाई तुम ने गाड़ी में ही सोकर कर ली….सुमन रामवती को देखते हुए बोल रही थी |
बिलकुल ठीक कह रही हो …आज बहुत दिनों के बाद इतनी अच्छी नींद आयी थी | अच्छा चलो, तुम कपडे बदल लो मैं चाय बनाती हूँ, मुझे तो चाय पीने की इच्छा हो रही है …रामवती सुमन की ओर देखते हुए बोली |
तुम तो मेरे मन की बात बोल दी , चाय पीने से थोड़ी थकान कम हो जाएगी ..सुमन खुश होते हुए बोली |
दोनों बैठ कर चाय पीते हुए कल की प्लानिंग करने लगे और तभी सुमन की मोबाइल रिंग करने लगी |
दीदी, मेरा फ़ोन टेबल से उठा कर जरा देना ….सुमन चाय समाप्त करते हुए बोली |
रामवती से फ़ोन लेकर सुमन ने देखा तो दूसरी तरफ से सेठ जी… , हेल्लो हेल्लो कर रहे थे |
गुड इवनिंग सर …सुमन ने कहा |
सेठजी ज़बाब में खुश होकर बोल रहे थे …वेल डन ,सुमन | तुम्हारा भेजा हुआ फोटो सभी मिल गया है और वो फोटो पसंद आ रहे है | मैं चाहता हूँ ,इसी तरह के फोटो शूट दुसरे प्रोडक्ट के लिए भी बनाओ और हमें भेजो | जब तक फैक्ट्री एरिया में जल जमाव की समस्या है, ,तुम इसी काम पर फोकस करो | .सेठ जी से शाबासी पाकर सुमन खुश हो रही थी |
थैंक यू सर ..सुम्सं बोल कर फ़ोन काट दी /
और इसी ख़ुशी में सुमन ने रघु के फ़ोन की घंटी बजा दी |…रघु ने जैसे ही देखा कि यह सुमन का फ़ोन है… उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा | उसे लगा कि भेद खुल चूका है, वर्ना इतनी रात को वो फ़ोन क्यों करती | रामवती तो वैसे ही शक्की है | फ़ोन पर ना जाने कितनी बार धमकी दे चुकी थी |
रघु डरते हुए फ़ोन को उठाया और धीरे से .. हेल्लो कहा |
दूसरी तरफ से सुमन की खनकती आवाज़ सुनाई दी …क्या हो रहा है ? और तुम्हारी अभी तबियत कैसी है ?
अभी मैं बिलकुल ठीक हूँ …रघु ने ज़बाब दिया | उसने सोचा कि अगर ऐसा नहीं बोलेगा तो , सुमन अपने गेस्ट के साथ मेरे खोली में ना पहुँच जाये | यहाँ आते ही अपना तो भांडा ही फुट जायेगा |
सुमन खुश होते हुए बोल रही थी …जानते हो रघु , आज सेठ जी ने फोटो देखा और उनको सभी फोटो पसंद आ गए है | उनका कहना है कि ऐसे ही फोटो शूट अपने दुसरे गारमेंट्स के लिए भी तैयार करने है | इसलिए अगर कल तक तबियत ठीक हो जाती है तो शाम में स्टूडियो पहुँचना है | और हाँ, साथ में मेरी गेस्ट को भी लेती आउंगी | उनको भी तुमसे मिलवाना है |
ठीक है , कल की कल सोची जाएगी…. और बोलकर रघु ने फ़ोन ज़ल्दी से काट दिया |
सुमन को रघु के ऐसे व्यवहार पर कुछ आश्चर्य हुआ | पहले तो फ़ोन पर घंटो बातें किया करता था ,लेकिन आज जैसे बात करना ही नहीं चाहता है | या फिर हो सकता है …उसका नेचुरल कॉल आ गया हो.. ऐसा सोच कर हंसने लगी |..
इधर रामवती से मिलाने वाली बात सुमन की मुँह से सुन कर फिर रघु को पसीने आने लगे | रामवती सामने पा कर मुझे तो ज़रूर पहचान जाएगी | अब उससे बचने के लिए क्या करना चाहिए, रोटी खाते हुए रघु सोच रहा था ….(क्रमशः)

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कितने सुंदर शब्दों का प्रयोग और बहुत ही सुलझे वाक्य रहते है आपके 🙏🙏
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बहुत बहुत धन्यवाद आपकों |
आप पूरी कहानी पढे, मुझे खुशी होगी |
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