
तुम बिन जाऊं कहाँ
रामवती के मन में एक द्वंद चल रहा था…उसकी आँखे कह रही थी कि इस तस्वीर में “रघु” ही है | लेकिन दिल मानने को तैयार ही नहीं था | वो सोचने लगी….भगवान् उसके साथ इतना बड़ा मजाक क्यों करेगा ?
सुमन ने मुझे और मेरे बच्चे की जान बचाई है और अपने घर में पनाह दी है | अपने सगे से भी ज्यादा मानती है ….उस पर यह आरोप कैसे लगा सकती हूँ कि … तुम वही जादूगरनी हो, जिसने मेरे पति को फांस रखा है ?
उस बेचारी का तो जीवन पहले से ही संघर्ष पूर्ण रहा है | वो एक ऐसे समाज में, जहाँ अबला नारी को पग पग पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, , अपने को स्थापित करने में लगी है और .अपना सिर उठा कर इज्जत से जी रही है |
इतना ही नहीं मुझ जैसे अंजान और बेसहारा औरत को बिना कुछ पूछे, लाकर अपने घर में शरण दिया है | बदले में मुझ से बहुत सारी उम्मीदें लगा कर बैठी होगी |
ठीक है, आज सुमन को आने देते है और मौका पाकर उससे हकीकत जानने का प्रयास करेंगे | अगर वो कोई दूसरा मरद निकला तो ठीक है वर्ना फिर सोचेंगे कि क्या करना है ?
रात के बारह बज रहे थे लेकिन अभी तक सुमन का कोई अता – पता नहीं था | यह कैसी औरत है, काम के पीछे पागल रहती है और खाने का भी ध्यान नहीं रहता है | इतनी मेहनत कैसे कर लेती है अकेली |
चलो जब भी आएगी, खाना गरम करके खिलाऊँगी और उसी समय खुद भी खा लुंगी | उसके बिना खाने का निवाला भी मुँह में नहीं जाता है | पता नहीं उससे इतना लगाव क्यों हो गया है ?
हम ही नहीं राजू भी उसी के पास रहना चाहता है, उसका तो स्वभाव ही ऐसा है | सचमुच जादूगरनी है …खुद ही बोल कर हंस पड़ी | और रामवती का मन नहीं माना तो फिर एक बार और लिफाफा खोल कर उस फोटो को ध्यान से देखने लगी |
तभी सुमन बाहर से चाभी डाल कर दरवाज़ा खोला और अंदर आ गई | वो घर में आते ही देखा कि रामवती बैठी उसी का इंतज़ार कर रही थी | रामवती सुमन को अंदर आता देख फोटो को जल्दी से तकिये के नीचे छुपा दी |
मैं कितनी बार समझाया है दीदी कि कभी – कभी हमें आने में देर हो जाती है | इसलिए आप मेरे लिए नींद क्यों खराब करती हो ? और मुझे पता है, .. तुमने खाना भी नहीं खाया होगा …सुमन समझाते हुए बोली |

रामवती हँसते हुए बोली …अरे मेरी छोटी बहन, तुम जब तक घर नहीं आ जाती हो, मेरे आँखों में नींद भी नहीं आती है |
अच्छा चलो, जल्दी से कपडे बदल लो, मैं खाना गरम करती हूँ | कल रविवार है इसलिए हमलोग कल घुमने चलेंगे |
ठीक है दीदी … सुमन बोलते हुए खाने के टेबल पर दोनों साथ बैठ गई |
आज तू तो बहुत थकी सी लग रही हो, तू अपने शरीर को इतना कष्ट क्यों देती हो ? घर जल्द आने की कोशिश करना चाहिए …रामवती समझाते हुए बोल रही थी |
खाना खा कर सुमन सोने चली गई, लेकिन रघु की बीमारी के कारण उसे नींद नहीं आ रही थी | वो तकिया के नीचे से फोटो निकाल कर फिर से देखने लगी और कल जो फोटो सेठजी को भेजना था उसे अलग कर रही थी | तभी रूम का लाइट जलता देख रामवती भी आ गई |
अरे दीदी, तुमको भी नींद नहीं अ रही है …सुमन जम्हाई लेते हुए बोली |
नहीं, मैं तो पूछने आई थी कि गरम- गरम दूध लेकर आऊँ | पिने से अच्छी नींद आएगी |
सुमन फोटो एक तरफ रखते हुए बोली….रहने दो दीदी | तुम कितना काम करोगी | आओ, नींद नहीं आ रही है तो मेरे पास बैठो | आज तो तुम्हारे बारे में पूछा ही नहीं कि आज दिन भर तुमने क्या किया ?
कल हमलोग मार्किट चलेंगे | तुम्हारे और राजू के लिए कुछ कपडे और सामान खरीदना होगा | अब तुम सुमन की बड़ी बहन हो | तुम्हे एक दम टिप- टॉप रहना होगा ….सुमन हँसते हुए बोली |
रामवती ज़बाब में बोली .. अगर तुम बुरा ना मानो, तो एक बात कहूँ |
अरे दीदी, तुम बेझिझक कोई भी बात कहो, ……मुझे बुरा नहीं लगेगा | इस घर में तुम्हारा अधिकार क्षेत्र बहुत बड़ा है | किसी भी बारे में संकोच ना करो और खुल कर बोलो …सुमन अपना सिर उसकी गोद में रख कर आँखे बंद कर ली, जैसे उसकी गोद में ही सोना चाहती हो |
रामवती उसके माथे पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली ….मुझे भी वहाँ ले चलो जहाँ फोटो उठाने जाती हो ..|
ओ अच्छा, शूटिंग देखने जाना चाहती हो …सुमन उसकी बात को समझते हुए बोली |
हाँ- हाँ , तुम ठीक समझ रही हो …रामवती ज़ल्दी से बोली |
ठीक है दीदी ..जिस दिन स्टूडियो जायेंगे तुमको भी साथ ले चलेंगे |

और बोलते बोलते सचमुच थोड़ी देर में उसकी गोद में ही आँख लग गई और सुमन गहरी नींद में सो रही थी | लेकिन रामवती के आँखों से नींद गायब थी | .बार -बार बस एक ही सवाल उसके मन में घूम रहा था कि अगर वो सचमुच रघु निकला तो उसे क्या निर्णय लेना चाहिए ?
भावनावश, उसके आँखों से आँसू टपक कर सुमन के गाल पर जा गिरे और सुमन अचानक चौक कर उठ बैठी . |
क्या हुआ दीदी, तुम रो क्यों रही हो…सुमन घबरा कर पूँछ बैठी |
नहीं रे, ऐसे ही तुम्हारी हालत पर मुझे रोना आ गया था | उसने अपने आँचल से आँख को साफ करते हुए बोली |
तुम आज मेरे साथ ही सो जाओ दीदी…सुमन उसे पकड़ कर बोली |
लेकिन राजू बगल के कमरे में अकेला ही सो रहा है ..रामवती चिंतित होकर बोली |
इतना बड़ा पलंग है यह , हमलोग तीनो ही यहाँ सो जायेंगे …सुमन बोलते हुए उठी और राजू को भी लाकर अपने बगल में सुला दी और रामवती को पकड़ कर खुद भी उसके गोद में सिर रख कर सोने लगी .. |
रामवती ममता से ओत – प्रोत हो गई और उसे महसूस हुआ कि उसके एक नहीं, दो-दो बच्चे है | और सुमन को अपने गोद में सिर रख कर सोने दिया | रामवती को भी बहुत शुकून का अनुभव हो रहा था |
सुबह रामवती जल्दी उठ कर घर के कामों में लग गई और सुमन के उठने का इंतज़ार करने लगी |
सुमन की जब नींद खुली तो धुप खिड़की से अंदर आ रही थी | उसे समझते देर ना लगी कि उठने में उसे आज देर हो गई है | खैर, आज तो रविवार है, फिक्र की कोई बात नहीं है |
वो बिस्तर पर लेटे ही आवाज़ लगाई …..दीदी, चाय कहाँ है ?
ला रही हूँ बाबा …राजू को भी तो दूध देनी है ..रामवती बोलते हुए चाय और बोतल में दूध लेकर आ गई |
राजू के मुँह में दूध की बोतल डाल कर, दोनों चाय पीने लगी |
अरे दीदी, तुम्हारी आँखे क्यों सूझ गई है | चेहरा भी उतरा हुआ है | लगता है किसी बात से काफी चिंतित हो | क्या मुझसे कोई भूल हुई है ?
नहीं -नहीं सुमन…तुम से तो कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है | अब तो तुम्हारे बिना मैं रह भी नहीं पाऊँगी शायद |
सुमन बोली….अच्छा छोडो और मेरी बात ध्यान से सुनो…हमलोग जल्दी से नास्ता कर के दस बजे घर से निकल जायेंगे और सबसे पहले पार्लर जायेंगे | मैं भी अपना बाल सेट कराऊंगी और तुम्हारा भी करा दूंगी |
फिर हमलोग मुंबई घुमने चलेंगे | तुम देखना यहाँ ऊँची ऊँची बिल्डिंगें है, समुद्र है, हमलोग खूब मज़े करेंगे | और खाना एक अच्छी होटल में खायेंगे |
सुमन की बातें सुन कर रामवती खुश हो गई और बोली … तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो | जा तू पहले ज़ल्दी से स्नान कर तैयार हो, तब तक राजू को मैं भी तैयार करती हूँ |
नहीं दीदी, तुम किचेन का काम कर लो मैं राजू को तैयार कर दूंगी ..सुमन बोलते हुए बाथरूम में चली गई |
तयशुदा समय पर ड्राईवर भी आ गया और सबलोग गाड़ी में बैठ कर निकल पड़े |
पार्लर पहुँच कर पहले सुमन अपना बाल सेट करवा ली और फिर वहाँ के स्टाफ को निर्देश देकर रामवती को बैठा दी और खुद बाहर आकर सेठ जी को फ़ोन मिला दी…
हेल्लो सेठ जी,… मैं सुमन बोल रही हूँ | आज आपको स्टूडियो से आये कुछ फोटो भेज रही हूँ | आप चार बजे घर पर रहेंगे ना…|
हाँ -हाँ ..आज मैं घर पर ही हूँ …सेठ जी खुश होते हुए सोच रहे थे कि ऐसी विकट स्थिति में भी सुमन मन लगा कर काम कर रही है | सुमन हमारे फैक्ट्री के लिए एक दम फिट है |
थोड़ी देर के बाद पार्लर की स्टाफ रामवती को ले कर मेरे पास आयी | रामवती बहुत खुश नज़र आ रही थी |
क्या दीदी ? आप तो पहचान में नहीं आ रही है …गजब का लुक हो गया है | बिलकुल मेम की तरह …सुमन हँसते हुए बोली |
रामवती अपने आप को आइना में देख कर आश्चर्य चकित रह गई , उसका पूरा चेहरा ही बदल गया था और वह बहुत सुंदर दिख रही थी ….आईना में खुद को देख कर शरमा रही थी |

दीदी, आज तुमको पहली बार इतना खुश देख रही हूँ | तुम इसी तरह हमेशा खुश रहा करो ..उसे खुश देख कर सुमन बोल रही थी |
फिर घडी की ओर देखते हुए सुमन बोल पड़ी…अभी दिन के दो बज रहे है, इसलिए पहले होटल चलते है वहाँ से लंच लेकर फिर चौपाटी चलेंगे | राजू को वहाँ बालू पर खेलने में खूब मज़ा आएगा |
ठीक है सुमन, तुम जैसा चाहो , ..रामवती ने कहा .|
रामवती और सुमन गाड़ी में बैठ कर होटल के लिए रवाना हो गए | रास्ते में बड़ी -बड़ी बिलडिंग और आस पास के नज़ारे को देख कर रामवती खूब खुश हो रही थी | राजू भी गाड़ी में बैठ कर मजे कर रहा था .. |
करीब एक घंटा घुमने के बाद “गेटवे ऑफ़ इंडिया” पर पहुँच गए और थोड़ी देर वहाँ बिताने के बाद पास के होटल में चले गए .| ड्राईवर को भी खाने के लिए पैसे दे दिए सुमन ने |
बोलो दीदी, तुम क्या खाओगी …सुमन उसकी ओर देखते हुए बोली |
तुम जो खिलाओ और जहाँ घुमाव …आज तुम्हारी ड्यूटी है …रामवती हँसते हुए बोल रही थी |
ठीक है दीदी ..मैं आर्डर दिए देती हूँ …बोल कर सुमन “भोजन सूची” से खाने का सिलेक्शन करने लगी |
इधर रघु परेशान था कि सुबह से सुमन का एक बार भी फ़ोन नहीं आया था | कही उसकी तबियत तो खराब नहीं हो गई | उसे कल रात में यहाँ से वापस जाने में काफी देर हो गई थी |
वह चिंतित हो उठा और सुमन का हाल समाचार जानने के लिए उसे फ़ोन मिला दिया, लेकिन फ़ोन रिंग हो कर कट गया | उस समय सुमन भी लंच समाप्त कर अपने गाड़ी की ओर बढ़ रही थी | तभी रघु दोबारा फ़ोन मिला दिया तो सुमन फ़ोन उठा कर बात करने लगी |
हेल्लो, अब तुम्हारा तबियत कैसा है ?… सुमन ने पूछा |
मैं तो ठीक हूँ, तुम कैसी हो ? तुम्हारा फ़ोन सुबह से नहीं आया था इसलिए चिंता हो रही थी …रघु बोला |
नहीं – नहीं , चिंता की कोई बात नहीं है | तुमको बताया था ना, कि एक गेस्ट आयी हुई है, उसी को घुमाने चौपाटी ले कर जा रही हूँ |
रघु के मन में शंका होने लगी ..कि वो ऐसा कौन सा गेस्ट है ,जिसके लिए आज मुझे भी फ़ोन करना उचित नहीं समझा .. उसके गाँव से आज तक तो कोई आया ही नहीं था | और ना कभी किसी दोस्त या गेस्ट के बारे में कभी मुझसे जिक्र ही किया था |..
उसके मन में हुआ की वो भी चौपाटी जाकर हकीकत पता करे ..उसे तो पता ही है कि चौपाटी में सुमन कहाँ मिलेगी | पहले भी कितनी बार मेरे साथ वहाँ गई है और उसका पसंदीदा जगह भी मुझे पता है …और वो सोचते हुए टैक्सी में बैठ कर चौपाटी के लिए रवाना हो गया…….(क्रमशः)

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