
हम अपने ज़ख़्म … तुमको दिखा नहीं सकते
जो शिकवा तुम से है… औरों को सुना नहीं सकते,
मेरे ख़याल की गहराई को ज़रा तुम समझो
कि सिर्फ़ लफ़्ज़ तो …मतलब बता नहीं सकते
मलाल ये है कि साक़ी तो बन गए ज़नाब
शराब हाथ में है ..लेकिन पिला नहीं सकते..
दिल ही तो है
स्टूडियो से निकलते हुए रात के दस बज चुके थे, रघु और सुमन कार में बैठे अपने अपने विचारों में खोये थे और कार अपनी गति से भाग रही थी |
आज शूटिंग की वजह से सुमन काफी थक गई थी, इस कारण उसे कार में ही नींद आ गई और वो मेरे कंधे पर सिर रख कर गहरी नींद में सो रही थी …मैं उसके चेहरे को गौर से देख रहा था जिसमे समर्पण के भाव थे और मेरे साथ होने से एक निश्चिन्तिता उसके चेहरे से झलक रही थी |
मैंने भी उसे इसी तरह अपने कंधे पर सिर रख कर सोने दिया | मुझे भी उसके साथ रहने से एक अजीब सा सकून महसूस होता है | इन्ही सब बातों में खोया था कि ड्राईवर ने सुमन के मकान के सामने गाड़ी रोक दी | तभी सुमन की नींद खुल गई और वो आँखे खोल कर मुझे देखा और फिर से मेरी बांह पकड़ कर सोने की कोशिश करने लगी |
मैं धीरे से बोला ..तुम्हारा ठिकाना आ गया है | अगर अपने घर जाने की इच्छा ना हो तो अपनी खोली में ले चलूँ क्या ?…
मुझे देखते हुए सुमन जबाब में बोली ….नहीं- नहीं, मुझे अपने फ्लैट में जाने दो | तुम भी मेरे साथ चलो, और खाना खा कर चले जाना |
नहीं सुमन, अभी मैं काफी थक गया हूँ | खाना खाते ही मुझे नींद आ जाएगी और तुम अपने घर पर सोने तो दोगी नहीं |
तुम बहुत शरारती हो गए हो, ड्राईवर सुनेगा तो क्या समझेगा ?
अच्छा बाबा, अब मुझे जाने दो और ड्राईवर से बोल दो कि मुझे भी खोली तक छोड़ दे ..मैंने सुमन से कहा |

ड्राईवर साहेब तब तक डिक्की से सामान निकाल चुके थे |
सुमन ने ड्राईवर से मुझे घर तक छोड़ने के लिए कहा और फिर अपने फ्लैट में चली गई |
सुमन आज बहुत खुश थी | अब उसे फोटोशूट की तस्वीरें देख कर यकीन हो चला था कि वो जो चाहती थी… उस ओर सही कदम बढ़ा रही है |
घर पहुँची तो राजू सो रहा था और रामवती बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी |
अरे दीदी, तुम सो क्यों नहीं गई | मेरे पास एक्स्ट्रा चाभी तो है ही | ….सुमन देर से आने की वजह से उसे समझा रही थी |
हमारी छोटी बहन रात दिन मेहनत करे और मैं यहाँ इंतज़ार भी ना करूँ | चलो जल्दी से हाथ मुँह धो लो मैं खाना गरम किये देती हूँ ….रामवती ने कहा |
मेरे कारण तुम भी अभी तक भूखी बैठी हो ..सुमन दोनों के प्लेट में खाना पड़ोसते हुए कहा |
नहीं रे , मुझे भूख नहीं लग रही थी |आज दिन में देर से खाना खाई थी |
और हाँ,..आज राजू टेबल पर रखी सुंदर सा कृष्णा की मूर्ति तोड़ डाली है | मैंने गुस्से में उसे बहुत मारा है …रामवती गुस्सा होते हुए बोल रही थी |
दीदी ,तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था | मूर्ति ही तो थी , दूसरा आ जाता | …आगे से ध्यान रखना, आप राजू को किसी बात के लिए दंड मत देना |..वो हमारा सबसे प्यारा दोस्त बन गया है ,आज कल हमारे पास ही ज्यादा रहने लगा है ..सुमन खुश होते हुए बोल रही थी |
अच्छा चलो, सो जाओ रात बहुत हो चुकी है, तब तक मैं किचन की सफाई कर लेती हूँ ..रामवती ने कहा |
सुमन जब सुबह उठ कर खिड़की से बाहर देखी तो मुसलाधार बारिस हो रही थी और आंधी भी चल रही थी | ऐसे में आज स्टूडियो में जाना कैसे संभव हो सकता है ..वो बिस्तर पर लेटे-लेटे सोच रही थी ,| तभी रामवती चाय लेकर आयी और दोनों बिस्तर पर ही बैठ कर चाय पिने लगे |
अच्छा बताओ दीदी, कल दिन भर अकेले घर में क्या किया …सुमन हँसते हुए पूछी |

कल मैं खूब पढाई की और तुम्हारा बताया हुआ पाठ याद करती रही | पढने में खूब मन लग रहा है …रामवती खुश होकर बोल रही थी |
तुम तो बहुत जल्द हिंदी लिखना सिख जाओगी दीदी | आज तुमको बिउटी-पार्लर भी चलना है, ……….देखना तुम जब वापस आओगी तो तुम्हारा चेहरा बिलकुल बदल जायेगा..और तुम भी अपने आप को पहचान नहीं पाओगी …सुमन खुश होते हुए बोली |
नहीं रे, मैं ऐसे ही ठीक हूँ | लेकिन हम तुम्हारे साथ ही रहना चाहते है.. रामवती सुमन की तरफ देख कर बोल रही थी |
मैं भी यही चाहती हूँ दीदी, तुम्हारे आने से मुझे बहुत सहारा मिला है | मैं सोचती हूँ कि राजू को भी यहीं स्कूल में नाम लिखा दिया जाए |….क्यों कैसा रहेगा ?.
रामवती मन ही मन खुश हो रही थी और सोचने लगी ….मैं भी तो यही चाहती हूँ कि राजू स्कूल जाये और पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बने |,,,,
सुमन नहा-धो कर तैयार हो गई , तब तक बारिश भी समाप्त हो चुकी थी | सुमन स्टूडियो जाने की तैयारी शुरू कर दी और कल की लायी सारे फोटो को फिर से देखते हुए छांटने लगी ताकि उसे सेठ जी के पास भेजी जा सके |
रघु के सारे फोटो तो बहुत शानदार आया था | वैसे पढ़ा लिखा ना सही लेकिन देखने में वो काफी हैंडसम है | उसके फोटो को सुमन अपने सीने से लगा कर उसकी यादों में खो गई | तभी रामवती आकर बोली …चलो हटो , बिस्तर ठीक कर देती हूँ |
नहीं दीदी ,पहले हमलोग खाना खा लेते है ..मुझे भूख लग रही है और उसके बाद में स्टूडियो के लिए भी निकलना होगा …सुमन अपना आज का कार्यक्रम रामवती को बता रही थी |
ठीक है मैं खाना लगा देती हूँ, तुम ज़ल्दी से आ जाओ | बोल कर रामवती जाने लगी तभी पीछे से सुमन अचानक उसे पकड़ ली और प्यार भरे लहजे में बोली…तुम कितनी अच्छी हो दीदी |
अच्छा चल हट, दो दिनों में अच्छे बुरे की पहचान नहीं होती है .| हँसते हुए रामवती बोली और वो भी मुड़कर सुमन से लिपट गयी…..तू इतनी अच्छी क्यूँ है रे …..|
तभी राजू के रोने की आवाज़ आयी | सुमन दौड़ कर उसके पास गई और देखा कि राजू नींद में बिस्तर पर पेशाब कर दिया है | उसने जल्दी से उसके कपडे बदले और उसे फिर सुला दिया |

रामवती टेबल पर खाना रख कर सुमन को आवाज़ लगाई ….जल्दी से खाना खा लो, ठंडी हो रही है |
सुमन खाना समाप्त कर बोली ..दीदी, जो नीली वाली तुम्हारी साड़ी है ना , वो आज मुझे दो, उसी को पहन कर जाने को मन कर रहा है |
अरे सुमन, अब तो मेरा सब कुछ तुम्हारा हो गया है, तुम जो चाहो पहन कर जाओ |
राजू भी सो कर उठ चूका था और उसके साथ खेलने के चक्कर में सुमन को समय का पता ही नहीं चला और अचानक घडी देखा तो पांच बज चुके थे उसे तो अबतक स्टूडियो में होना चाहिए था |
वो हड्बडा कर तैयार हुई और बैग लेकर रामवती को बोल कर घर से निकल गई | लेकिन इसी जल्दीबाजी के चक्कर में सारे फोटो बिस्तर पर ही छुट गए थे |
सुमन जब स्टूडियो पहुँची तो रघु को ना पाकर दुसरे स्टाफ से पूछा …तो पता चला कि रघु अभी तक नहीं आया है | सुमन को चिंता होने लगी, और वो तुरंत रघु को फ़ोन मिला दी …हेल्लो रघु, तुम कैसे हो ?
मैं ठीक हूँ, बस थोड़ी सी बुखार हो गई है इसलिए नहीं आ सका | लेकिन आज का काम रुकना नहीं चाहिए | मेरा काम मैं कल पूरा कर लूँगा …रघु समझा रहा था |
रघु के बारे में जान कर सुमन जैसे पागल हो गई | सभी काम छोड़ कर. गाड़ी में बैठी और ड्राईवर को धारावी चलने को कहा .|.
ड्राईवर बोला… मैडम, उधर रास्ता तो जलमग्न है, जाना ठीक नहीं होगा |.
सुमन ने जोर देकर ड्राईवर से बोली ……. किसी तरह वहाँ पहुँचना जरूरी है |
ड्राईवर दुसरे रास्ते से गाड़ी ले जाने की कोशिश करने लगा और काफी परेशानी के बाद अन्ततः खोली तक पहुँच गई |
और देखा तो रघु बुखार से तप रहा था | हरिया और विकास पास में ही बैठे थे |

रघु को बुखार कैसे हुआ .. सुमन विकास की तरफ देख कर बोली |
हमलोग जो सर्वे में गए थे तो बारिस होने कारण थोडा भींग गए थे | लगता है उसी का असर है ..विकास आशंका व्यक्त की |
अभी कोई दवा दिया या नहीं .. सुमन पूछी |
अभी तक तो दवा नहीं दिए है मैडम , लेकिन दवा लेकर आते है …विकास बोला |
मैं बुखार की दवा मंगाई थी एक गेस्ट के लिए, शायद मेरे बैग में होगी ..सुमन दवा बैग में खोजने लगी |
तभी रघु आँखे खोल कर सुमन को देखते हुआ कहा ….अब तुम आ गई हो तो बुखार तुमको देख कर ही भाग जायेगा |
अभी मजाक मत करो और ये टेबलेट पानी के साथ ले लो ….सुमन टेबलेट हाथ में देते हुए बोली |और तब तब तक हरिया चाय ले कर आ गया |
रघु को चाय देने के बाद हमलोग भी चाय पी रहे थे |
करीब आधे घंटे के इंतज़ार के बाद बुखार उतर गया ,..तब सुमन को जान में जान आयी |
इधर रामवती ने सोचा कि सुमन के आने का टाइम हो रहा है तो क्यों ना उसके रूम को ठीक-ठाक कर दिया जाए | वो चादर झाड़ रही थी कि बिस्तर पर पड़े सारे फोटो ज़मीं पर बिखर गए |
रामवती सोचने लगी कि अगर फोटो कही ख़राब हो गए तो सुमन को बहुत दुःख होगा ..ऐसा सोच कर जल्दी जल्दी फोटो को ज़मीन से उठाने लगी. |
तभी एक फोटो पर रामवती की नज़र पड़ी तो चौक गई | रौशनी कम थी इसलिए फोटो साफ़ नहीं दिख रहा था | इसीलिए वो फोटो को लेकर ड्राइंग रूम में आ गई और सोफे पर बैठ कर सभी फोटो को ध्यान से देखने लगी |
अरे यह क्या …इस फोटो में तो यह आदमी बिलकुल रघु के जैसा दिख रहा है ..उसके मन में विचार आया |
फिर तुरंत सोचने लगी ..यह तो फिल्म लाइन का आदमी है .और हमारा रघु तो ईंट भट्टा में काम करता है |
यह रघु नहीं हो सकता ..वो अपने मन को समझा रही थी लेकिन बार बार फोटो को देखे जा रही थी ……………………..(क्रमशः )

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