# एक अधूरी प्रेम कहानी #..13 

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वो कौन थी

आज एक बहुत अच्छी बात हुई | कल के ब्लॉग पर मुझे बहुत सारे कमेंट्स मिलें | उसमे एक कमेंट्स तो ऐसा था कि  मैं बस पढ़ कर  मुस्कुरा दिया | एक मेरा  प्यारा  दोस्त  ने  पूछा  कि….

 “ड्राईवर ने ऐसा क्या कहा सुमन से कि  सुमन का दिल पसीज गया |”

 उसके  माध्यम से सभी दोस्तों को मैं बताना चाहता हूँ कि  सुमन के ड्राईवर ने वापस आकर बताया था कि  … उस औरत का सारा सामान चोरी हो गया है और वो बिहार से अकेले सिर्फ तीन साल के बच्चे के साथ मुंबई आयी है |

यहाँ उसका कोई ठिकाना  नहीं है और जो चार लोग उसके आस पास खड़े है वो सब के  सब गुंडे बदमाश और दलाल किस्म के लोग है | उस औरत को बहला फुसला कर ले जायेंगे और उससे धंधा कराएँगे और उसके  बच्चे से भीख मंगवाएंगे | यह सब तो साधारण सी बात है मुंबई  के लिए |

सुमन को अपने पुराने दिनों की याद आ गई |, वह सोच रही थी… उसे भी ऐसे लोगों का सामना करना पड़ा था |  वो तो भला हो उस रघु का जिसने सही समय पर आकर मुझे उन लोगों से बचाया था और जिसके कारण मैं अपने को संभाल पाई |

आज इस पोजीशन में हूँ, यह तो बस रघु की ही देन  है  वर्ना मैं भी आज वैसे धंधे में धकेल दी जाती | अब मैं इस औरत की मदद ज़रूर करुँगी और इसे उन समाज के भेड़ियों  से ज़रूर बचाऊँगी |  एक औरत ही औरत का दर्द महसूस कर सकती है |

ऐसा सोच कर वह गाड़ी से निकल कर उसके पास गई | वो औरत कुछ बोल नहीं रही थी ..सिर्फ रोये जा रही थी | सुमन के बहुत पूछने पर वो रोते हुए बोली … मेरा सारा सामान ट्रेन  में  चोरी  हो गई | और इस शहर में मेरा कोई जान पहचान भी नहीं है | मेरा मरद का पता .. और फ़ोन नंबर सामान के साथ ही चला गया | सुबह से ना हम कुछ खाए और ना मेरा बच्चा को कुछ खिला सकी  | मैंने देखा , वो दोनों बारिस की वजह से भींग चुके थे |

मुझे उनकी  स्थिति देख कर बहुत दया आ रही थी | उसके चेहरा और बात-चीत से बिहार की ही लग रही थी |  मैं तुरंत उसे कार के पास ले आयी और  ड्राईवर से खाना मंगा कर उन दोनों को  दे दिया | वो दोनों  खाना खा ही रहे थे तभी सेठ जी का फ़ोन आ गया और उन्होंने  बताया कि .. राजेंद्र जी आज नहीं आ रहे है |

दरअसल, मुंबई में आंधी तूफ़ान की  भविष्यवाणी सुन कर उन्होंने अचानक टिकट कैंसिल करवा लिया था | जिसकी सुचना रात में देने का प्रयास किया था, लेकिन मैं  उस समय सो रहा था,  अतः पता नहीं चला….. अभी बहुत मुश्किल से उनसे बात हो सकी तो उनको मालूम हुआ |

इसलिए तुम वापस  आ जाओ और अभी  ऑफिस भी जाने की ज़रुरत नहीं है  | अभी अभी पता चला है कि  धराबी एरिया जलमग्न हो चूका है ………सुमन,  सेठ जी की बात सुन रही थी और  पास खड़े उस औरत और उसके नन्हे बच्चे को देख रही थी जो अपनी पेट की भूख शांत कर रहे थे..|

उसे खाना खिलाने  के बाद सुमन उसे अपनी कार  में बैठाया और ड्राईवर से घर चलने को कहा |  थोड़ी दूर चलने के बाद एक बड़ी सी मॉल के पास गाड़ी रुकवा कर उन लोगों को अंदर ले गई और नए कपडे पहना कर भींगे कपडे वही छोड़ दिए |, इसके अलावा और कुछ कपडे और खिलोने बच्चे के लिए भी ले लिए |

सुमन ने देखा उस बच्चे को बुखार है |

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वे लोग मॉल से निकले  और सुमन ने  ड्राईवर को सीधे घर चलने को कहा |

सुमन के ऐसे व्यवहार से वो आश्चर्यचकित थी | उसे समझ में  नहीं आ रहा था कि सुमन को  कैसे धन्यवाद दे | अगर सुमन  ना मिलती तो उसका और उस बच्चे का क्या होता |

वो औरत सुमन का  हाथ पकड़ कर भावुक स्वर में कहा…..भगवान् तुम्हे हर मुसीबत से बचाए | तुम्हारी सभी मनोकामना  पूरी हो और ना जाने क्या क्या आशीर्वाद दे रही थी कि  सुमन बीच में  ही टोकते हुए कहा ……देखो दीदी , मैं भी एक औरत हूँ और  तुम्हारी परेशानी को देख कर किसी का भी दिल मदद को कैसे नहीं करेगा |

नहीं बहन, तुम्हारी आँखों में गजब की चमक है ,तुम तो साक्षात् देवी लगती हो |

मैं यह क़र्ज़ शायद ही इस जनम में उतार  पाऊं | उस औरत के आँसू बहने लगे | सुमन उसके हाथो को अपने हाथ में लेकर कहा …अब तुम मेरी बड़ी बहन हो और मेरे रहते तुम्हे किसी बात के लिए परेशान होने की ज़रूरत नहीं | मैं तुम्हारे मरद को कहीं से भी ढूंढ निकालूंगी | तुम मुझ पर भरोसा रखो |

बात करते हुए रास्ते का पता ही नहीं चला | बच्चा सो रहा था लेकिन बुखार अभी भी था  | सुमन घर आकर बच्चे को बिस्तर पर सुलाया और दूध गरम कर पिने को दी साथ में बुखार की दवा भी खाने को दी |

और बोली ..दीदी आप चिंता मत करो, एक घंटे में बुखार उतर जायेगा | तुम यही बैठो, मैं खाना बनाने की तैयारी करती हूँ |

तुमने  जब हमें बहन कहा है तो खाना बनाने की चिंता छोड़ो और अपने ऑफिस का काम करो, मैं आधे घंटे में खाना तैयार कर दूंगी | ज़िन्दगी भर मैंने तो सिर्फ यही काम किया है |

ठीक है दीदी मैं थोडा ऑफिस का काम करती हूँ और इस बच्चे को भी देखती हूँ.|

सुमन बहुत खुश थी कि इसके आने से अकेलापन दूर हो गया है |

तुम्हारा क्या नाम है …वो औरत सब्जी काटते हुए पूछी ली |

सुमन …सुमन अपना नाम बताई |

नाम सुन कर वो औरत कुछ चौक गई , फिर सोचा कि  मुंबई में सुमन नाम से कितने ही औरत होगी |

कोई ज़रूरी थोड़े ही है कि  वही सुमन हो | इसका स्वभाव तो  कितना अच्छा है | फिर वो अपने काम में लग गई |

तभी मैंने सुमन को फ़ोन लगा दिया………हाँ,, बताओ कि आज कितना काम हुआ …सुमन ने पूछा |

अभी अभी  सब लोग को विदा करके हम भी खोली में लौट आये है | आज सर्वे का काम दोपहर के बाद ही शुरू  कर पाया  था | सुबह से भारी  बारिस हो रही थी  | यहाँ धारावी पूरी तरह जलमग्न हो गया है…मैंने  पूरी जानकारी दी  |

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फैक्ट्री के पास कितना पानी जमा है ..सुमन चिंता करते हुए पूछ रही  थी |

फैक्ट्री के गेट में तो पानी घुस गया है | लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है ..मैंने सुमन को आश्वस्त  किया |

वहाँ का फर्नीचर वगैरह  का क्या हाल है …सुमन वहाँ के हालत जानना चाह  रही थी |

मैंने सोफे वगैरह सभी सुरक्षित स्थान पर रख  दिया है ,और कंप्यूटर और सभी फइलें फाइल सुरक्षित अलमारी में रख दिए  है लेकिन अभी आप के लिए फैक्ट्री जाने लायक हालात  नहीं है …..मैंने मना  करते हुए कहा |

अब सुमन की चिंता दूर हो चुकी थी और वो बहुत खुश नज़र आ रही थी | वो फाइल खोल कर ऑफिस में लगने वाले मशीन और डिजाईन का अध्ययन करने लगी |

तभी सुमन को उस औरत की आवाज़ सुनाई पड़ी ……,, सुमन, खाना तैयार है, चलो खाना खा लो |

हाँ दीदी …, मैं आ रही हूँ |  

सुमन खुश होकर बोली …धन्यवाद दीदी | तुम्हारे आने से मुझे एक  बहन  मिल गई और घर का बना बनाया खाना भी |

बच्चे का बुखार उतर चूका था और वो भी उठ कर खाने की ओर देखने लगा |

खाना बहुत स्वादिस्ट बना है…..सुमन खाते हुए बोल रही थी |

खाना खाते खाते सुमन ने पूछा ..दीदी तुम्हारा नाम अब तक बताया ही नहीं…|

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“रामवती” नाम  है मेरा …उस औरत ने कहा |

सुनते ही , सुमन को झटका सा लगा ……..कही रघु की रामवती तो नहीं ?. सुमन को  शक होने लगा |

वो बिना बताये थोड़े ही मुंबई आ जाएगी….सुमन अपने मन को समझाया |

अच्छा बताओ….तुम्हारे मरद का नाम क्या है …सुमन अपनी आशंका को मिटाना चाहती थी |

हमारे इलाके में औरते अपने मरद का नाम नहीं लेती  है …..रामवती ने ज़बाब दिया |

अच्छा चलो लिख कर ही बता दो, ..तभी तो खोज पाएंगे उसे …सुमन की उत्सुकता और बढ़ गई |

अरे सुमन,  हम कहाँ  पढना लिखना जानते है ….मैं तो अपना भी नाम नहीं लिख सकती …रामवती ने अफ़सोस करते हुए कहा |

माँ बाप बचपन में ही शादी कर दिए और गौना चार साल बाद हुआ | माँ बोली की ससुराल  जाकर तो खाना बनाना और घर संभालना होगा इसलिए खाना बनाना  अच्छी तरह सिख लो | सास ससुर का खूब सेवा करना |

गाँव का स्कूल शुरुआत ही की थी और क-क-हा-रा  तक ही सिख पाई | तभी माँ ने पढाई छुड़ा दी |…रामवती अपने बारे में बता रही थी |

अच्छा बताओ, तुम्हारे घर में कौन कौन है दीदी …सुमन उसके बारे में और कुछ जानना चाहती थी |

गौना के बाद जब ससुराल आई तो घर में सास ससुर और मेरा मरद थे | थोड़ी सी खेत भी थी और उसी से गुज़ारा होता था |

लेकिन दो साल पहले  ससुर जी की  बहुत तबियत ख़राब हो गई तो पटना के  बड़े  हॉस्पिटल में इलाज़ चला और उसमे खेत गिरवी रखना पड़ा…लेकिन फिर भी हमलोग ससुर जी को बचा नहीं पाए और उसी शोक में बाद में सास का भी देहांत हो गया |

हमलोग के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा | खेत भी हाथ से चला गया | तब गाँव के सरपंच का कोई परिचित मुंबई में नौकरी करता था ,उसी का पता लेकर मेरा मरद काम धंधे की खोज में मुंबई  आ गए  |

रामवती का कहानी सुन कर सुमन को बहुत दुःख हो रहा था |

और हाँ , बेटा का क्या नाम रखा है …..सुमन खाना समाप्त करते हुए पूछ लिया …..

तभी किसी ने कॉल बेल बजाई ..| दरवाज़ा खोल कर देखा तो ड्राईवर खड़ा था | गाड़ी की  चाभी देते हुए बोला .. पूरा इलाका जलमग्न है ….

इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें….

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