# एक अधूरी प्रेम कहानी #..10 

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तेरी मेहरबानियाँ

भूल जाओ अगर हमको , यह तेरा अधिकार है

हम कैसे भूल जाए, मुझे तो तुमसे ही प्यार है..

आज सुमन बहुत खुश थी ,आज ना जाने कितने दिनों बाद हम साथ – साथ मुंबई के सडको पर, बिना किसी भय और संकोच के दो प्रेमी की तरह स्वछन्द विचरण कर रहे थे |

कभी – कभी प्रेम की अभिव्यक्ति करना या प्रदर्शन करना कठिन हो जाता है | मैं समझता हूँ प्रेम तो एहसास है ,इसे शब्दों में बाँधा  नहीं जाना चाहिए | प्रेम तो समर्पण का दूसरा नाम है, जिसका सुमन ने एहसास करा दिया था |

दुनिया की भीड़ में इंसान चाहे सब कुछ भूल जाये, कितना ही मौज मस्ती में खो जाये, पर अकेले में वो उसे ही याद करता है, जिसे वह दिल के बेहद करीब पाता है | मैं दुनिया की नजरो से छुप कर ही सही, अकेले में ऐसा ही महसूस करता हूँ |

चौपाटी पर आकर सुमन बहुत खुश थी,| हमलोग पूरी तरह भींगे हुए थे और वो दौड़ते हुए मेरे पास आई और मुझे हाथों से पकड़ कर बालू पर लगभग गिरा ही दी और वो फोटोग्राफर  जल्दी ज़ल्दी हमारी फोटो उतार  रहा था |

मुझे एह्साह को गया था कि यह सुमन का ही आईडिया था | वह इन लम्हे को कैद कर लेना चाहती थी, जैसे ज़िन्दगी का क्या  भरोसा… दुबारा ऐसा मौका मिले या ना मिले  |

लेकिन मैं खुल कर प्रेम प्रदर्शित नहीं कर पा रहा था | क्योकि मैं थोडा तनाव में था ..रामवती के फ़ोन आने के बाद |

मेरा उदास चेहरा देख कर सुमन अपने हाथो में मेरे मुखड़े को लेकर शिकायत भरे लहजे में बोली…तुम तो सुबह बोल रहे थे कि मेरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जान भी दे सकते हो | तो फिर अभी उदास क्यों हो | मैं तो ऐसी कोई फरमाईस भी  नहीं की हूँ |

तुम नहीं समझोगी सुमन..मैंने कहा | हमारे समाज का ऐसा नियम है कि एक शादीशुदा  मर्द  को अपनी इच्छा से जीने का हक़  नहीं है | मैं अपने को बहुत सारे सामाजिक नियमो से बंधा पाता हूँ |

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रघु तुम मेरे अच्छे दोस्त ही नहीं मेरे लिए पूरा संसार हो और मेरा घरौंदा इतना कमज़ोर नहीं जो समाज की छोटी छोटी ठोकरों से टूट जाए | मेरी  तो ज़िन्दगी ही संघर्षपूर्ण है, इसीलिए छोटी – मोटी मुश्किलों से घबराती नहीं हूँ |

और तुम भी कान खोल कर सुन लो, मैं जब तक जिंदा हूँ.. तुम्हे किसी तरह  से भी परेशान होने की ज़रुरत नहीं है | रामवती को मैं अपनी बहन मानती हूँ ,मेरे कारण किसी तरह की परेशानी नहीं आएगी, मैं वचन देती हूँ | मैं बस तुम्हे खुश देखना चाहती हूँ |

सुमन की  बातें सुन कर मैं भावुक हो गया  और सुमन को भीच कर अपने सीने से लगा लिया और बस इतना ही कहा …धन्यवाद सुमन | तुमने मेरे मन का बोझ को हल्का कर दिया | मैं रामवती को भी दुखी नहीं देखना चाहता हूँ |

बातों बातों में पता ही नहीं चला कि  रात काफी हो चुकी थी और यहाँ से सभी लोग जा चुके थे,  सिर्फ हमलोग बच गए थे |

मैंने कहा ..बहुत जोर की भूख लगी है |

भूख मुझे भी …, चलो आज किसी बड़े होटल में चलते है …सुमन ने कहा |

मैं तुरंत बोल पड़ा …वहाँ बहुत पैसे खर्च हो जायेंगे |

आज तुम मेरे साथ जो हो,  तुम्हारा दिया गया वक़्त मेरे लिए ज्यादा कीमती है |

होटल पहुँचा तो वहाँ शौपिंग मॉल भी था और सुमन जैसे पूरा दूकान ही खरीद लेना चाहती थी |

सब के लिए कुछ ना कुछ खरीद रही थी ..रघु ,हरिया,और रामवती और राजू के लिए भी |

उसकी ऐसी भावना देख कर मैं भगवान् को धन्यवाद दिया कि तूने इतने अच्छे इंसान भी बनाये है |

रात काफी हो गई थी, मैं डिनर समाप्त कर सुमन को उसके फ्लैट में छोड़ कर वापस अपने खोली पर आ गया |

सुमन आज देर तक सोती रही और नींद खुली तो घडी आठ बजा रहे थे | सुमन को आज बहुत दिनों के बाद सुकून की नींद आयी थी ,जिससे समय का पता ही नहीं चला |

वह जल्दी जल्दी तैयार हो कर घर से निकल रही थी कि उसकी मोबाइल की घंटी बज उठी |

अरे, यह तो सेठ जी का फ़ोन है ….जी मैं सुमन बोल रही हूँ.|

सुमन तुम अभी सीधा धारावी वाले ऑफिस में आ सकती हो ?

जी, सेठ जी ,अभी आती हूँ …सुमन ने ज़ल्दी से कहा और टैक्सी लेकर निकल पड़ी |

सेठ जी को अचानक इस ऑफिस में आते देख मुझे आश्चर्य हुआ और मैं भाग कर उनके पास पहुँचा और उनको प्रणाम कर चैम्बर तक ले आया |

उनको स्थान ग्रहण करते ही  मैं पानी का गिलास रखा और पूछा …चाय लेंगे या कॉफ़ी |

सेठ जी पानी पीते हुए बोले…अभी  सुमन भी आ रही है .उसके बाद चाय ले आना |

मुझे जब  पता चला कि सुमन यही आ रही है …अचानक मेरे चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई |

मैं बेसब्री से इंतज़ार कर ही रहा था ..कि टैक्सी गेट पर रुकी |

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मैं दौड़ कर गेट की तरफ भागा और टैक्सी का गेट खोलते हुए कहा….गुड मोर्निंग सुमन |

वाह ,तुम तो अंग्रेजी बोलने लग गए हो.. सुमन मुझे देखते हुए बोली | मैं उसके हाथो से फाइल लेने लगा तो वो मना  कर दी |

तुम मेरी बॉस हो यहाँ,  और  फाइल ढोना मेरी ड्यूटी है …मैंने उसे सफाई दी |

वो हँसते हुए बोली …मैं घर पर भी बॉस हूँ तुम्हारा | सुमन अपने फाइल को अपने हाथो में लिए मेरे साथ चलते हुए चैम्बर तक आई |  मैं वही रुक गया,और  सुमन अंदर चली गई |

शायद सेठ जी इसी ऑफिस के बारे में कुछ फैसला लेना चाहते थे | इसीलिए सुमन को सलाह मशविरा करने के लिए बुलाए थे |

सेठ जी सुमन की ओर देखते हुए बोले …सुमन,  मैं इस फैक्ट्री की जिम्मेवारी तुम्हे सौपना चाहता हूँ | यह धराबी का जो इलाका है यहाँ करीब दस लाख की “लो इनकम ग्रुप” की आबादी है और उनलोगों को  टारगेट कर के उनकी ज़रुरत के अनुसार गारमेंट बनाए जाये तो कैसा रहेगा |

सुमन बोली..यह तो बहुत अच्छा आईडिया है | यहाँ के लोगों की ज़रुरत के हिसाब से गारमेंट बनाये जाएँ और सही ढंग से प्रचार और मार्केटिंग की जाये तो हम ज़रूर कामयाब होगे |

ठीक है,  कल से तुम इसी प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दो, और हाँ,  पैसो की फिक्र मत करना | यह तुम्हारा ड्रीम प्रोजेक्ट होगा, जिसे अपने बल पर सफल बनाना होगा ….सेठ जी खुश होते हुए बोले |

आप ने मेरे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी सौप दी है….सुमन ने कहा |

मुझे तुम पर पूरा भरोसा है सुमन …सेठ जी ने कहा |

तब तक मैं चाय लेकर चैम्बर में पहुँचा और टेबल पर रखा ही था कि सेठ जी बोल पड़े ..रघु , अब यह ऑफिस मैडम के अधीन रहेगा और आप लोग एक टीम की तरह काम कीजिये  | मुझे इस ऑफिस से बहुत आशा है |

जी सर …मैं पूरी कोशिश करूँगा …मैंने कहा |

सुमन चाय सेठ जी की ओर बढ़ाते हुए बोली….मेरी एक निवेदन है आप से |

सेठ जी चाय पीते हुए बोले …हाँ, हाँ ,बताओ  ,क्या कहना चाहती हो |

मुझे  अपने ढंग से स्टाफ का चयन और मॉडलिंग का काम लोकल लोगों के द्वारा ही कराने की आज़ादी  मिलनी चाहिए |

बिलकुल सही …मैं सहमत हूँ |

सेठ जी के साथ मैडम भी वापस चली गयी और मैं मन ही मन सोचता रहा …सुमन को एक नयी तरह की जिम्मेवारी मिली है, हम पूरी तरह उसे सहयोग करेंगे और सफल बनायेंगे |

और अब इस बात से निश्चिंत भी हो गया कि अब सुमन  का कम से कम मैनेजर साहेब से तो पीछा छुट ही  जायेगा |

मैं इत्मिनान की सांस ली और अपने काम पर लग गया |

लंच का समय हो गया था और आज बहुत दिनों के बाद मैं अकेले ही टिफ़िन खा रहा था |

मैं खाना खाते हुए सोच रहा था कि मैनेजर  साहेब को अब तक यहाँ के मीटिंग के बारे में पता तो चल ही  चूका होगा और यह कि सुमन अब इस ऑफिस में ही बैठेगी |

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अब तो उनके  दिमाग में कोई नया षड़यंत्र चल रहा होगा |

ऐसा सोच ही रहा था कि मैनेजर साहेब का फ़ोन आ गया |

मैंने फ़ोन उठा कर बोला ..मैं रघु बोल रहा हूँ |

और उन्होंने निर्देश दिया कि कल सुबह मुझे  उनके पास आना है, लेकिन काम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी |   मेरा मन आशंकित हो गया और तरह तरह के विचार उठने लगा |

मैं सुबह ठीक टाइम अपने पुराने ऑफिस में पहुँचा तो सामने ही पुराने सहकर्मी  रामू काका मिल गए |

मुझे देख कर खुश हो गए और चाय पिलाने के लिए कैंटीन ले गए |

चाय पीते हुए मैंने पूछा …यहाँ सब ठीक चल रहा है ना ?

अरे बेटा , क्या ठीक चलेगा …रामू काका बोल रहे थे …..मैनेजर साहेब का स्वभाव बहुत बदल गया है | हरदम सब को तंग करते रहते है ,यहाँ तक की मैडम को भी बहुत सताते है | यह बात सेठ जी को भी पता चल चूका है , शायद मैडम को दूसरी ऑफिस में भेजने का विचार चल रहा है |

आपने बिलकुल सही कहा है ….मैडम ,धारावी वाली ऑफिस में मैनेजर  बनने जा रही है |

सेठ जी फैसला भी ले लिए है …मैंने खुश होकर बोला |

चलो अच्छा हुआ,  उस बेचारी को इससे पीछा छुट जायेगा …रामू काका ने कहा |

तभी घंटी बजी और हम दोनों मैनेजर  साहेब के चैम्बर की ओर भागे |

मैनेजर साहेब मुझे देखते हुए बोले …आओ  रघु,  तुम कैसे हो ?

ठीक हूँ …मैंने ज़बाब दिया |

देखो यह कुछ फाइल और पैकेट है , इसे तुम अपने ऑफिस लेते जाना …उन्होंने  निर्देश दिया |

मैं  पैकेट उठा ही रहा था कि उन्होंने  अपने सामने बैठने का इशारा किया |

लेकिन मैं खड़ा ही रहा और कहा …मैं बस ठीक हूँ |

देखो रघु ,अब तुम अपनी घर वाली को यही बुला लो |अकेले कब तक  खाना बना कर खाते रहोगे |

और हाँ,  मैडम का पीछा छोड़ दो |  अपनी औकात देखो और मैडम का पोजीशन | तुम मुंगेरी लाल के हसींन सपने देखना छोड़ दो |

उनकी ऐसी बातें सुन कर बड़ी जोर का गुस्सा आया और लगा कि दो चार घूंसा मार दूँ,  बहुत  दिन से हाथ साफ़ नहीं किया है |

लेकिन फिर यह सोच कर शांत हो गया …हो सकता है यह उनका षड़यंत्र का ही हिस्सा हो,  हमें सुमन से अलग करने का |

मैंने उनकी बात का ज़बाब नहीं दिया और पैकेट लेकर चैम्बर से बाहर आ गया ….    

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