# एक अधूरी प्रेम कहानी #..6

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दर्द …जब आँखों से निकला ,

तो सब ने कहा…”कायर” है ये..

दर्द ….जब लब्जो से निकला,

तो सब ने कहा….”शायर” है ये..

दर्द…. जब मुस्कुरा के निकला,

तो सब ने कहा….”लायर” है ये …

तुम मेरे हो

रघु अपने जीवन की नई  शुरुआत  करने जा रहा था,  जी हाँ, आज फैक्ट्री के काम का पहला दिन और मुंबई आने के बाद पहली बार काम पर जा रहा था |

मन बिलकुल प्रसन्न लग रहा था, क्योकि वहाँ सुमन से भी मुलाकात होनी थी | खूब अच्छी तरह तैयार होकर तो जाना ही पड़ेगा,  कोई “ईट – भट्टा”  का काम है क्या ?

वो तो फैक्ट्री है …. वो मैनेजर कितना शूट- बूट में रहता है | मुझे भी वहाँ सलीके से रहना होगा … मैं मन ही मन सोच रहा था |

फैक्ट्री पहुँचते ही मुझे ध्यान आया कि सबसे पहले मैनेजर साहेब  से मिलना चाहिए और मैं उनके  कमरे मे गया और उनको देख कर बोला…प्रणाम सर जी |

आओ रघु ..बैठो, तुम्हे तुम्हारा काम समझा दूँ ….मैनेजर साहब बोले |

मेरे लिए यह काम तो नयी तरह की थी  ..लेकिन यहाँ आकर बहुत ख़ुशी मिल रही थी | काम करते हुए मन ही मन सोच रहा था कि अभी दो बजने को है, लेकिन सुमन कही दिख नहीं रही है | कही तबियत तो ख़राब नहीं हो गयी | सोच कर मेरा मन चिंतित हो उठा |

लंच के समय  कैंटीन में भी सुमन का इंतज़ार करता रहा | लेकिन लंच में भी कोई खोज खबर लेने नहीं आयी | अब मुझे पक्का विश्वास हो चला था कि उसकी तबियत ख़राब हो गयी है, वैसे भी औरत वाली बीमारी माह में एक बार तो आती ही है |

पैकिंग का काम करते हुए  मैं  पसीने से भींग चूका था तभी रमेश बाबू मेरी हालत को देख कर बोले  …अरे रघु जी,  तनिक आराम कर लो | और मुझे उनकी बात सही लगी और मैं पास में ही पंखे के नीचे जाकर बैठ गया |

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बातों बातों में मैं रमेश बाबू से पूछ  बैठा …सुमन मैडम अभी तक नहीं दिखी यहाँ ?

रमेश बाबू बोल पड़े …अरे रघु बाबु,  आप को पता नहीं है क्या ?  मैनेजर  साहेब सुमन को लेकर स्टूडियो गए हुए है |

लेकिन स्टूडियो काहे के लिए भैया …मैं अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए पूछ बैठा |  

कंपनी नए  फैशन डिजाईन की गारमेंट लॉन्च कर रही है,  उसी के प्रचार के लिए मेनेजर साहेब सुमन को लेकर गए है | सुना है सुमन मैडम को ही  मॉडल बना कर उस गारमेंट का प्रचार करने वाले है |

लेकिन भैया… ये सब तो फिल्म की हेरोइन करती है ..मैंने जिज्ञासा पूर्वक पूछा |

क्या बात करते हो रघु.. मैनेजर  साहेब बोल रहे थे कि सुमन मैडम मेक अप करने के बाद एक दम टॉप की मॉडल लगती है | इसी लिए तो कंपनी ने फैसला लिया  है  कि  सुमन मैडम को ही प्रचार – प्रसार का इंचार्ज बना दिया जाए  …रमेश बाबु खुश  होते हुए बोल रहे थे |

मैं मन ही मन सोचने लगा ..सुमन कहाँ से कहाँ  निकल गई और हम है कि  मजदूर के मजदूर ही रह गए | अब तो शाम को घर जाने के पहले सुमन से ही इज़ाज़त लेना पड़ेगा ,  अब तो इस ऑफिस में मेरा बॉस जो बन गई है …मैं मन ही मन सोच रहा था |

शाम हो चली  थी और घर जाने का वक़्त हो चला था, लेकिन सुमन अब तक नहीं आई थी  | मैं दुखी मन से काम समाप्त कर घर की ओर चल दिया |

आज रामवती दस हज़ार का मनी – आर्डर पाकर बहुत खुश थी | बनिया का भी काफी कर्ज हो गया था | शम्भू सेठ तो पिछली  बार चावल देने से मना  ही कर दिया था | बहुत मिन्नत की तब जाकर इस शर्त पर राशन दिया कि सात दिनों के भीतर सारा हिसाब – किताब बराबर करना होगा | सचमुच  एक दम टाइम पर पैसा आया है | मन ही मन रघु को “थैंक यू” बोली …और शरमा गई ।

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आज वो बहुत खुश थी और पानी भरने कुआँ पर गई तो उसकी सहेली कालिंदी मिल गई | वैसे कालिंदी उसकी बचपन की सहेली थी और संयोग से एक ही गाँव में दोनों का विवाह हुआ था | इसलिए वो दोनों सुख – दुःख आपस में साझा करती थी |

कालिंदी  उसे देखते हुए बोली…रामो, आज तो बहुत खुश लग रही है… . कहीं लॉटरी लगी है क्या ?

अरे नहीं रे…राजू के बापू का आज ही मनी आर्डर आया है | अब उस शम्भू सेठ के मुँह पर पैसा फेक आऊँगी | हरामी, गाहे – बगाहे टोकते रहता है | रामवती इठलाते हुए अपनी सहेली को बतला रही थी |

लेकिन रघु ने इतनी  जल्दी रुपया कहाँ से भेज दिया | वहाँ कोनो रुपया का पेड़ लगा है ? रामवती  को उसकी बात लग गई और घर आ कर सोचने लगी …बात तो कालिंदी ठीके बोल रही है | इतना जल्दी दस हज़ार रुपया का कैसे इंतज़ाम कर लिया और हाँ, भेजने  वाला कोनो औरत सुमन का नाम लिखा था |

कही ऐसा तो नहीं,  रघु कोनो गलत धंधा में चला गया हो | उसका दिल जोर जोर से धड़कने  लगा | कल ही फ़ोन कर के रघु से पूछना होगा …रामवती मन ही मन सोच रही थी |

इधर, आज सुमन दिन भर मॉडलिंग का काम कर के थक  गई थी | इसीलिए स्टूडियो का कम ख़त्म कर के फैक्ट्री ना जाकर सीधा घर चली आयी थी | आज तो रघु के काम का पहला दिन था | आज ज़रूर मुझे खोजता होगा …सुमन बेड पर पड़े हुए सोच रही थी | पता नहीं,  रघु के प्रति इतना लगाओ  क्यों है.. कि आज जब उसे नहीं देखी तो मन उदास सा लग रहा है |

यह सच है कि उसके लिए दिल में इतना प्यार होते हुए भी ऑफिस में उससे दुरी बना के रखनी पड़ती है | लोक लाज और समाज का ख्याल तो रखना हम औरतों की मज़बूरी है | समाज के बन्धनों से बंधे जो है | शायद रघु को  बुरा भी  लगता होगा | लेकिन वो तो समझदार है | मेरी मज़बूरी को समझता होगा |

लेकिन कितना दिन उससे अलग रह पाऊँगी | मुझे भी तो ज़िन्दगी में एक मरद चाहिए जिसके साथ संसार बसा सकूँ | अब तो जल्द ही फैसला करना पड़ेगा | आज सुमन बीते हुए ज़िन्दगी के बारे में सोचती है तो खुद आश्चर्य होता है कि इतनी  कठिनाइयों को पार करता हुआ यहाँ तक कैसे पहुँच गई | इसमें रघु का भी बहुत बड़ा योगदान है |

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मुझे पता है कि  रघु एक शादी –शुदा मर्द  है,  उसकी बीबी है, एक बच्चा है | उसका एक अपना भरा -पूरा परिवार है | इसके बाबजूद  मन किसी दुसरे के बारे में सोचना ही नही चाहता  ..वह अकेले में खुद से बात कर रही थी |  सचमुच में, मैं उसे प्यार करने लगी हूँ | तुम मेरे हो |

मैं  आज सुबह से ही परेशान था | मोहल्ले में दो लोगों के बीच  सुबह – सुबह  झगडा हो गया | उनलोगों के झगडे को छुड़ाने क्या गया कि खुद ही के मुँह पर चोट लग गई और बाई आँख  के नीचे फुल गया है | ऑफिस में तो लोग यही समझेगा कि  हम किसी से मार – पीट  कर के आयें  है | ऐसा ना हो कि आज दुसरे दिन ही मुझे नौकरी से निकाल दे ..मैं मन ही मन सोच रहा था | मैं जल्दी जल्दी ऑफिस जाने को तैयार हो रहा था क्योकि मुझे देरी से जाना पसंद नहीं | तभी मोबाइल की घंटी बज उठी …

हेल्लो … हम रामवती बोल रहे है |

हाँ, रामवती , वहाँ का क्या समाचार है ? पैसा जो भेजे थे वो मिल गया ?..मैं जल्दीबाजी में बोला |

हम उसी के बारे में बात करना चाहते है ..रामवती थोडा गुस्से में लग रही थी |

देखो रामवती , अभी हम ड्यूटी जा रहे है .. शाम को बात करेगे .. मैंने कहा और फ़ोन काट दिया | अब तो रामवती का गुस्सा भड़कना वाजिब था | उसे पक्का शक हो गया  कि जो कालिंदी बोल रही है वह ठीक ही है ….

उधर मैं जैसे ही ड्यूटी  पहुँचा, मेरा सामना सुमन से ही हो गया | उसे देख कर जैसे दिल को तसल्ली हो गई | मैं सुमन को देखते  ही बोला…. कल तुम कहाँ थी | सुने है कि मैनेजर  के साथ दिन भर थी |

हाँ,  स्टूडियो गई थी ..उसने जबाब दिया |  तभी सुमन को  मेरे मुँह पर के घाव नज़र आ गए | चोट कैसे लगी ? … ..सुमन आश्चर्य होते हुए बोल रही थी | मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही वो हाथ पकड़ कर अपने चैम्बर में ले गई और वहाँ रखे फर्स्ट ऐड बॉक्स से दवा  निकाल कर खुद से ही लगाने लगी ….. …

मैं बस उसकी आँखों में मेरे लिए उभरे प्यार को देखता रहा ….जैसे कह रही हो .. .तुम मेरे हो …..

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