# एक अधूरी प्रेम कहानी #…5

होश के साहिल पे मुझको अब ना आने दीजिये,

आज तो बस मस्तियों में ..डूब जाने दीजिये  |

आप को भी है खबर  ये क्या नशीला दौर है,

आज का ये खुशनुमा ..माहौल ही कुछ और है |

एहसान आप का

आज मुझे नींद नहीं आ रही थी | कल तो इस हॉस्पिटल से नाम कट जायेगा और धारावी में अपनी खोली पर चले जाना होगा |

जैसा कि डॉक्टर साहब बोले है कि अभी घर पर ही  आराम करना होगा | लेकिन काम भी तो ढूँढना पड़ेगा |

मेरे पास पैसा भी नहीं है जिससे अपना दवा – दारू और भोजन का इंतज़ाम कर सकूँ | विकास और रघु भी तो अभी अभी नौकरी पकड़ा है | उससे भी पैसे मांग नहीं सकता हूँ |

इन्ही सब बातो को सोचते हुए रात बीत गयी और ठीक से नींद नहीं आयी |

सुबह-सुबह,  हरिया आते ही आवाज़ लगाया …रघु भैया,  अभी तक सो रहे है  ?

मैं उसकी आवाज़ सुन कर बिस्तर  पर उठ बैठा और देखा कि विकास और हरिया सामने खड़ा था और हरिया के हाथ में नास्ता के लिए पूड़ी – जलेबी था  |

विकास बोला …रघु भाई, जल्दी से हाथ मुँह धो कर आइये | हम सभी एक साथ पूड़ी – जलेबी का नास्ता करेंगे | एक दम गरमा गरम है |

मैं अलसाते हुआ उठा और विकास से कहा ..रात में चिंता के मारे नींद नहीं आ रही थी इसीलिए अभी उठने में देर हो गयी  |

 मैं भी आ गई हूँ …और मुझे भी जलेबी बहुत पसंद है ….सामने खड़ी सुमन बोल पड़ी |

रघु पलट कर देखते हुए कहा ….अरे, तुम कब आयी ?

मैं अभी तुरंत ही यहाँ आयी हूँ…… …लेकिन तुम जल्दी से हाथ मुँह धोकर आ जाओ | अगर तुम देर करोगे तो ज़लेबी  ठंढ़ी हो जाएगी और मुझे ठंढ़ी जलेबी पसंद नहीं |

 नास्ता समाप्त करने के बाद, सुमन डॉक्टर के पास चली गई | मैं और विकास भी उसके पीछे पीछे वहाँ पहुँच गए  |

मैं डॉक्टर साहेब को प्रणाम किया तो मुझे बैठने का इशारा किया और  पर्ची पर दवा लिखते हुए हमें हिदायत  देने लगे ..रघु जी ,अभी एक सप्ताह,अच्छी तरह खाना- पीना कीजिये और समय पर दवा भी लेते रहिये |

और हाँ, सात दिन के बाद फिर एक बार आ जाना  होगा जाँच कराने के लिए  |

मैंने उनकी बातों से सहमति जताई ।

उसके बाद सुमन  काउंटर से दवा लेकर हॉस्पिटल का फाइनल बिल का भुगतान अपने ” क्रेडिट कार्ड” से करने लगी |

मैं तो देख कर हैरान रह गया ..गजब का परिवर्तन आया है सुमन में |

यह सच है कि परिस्थिति सब कुछ सिखला देता है |

हॉस्पिटल से बाहर आकर सुमन मुझे अपनी खोली की  चाभी  देते हुए बोली ….मैं अभी तुम्हारे साथ नहीं जा सकती | एक ज़रूरी काम निपटाना है, इसलिए शाम में तुम लोगों को मिलूंगी | और एक टैक्सी में हम तीनो को बैठा कर रवाना  कर दिया..।

धारावी पहुचते ही आस  पास के सभी परिचित लोग जमा हो गए और मेरी खैरियत पूछने लगे |

लोगों से दुआ सलाम करके , सुमन की खोली की तरफ बढ़  चला |

लेकिन यह क्या …मैंने देखा कि उसकी गली को बांस बल्ले से घेर रखा है और पुलिस किसी को उधर जाने ही नहीं दे रही है |

हमलोग परेशान हो उठे और खोली तक पहुँचना संभव नहीं लग रहा था |

तभी हरिया ,पुलिस से बात किया और किसी तरह उसे राज़ी कर लिया |

पहले  हमलोगों का स्क्रीनिंग जांच किया गया और उन्हें तसल्ली होने पर जाने की इजाजत दे दी |

मैं खोली में घुसा तो पुरानी यादें ताज़ा हो गई |  मैं १० साल से यहाँ धारावी में रह रहा था और सुमन से तो छह माह ही पुरानी  जान पहचान थी | लेकिन वो तो हमारा ऐसा ख्याल रखती है जैसे हमारा वर्षो का साथ हो |

हरिया खाना का पैकेट खोलते हुए कहा …हमलोग अब खाना खा लेते है |

खाना कहाँ से लाये …मैंने प्रश्न किया |

हॉस्पिटल से चलते वक़्त ही मैडम खाना पैक करा कर और वो ढेर सारा फल भी मुझे पकड़ा कर कही थी कि किसी चीज़ की कमी ना होने देना |

मैं खाना खाने के बाद आराम करने लगा और नींद आ गई |

अचानक सुमन की आवाज़ कान में पड़ते ही मेरी आँखे खुल गई और अँधेरा होने के कारण उसका चेहरा तो नहीं  दिखा लेकिन खुशबु को महसूस कर समझ गया कि वो सुमन  ही है |

सुमन बल्ब जलाते हुए बोल उठी….कमरे में अँधेरा क्यों कर रखा है | तभी भागते हुए हरिया भी आ गया और बोला… आप कब आयी ?

मैं अभी अभी आयी हूँ , लेकिन बाहर पुलिस बहुत परेशान कर रही है | तुम लोग को भी आने जाने में परेशानी हो रही होगी |

नहीं , अब हम लोग पुलिस से जान पहचान कर लिए है …हरिया बोल पड़ा |

आज बहुत दिनों के बाद यहाँ आने से पुरानी यादें ताज़ा हो रही है |

तभी हाथ में चाय लिए विकास आ गया और सब लोग चुप – चाप चाय  का मज़ा लेने लगे |

शांति को भंग करते हुए सुमन बोली ….मैं अपने सेठ से तुम्हारे काम के लिए बात करुँगी , हो सकता है ..दो तीन दिनों में वो बुला ले | इसीलिए खाना -पीना ठीक से करके स्वस्थ हो

जाओ | और अपने साथ लायी फल को हरिया को पकड़ाते हुए बोली ..तुम सब के लिए भी  है |

आज हमलोग को एक साथ खाना खाते हुए बहुत आनंद आ रहा था | रात का समय था इसलिए  खाना खाने  के बाद सुमन को उसके घर तक छोड़ने हरिया चला गया |

उसके जाने के बाद , मैं विकास से पूछा …घर का सभी खाने -पीने का इंतज़ाम कैसे कर रहे हो ? तुम्हे तो अभी पगार भी नहीं मिला होगा |

वो हँसते हुए बोला…यह सब  मैडम की मेहरबानी है | सचमुच ,अगर वो ना होती तो हमलोग का क्या हाल होता, पता नहीं |

मैं सोचने लगा कि सुमन के और कितने एहसान लूँगा  | मुझे अपने  आप पर खीझ आने लगी  | जिस सुमन को  मैं बीच  मझधार में छोड़ कर गाँव चल दिया था, वही सुमन हमलोगों को  आज मझधार से किनारे पर ले आयी है  |

मेरे दिल में उसके प्रति बहुत इज्ज़त और प्रेम बढ़ गई | और मेरी आँखे छलक आई  |

तीसरे दिन, पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार फैक्ट्री में सेठ से मिलने और इंटरव्यू के लिए तैयार होने लगा ,तभी  विकास एक पैकेट मुझे पकड़ाते हुए बोला …ये कपडे आप के लिए है | इसे ही पहन कर जाइये |

मैं कपड़ा देख कर समझ गया कि यह सुमन की ही पसंद है |

जैसे ही फैक्ट्री के गेट पर पहुँचा तो वहाँ का दरवान आने का कारण पूंछा |

उसके बाद सिक्यूरिटी गार्ड जांच करने के बाद ,फिर अंदर आने की इज़ाज़त दिया |

वाह, लगता है बहुत बड़ा कंपनी है …मैं मन ही मन सोचने लगा |

मुझे अंदर ले जा कर वहाँ के चपरासी ने एक कमरे में बैठा दिया  |

मुझे घबराहट हो रही थी | अगर मैं इंटरव्यू में फ़ैल हो गया तो मेरे कारण सुमन को भी दुःख होगा |

मैं मन को शांत करने की कोशिश करने लगा और सामने पड़े पानी के गिलास खाली कर दिया |

तभी सेठ जी अपने चैम्बर में आये और उसके बाद …आते ही मुझे बुलाया गया |

मैं धड़कते दिल से दरवाजे को खोल कर अंदर घुसा,  तभी सेठ जी इशारे से मुझे  अंदर बैठने को कहा |

आप अपने बारे में बताइए …सेठ ने कहा |

मेरा नाम रघु है , पहले मैं  ईट भट्ठा में काम करता था |

उन्होंने फिर पूछा …किसी फैक्ट्री में काम करने का अनुभव है ?

मैं ” ना” में सिर हिलाया | लेकिन हमें जो भी काम दिया जायेगा उसे मन लगा कर करूँगा ..मैंने कहा |

देखो रघु , मेरा गारमेंट का फैक्ट्री है और अभी तुम्हे इस लाइन का कोई अनुभव नहीं है | इसलिए फिलहाल तुम्हे माल को कार्टून में पैक करना और उसे लोड करवाने की

जिम्मेदारी होगी और इसके लिए ५०० रूपये रोज़ के मिलेंगे, क्या तुम्हे मंज़ूर है ?

ठीक है …मैंने  जल्दी से बोला | मैं सोचा, इसी बहाने सुमन के नजदीक रहने का मौका मिलेगा |

कल से आप काम पर आ जाना और मेनेजर साहब से अच्छी तरह अपना काम समझ लेना …सेठ जी बोलते हुए उठ कर चले गए |

मैं बाहर निकलने लगा तभी सुमन दिख गई |

धन्यवाद सुमन …मैंने कहा |

सुमन  मेरी ओर देखते हुए बोली ..अब तो तुम्हारी नौकरी पक्की हो गई | अब मैं चाहती हूँ कि तुम मेनेजर साहब से भी मिल लो | वो बहुत नेक इंसान है |

और हाँ, आज तो इन कपड़ो में तुम जंच रहे हो..सुमन खुश लग रही थी |

सुमन मुझे बाहर इंतज़ार करने को बोल,  अंदर चली चली गई और मेनेजर से बात कर हमें भी अंदर ले गई |

मेनेजर साहब बिलकुल टिप टॉप और स्मार्ट लग रहे थे | मुझे बैठने को बोल ,चपरासी को चाय लाने के लिए कहा

हाँ तो रघु जी, आज से आप हमारे कंपनी के स्टाफ हो गए , मुबारक हो…हँसते हुए उन्होंने कहा |

वैसे आप इस समय घर जा कर क्या करोगे |आप चाहो तो आज से ही काम शुरू कर दीजिये |

और हाँ , आज एक कन्साइनमेंट जा रहा है, आप मैडम के साथ जाकर कुछ काम सिख लीजिये |

मैं तो यही चाहता था …मैं सुमन को बोला …यस बॉस | सुमन बस मुस्कुरा दी….

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2 replies

  1. Awwwww beautiful story. I love it.

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