# तलाश अपने सपनों की #…12 

जब कोई ख्याल दिल से टकराता है,,

दिल न चाहकर भी खामोश रह जाता है,,

कोई सब कुछ कह कर #प्यार# जताता है,,,

कोई कुछ न कहकर भी,सब बोल जाता है,,

संदीप अपनी बहन रेनू के मुख से राधिका के बारे में सुन कर काफी घबरा गया  और वो आंखे बंद कर अपनी राधिका के बारे में सोच रहा था |

यह सही है कि आज तक मैं राधिका को  कोई ख़ुशी नहीं दे सका, बल्कि मेरी उल्टी सीधी हरकत से वह हमेशा परेशान ही रहती है …संदीप अपनी आँखें बंद किये मन ही मन सोचता रहा |

राधिका ने  कितनी बार संदीप से कहा था कि पिता जी से एक बार मिल ले और अपनी शादी की इच्छा प्रकट करे | लेकिन सच तो यह  है कि संदीप को उसके पिता जी से डर लगता था |

डर  इस बात का है कि वे कड़क स्वभाव के है और वे लोग अपने बेटी की शादी एक बेरोजगार लड़के से करने को कभी भी राज़ी नहीं हो सकते है |

लेकिन आज तो राधिका की दूसरी ज़गह शादी की चर्चा से संदीप का दिल ही बैठा जा रहा था | उसे महसूस हो रहा था कि कहीं और शादी की बात चलने से  राधिका बहुत ही  तनाव की स्थिति से गुज़र रही होगी |

संदीप की आँखों के सामने राधिका का आँसू भरा चेहरा घूम गया और संदीप वेचैन हो कर राधिका को उसी क्षण फ़ोन लगा दिया |

फ़ोन की घंटी बजती रही और फ़ोन नहीं उठाने के कारण कट गया | संदीप किसी अनहोनी आशंका से डर  गया और जल्दी से दोबारा  फ़ोन मिलाया |

इस बार कुछ देर फ़ोन रिंग होने के बाद दूसरी तरफ से फ़ोन उठा लिया गया लेकिन कोई आवाज़ नहीं आ रही थी |

संदीप फ़ोन पकडे हेल्लो हेल्लो करता रहा और फिर विनती भरे स्वर में कहा …राधिका, कुछ तो बोलो |

इतनी दिनों में क्या तुम्हे मेरी याद नहीं आयी ? शायद तुमने तो मुझे भुला ही दिया, इसलिए एक बार भी फ़ोन करना मुनासिब नहीं समझा | राधिका शिकायत करते हुए फ़ोन पर ही सिसक सिसक कर रोने लगी |

देखो राधिका, तुम दिल छोटा ना करो | हमलोग एक दुसरे को बचपन से जानते है, मैं अभी भी वही तुम्हारा संदीप हूँ |

और हाँ, तुम मेरी बात ध्यान से सुनो | मुझे एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई है और मैं तुम्हे अचानक वहाँ आकर यह सरप्राइज देना चाहता था | लेकिन प्रोबेशन के कारण तीन माह तक छुट्टी नहीं मिल सकती है …संदीप ने राधिका को समझाते हुए कहा |

ज़बाब में राधिका ने कहा ….लेकिन पापा मेरी शादी दूसरी जगह ठीक कर रहे है और तुम्हारे बारे में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है |

मैं पापा के व्यवहार से काफी परेशान हूँ | मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि अब ऐसी हालात में क्या करूँ |

फ़ोन पर बातें हो ही रही थी कि अचानक पिता जी आ गए और उन्हें समझते देर ना लगी कि संदीप से बातें हो रही है |

वे अचानक ही गुस्से से विफर गए और फ़ोन को राधिका के हाथों से छीन लिया और ज़मीन  पर जोर से पटक दिया और गुस्से में कहा …राधिका, मैं पहले ही हिदायत दे चूका हूँ कि मेरी इच्छा के विरूद्ध कोई काम ना किया जाये, लेकिन तुमने मेरी बातों का मजाक बना दिया है |

पिता जी की चिल्लाहट भरी आवाज़ सुन कर माँ रसोई घर  से भागी भागी आई और राधिका को वहाँ से अपने रूम में ले गई | राधिका माँ को पकड़ कर रोने लगी और माँ बेचारी जो खुद ही असहाय थी उसे झूठी तसल्ली देते हुए बोल रही थी…सब ठीक हो जायेगा राधिका, तुम थोडा धीरज रखो |

पिता जी गुस्से से उबलते हुए घर से बाहर चले गए और कुछ देर के पश्चात् राधिका वापस आकर अपने टूटे मोबाइल के टुकड़े को इकठ्ठा करने लगी |

मोबाइल के टुकड़े नहीं बल्कि उसके  दिल  और ज़ज्बात के टुकड़े बिखर चुके थे …राधिका अपने सिसकियों को सामान्य करने की कोशिश करती रही और मन ही मन बोली… अब तो संदीप से बात करने का यह भी रास्ता बंद हो गया |

राधिका की ऐसी हालत देख कर माँ का दिल भी रोने लगा लेकिन पति के आगे बिलकुल अपने को लाचार पा रही थी |

उधर संदीप अचानक राधिका का फ़ोन बंद होने से परेशान हो उठा,  उसे महसूस हो चूका था कि  उसके घर वालों ने ही फ़ोन काट दिया है |

सचमुच मामला बहुत सीरियस है, मुझे जल्द ही राधिका के पास  पहुँचना होगा वर्ना राधिका इस तनाव में अपनी ज़िन्दगी ही ना समाप्त कर ले |

मुझे तो पता ही है, वो बहुत भावुक है….संदीप अपने आप से बातें कर रहा था तभी उसके साथी  डिनर के लिए आवाज़ लगा दी | संदीप डाइनिंग हॉल में डिनर के टेबल पर बैठ कर यही सोच रहा था कि छुट्टी लेकर घर जाने का जुगाड़ कैसे बिठाया जाए |

संदीप भी इतना तनाव में था कि उसकी भूख ही ख़तम हो गयी और बिना कुछ खाए सिर्फ पानी पीकर अपने कमरे में आ गया |

संदीप अपने बिस्तर पर पड़ा था लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी और किसी तरह करवट बदल कर रात गुज़र गई |

सुबह उठा तो उसका सिर भारी लग रहा था | फिर भी वह किसी तरह तैयार होकर अपने ऑफिस पहुँचा और 15 दिनों की छुट्टी का एप्लीकेशन लिख कर वहाँ एच आर मैनेजर को दिया,  

मैनेजर ने एप्लीकेशन देखते ही आश्चर्य से बोला….प्रोबेशन में छुट्टी की स्वीकृत मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है |

मुझे पता है | मैं चाहता हूँ कि आप इसे नीलम मैडम के पास भेज दे | वे हमारी बॉस है, मेरी छुट्टी के आवेदन पर ज़रूर विचार करेंगी …संदीप ने उनसे निवेदन किया |

उन्होंने अपनी सहमती जताते हुए फैक्स के द्वारा आवेदन को नीलम मैडम के पास भेज दिया |

कुछ ही देर में संदीप का फ़ोन रिंग करने लगा, शायद नीलम मैडम का कॉल था |

जैसे ही संदीप ने फ़ोन उठाया , उधर से मैडम ने फ़ोन पर कहा …संदीप, मैंने तो पहले ही कहा था कि तुम्हारी छुट्टी की स्वीकृती हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है |

संदीप उनकी बात को बीच में काटते हुए कहा ….मैडम, मैं बहुत परेशान हूँ , मेरा जल्द ही घर पहुँचना ज़रूरी है |

क्यों ऐसी क्या बात हो गयी ? …मैडम ने पूछा |

राधिका, जिससे मैं शादी करना चाहता हूँ ,उसके घर वाले ज़बरदस्ती उसकी इच्छा के विरूद्ध दूसरी जगह शादी करने जा रहे है | मुझे तो डर  है कि कही तनाव में आकर राधिका कोई गलत कदम ना उठा ले ….संदीप की आवाज़ में घबराहट साफ़ दिख रही थी |

यह तो सचमुच सीरियस मामला है और ऐसे में तुम्हे वहाँ होना चाहिए | ठीक है मैं तुम्हारा आवेदन को chairman के पास भेज देती हूँ,  तब तक तुम्हे इंतज़ार करना होगा …..मैडम संदीप की मज़बूरी को समझते हुए कहा |

थैंक यू मैडम , आप का यह एहसान मैं कभी भी नहीं भूल पाउँगा …संदीप बोला |

इधर राधिका पर शादी  का दबाब बढ़ता  ही जा रहा था, यहाँ तक कि उसका कॉलेज जाना भी बंद कर दिया गया | वह घर में बैठे तिल तिल कर घुट रही थी | उसे इस समस्या का कोई हल नज़र नहीं आ रहा था |

रो रो कर आँखे फुल गई थी और पिता जी की रोज रोज की चिक चिक सुन कर उसका चेहरा  मुरझा गया था और बूढी नज़र आने लगी थी |

लंच का टाइम हो रहा था लेकिन  राधिका तो सुबह से ही  कुछ नहीं खाया था |  उसे तो ऐसा महसूस हो रहा था कि वह कैद खाने में है और खाने के समय बस जिंदा रहने के लिए खाना दिया जा रहा है |

लेकिन अब वह और बर्दास्त नहीं कर सकती …अब इस कैद खाने से आजाद होना ही होगा …राधिका अपने रूम में बैठी मन ही मन सोच रही थी |

तभी वहाँ माँ आ गई और प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए कहा …राधिका तू सुबह से कुछ भी नहीं खाई है | तुम्हारा यह हाल देख कर मैं भी सुबह से अन्न का एक दाना मुँह में नहीं डाला है |

चल तू कुछ खा ले ताकि  मैं भी तुम्हारे साथ कुछ खा सकूँ |

वह माँ से लिपट गई और बोली…तू क्यों अब तक भूखी बैठी है, माँ | सच कहूँ माँ, मेरी भूख

ही मर गयी है | अब तो ऐसा लगता है कि सब कुछ समाप्त होने वाला है |

ऐसा मत कह पगली … बोल कर माँ भी उससे लिपट कर रोने लगी |

कुछ देर यूँ ही दोनों एक दुसरे को पकड़ कर रोते रहे, फिर अपने को सँभालते हुए राधिका ने कहा …चलो माँ तुम खाना खा लो |

नहीं मेरी बच्ची, तुम्हारे बिना मुझसे खाना नहीं खाया जायेगा |

लोग कहते है कि बच्चे की ख़ुशी में ही माँ बाप की ख़ुशी छिपी होती है लेकिन मेरे घर में तो सामाजिक प्रतिष्ठा और झूठी  शान शौकत के लिए अपने बच्चे को ही दुखी किया जा रहा है …माँ अपनी मन की पीड़ा व्यक्त कर रही थी |

ठीक है माँ, जो होना है वह तो अटल है | चलो मैं तेरे साथ ही खाना खा लेती हूँ |

माँ बेटी दोनों मिल कर खाना खा रहे थे और पिता जी घर पर नहीं थे |

वह कल के लिए सारा इंतज़ाम करने में लगे थे |

बातों  बातों में माँ से पता चला गया कि कल ही उसे देखने वाले यहाँ आ रहे है | खाना खाते हुए राधिका के दिमाग में बिद्रोह की भावना पनप रही थी और उसके दिल ने कहा …अब तो फैसला लेने की घडी आ गई है |

अगर अभी कोई फैसला नहीं लिया तो ज़िन्दगी भर तिल तिल कर मरने के लिए तैयार रहना होगा | चाहे वह फैसला अपनी ज़िन्दगी समाप्त करने का ही क्यों लेना पड़े |.      

माँ खाना खा कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गई और तुरंत ही उसे नींद आ गयी | लेकिन राधिका की नींद तो उसके आँखों से कोसों दूर हो चुकी थी |

वह चुपचाप दबे पांव घर से बाहर निकल गयी और अपनी जान देने के लिए घर से थोड़ी दूर स्थित नदी की ओर चल दी | ..(क्रमशः)

इससे बाद की घटना हेतु नीचे link पर click करे..

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments

Please follow the blog on social media … links are on the contact us page..

www.retiredkalam.com



Categories: story

2 replies

  1. Girl in front of blue god, is beautiful artwork. I am mesmerized! First and last artwork also wonderful.

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: