
आज राधिका बहुत खुश थी क्योकि आज बहुत दिनों के बाद कॉलेज खुली थी और अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ मिल कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था |
टिफिन टाइम में राधिका अपने दोस्तों के साथ लंच रूम में बैठी थी | वहाँ सभी सहेलियां आपस में लम्बी छुट्टियों में बिताए गए लम्हों को एक दुसरे से शेयर कर रही थी |
उसकी एक सहेली शालिनी की तो इन्ही छुट्टियों में सगाई (engagement) भी हो गई और वह बहुत खुश नज़र आ रही थी |
खुश होने की वज़ह भी थी | पिछले तीन सालों की दोस्ती के बाद अंततः उसी दोस्त को अपना जीवन साथी बनाने जा रही है |
हालाँकि उसके घर वाले अलग जाति होने के कारण वहाँ शादी करना नहीं चाहते थे, लेकिन शालिनी के जिद के कारण उनलोगों को यह रिश्ता मंज़ूर करना ही पड़ा |
यह सही है कि जिसके बारे में हम ज्यादा जानते है, उसके साथ जीवन बिताना आसान हो जाता है और आज कल तो यह फैशन ही हो गया है |
शालिनी कितना भाग्यशाली है, जिसे उसका मनपसंद पति मिला और एक मेरा भाग्य ….कहने को तो बचपन का साथी है लेकिन संदीप अब मेरी परवाह ही नहीं करता है |
तभी तो इतने दिनों से कोई खोज खबर नहीं लिया है |
यह तो भगवान् का शुक्र है कि जो लोग राधिका को देखने आने वाले थे वो बीमार पड़ गए और कुछ दिनों के लिए शादी की बात टल गयी है… राधिका मन ही मन सोच रही थी और चिंता के भाव उसके चेहरे से झलक रहे थे |
तभी राधिका को उदास देख शालिनी बोल पड़ी…क्या बात है राधिका, तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है ?
क्या कहूँ शालिनी, पिछले कुछ दिनों से संदीप पता नहीं कहाँ गायब हो गया है | अपना कोई खबर नहीं दे रहा है | पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा है ….राधिका अपने दिल की बात कह दी |
अरे, तुम चिंता मत करो राधिका | संदीप एक अच्छा लड़का है, वह किसी परेशानी की दौर से गुज़र रहा होगा | तभी तुमसे बात नहीं कर सक रहा होगा |
लेकिन तू उससे फ़ोन पर बात क्यों नहीं कर लेती हो ..शालिनी इस परेशानी का आसान तरीका बताई ?
शालिनी के बातों का वो कोई ज़बाब नहीं दी .. बल्कि मन ही मन राधिका सोचने लगी …. मैं ही क्यों फ़ोन करूँ ? क्या उसका कोई फ़र्ज़ नहीं बनता है ?
मुझे तो रेनू से पता चला कि उसकी नौकरी लग गई है लेकिन इतनी बड़ी बात मुझको उसने बताना उचित नहीं समझा |
अब बस हो गया | मैं ने भी ठान लिया है कि पहले मैं फ़ोन तो नहीं करुँगी | देखती हूँ उसे कब मेरी याद आती है ? …राधिका मन ही मन सोच रही थी /
तभी एक सहेली घबराई हुई आई और सबको बताया कि परीक्षा की तारीख की घोषणा हो गई है और विस्तृत जानकारी नोटिस बोर्ड पर चिपकाया जा चूका है |
वहाँ बैठे सभी लड़कियां नोटिस बोर्ड की तरफ भागती हुई दिखाई देने लगी |
अब एक चिंता और बढ़ गई | अभी ऐसी परिस्थिति में मेरी पढाई भी नहीं हो रही है | अगर मैं परीक्षा में फेल हो गई तो घर वाले मेरी क्या हाल करेंगे वो तो भगवान् ही जाने |

राधिका मन ही मन इन सब बातों को सोचती हुई कॉलेज से घर की ओर चल दी | अभी थोड़ी दूर ही आगे गई होगी कि सामने सोफ़िया भाभी दिख गई |
वो अपने गाडी रास्ते के किनारे लगा कर शायद राधिका का ही इंतज़ार कर रही थी |
लेकिन राधिका उसे देख कर भी अनजान बनती हुई आगे बढ़ गई | सोफ़िया को समझते देर नहीं लगी कि राधिका उससे नाराज़ है और किस कारण से नाराज़ है |
राधिका मेरी बचपन की सहेली है | हाँ, यह अलग बात है कि मैं उससे बड़ी हूँ और मेरी शादी हो गई और बच्चे हो गए |
लेकिन चाहे जो भी हो जाए, राधिका से इतने दिनों की दोस्ती समाप्त होने नहीं दूंगी और तभी पीछे से सोफ़िया ने आवाज़ लगा दी |
आवाज़ सुन कर राधिका भी पलट कर देखी और ना चाहते हुए भी सोफ़िया के पास आ गई |
मुझे पता है राधिका कि तुम मुझसे नाराज़ हो ..लेकिन तुम जो सोचती हो वैसा कुछ नहीं है …सोफ़िया अपनी सफाई देनी चाही |
मैं तुम से कहाँ नाराज़ हूँ सोफ़िया …राधिका अनभिज्ञ होते हुए बोली |
देखो राधिका मैं तुमसे उम्र में बड़ी हूँ और हमलोग बचपन से एक दुसरे को जानते है, तो क्या मुझे तुम्हारे व्यवहार को देख कर अनुमान लगाना कठिन है क्या ? …सोफ़िया ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा |
नहीं सोफ़िया, ऐसी कोई बात नहीं है | दरअसल मेरा फाइनल परीक्षा की तारीख (date) निकल जाने से परेशान हूँ …राधिका अपनी नाराज़गी की बात को छुपा ली |
अच्छा, मेरे घर चलो, तुमसे कुछ बातें करनी है और ना चाहते हुए भी राधिका को उसके घर आना पड़ा |
चाय पीते हुए सोफ़िया ने कहा ….. .तुम्हारा संदीप बहुत ही भला और मिहनती इंसान है | उसने मेरे बेटे को थोड़े समय में ही स्कूल का सबसे तेज़ विद्यार्थी बना दिया |
लेकिन वह बिना बताए अचानक कहाँ गायब हो गया ? जिससे मैं परेशान हूँ ..क्या तुम्हे उसकी कोई खबर है ?
नहीं, मुझे अभी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है ..राधिका ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया और अपनी चाय समाप्त कर जाने के लिए उठ खड़ी हुई |
सोफ़िया ने उसके हाथ को पकड़ कर कहा …थोड़ी देर और बैठो ना ?
नहीं, ज्यादा देर घर से बाहर रहने पर पिता जी नाराज़ हो जायेंगे …बोल कर राधिका वहाँ से चल कर कंपाउंड के गेट तक पहुँच गई |
सोफ़िया भी उसके साथ साथ गेट तक आयी और बोली ….ठीक है राधिका, फिर एक दिन साथ बैठते है, तुमसे कुछ ज़रूरी बातें करनी है |
सोफ़िया की इन बातों को सुन कर राधिका का गुस्सा उसके प्रति कुछ कम हो चूका था इसलिए वह फिर आने की अपनी सहमती जताई और अपने घर की ओर चल दी |
शाम के पाँच बज चुके और घर पहुँचने में काफी देर हो चुकी थी | राधिका जैसे ही घर में कदम रखा, सामने पिता जी खड़े थे, शायद गुस्से में थे और राधिका के आने का इंतज़ार कर रहे थे |

उन्होंने राधिका की ओर देख कर कड़क आवाज़ में पूछा .. .आज घर आने में इतनी देर कैसे हो गई ?
मैं सोफ़िया के यहाँ चली गई थी ….उसने सच बात बताई |
देखो राधिका, आजकल तुम्हारी मनमानी बहुत बढ़ने लगी है | मैं बहुत दिनों से देख रहा हूँ ….तुम अपनी शादी के नाम पर घर में हंगामा खड़ी कर देती हो |
उस बेरोजगार संदीप और तुम्हारे बारे में लोग चर्चे करने लगे है | यह मुझे बिलकुल पसंद नहीं है |
तुम ध्यान से मेरी बात सुनो | अगले सप्ताह में कुछ लोग तुम्हे देखने आने वाले है और उसके बाद ही तुम्हारी शादी की बात पक्की करेंगे |
तुम कोई झमेला खड़ी मत करना और संदीप के बारे में सोचना छोड़ दो तो अच्छा होगा …इतना बोल कर राधिका के पिता जी अपने कमरे में चले गए और राधिका उनकी ऐसी बात सुन कर बूत बनी खड़ी रही |
तभी माँ उधर से दौड़ कर आयी और उसे अपने कमरे में ले गयी | वह माँ से लिपट कर रोने लगी और माँ उसे चुप कराती रही |
कुछ देर बाद राधिका अपने को संभाला और मन को कड़ा कर ऊँची आवाज़ में माँ से कहा ताकि उसकी आवाज़ पिता जी तक पहुँच जाए …… माँ, परीक्षा की तारीख (date) निकल चूका है और अगले सप्ताह से ही परीक्षा शुरू होने वाला है | अगर घर का यही माहौल रहा तो निश्चित रूप से मैं परीक्षा में फेल हो जाउंगी |
और तुम अगर चाहती हो कि परीक्षा में पास करूँ तो घर में यह रोज़ रोज़ का जो चिक-चिक मचा हुआ है उसे ख़तम करना होगा |
तुमलोग जब भी मेरी शादी की बात शुरू करती हो तो मैं काफी डिस्टर्ब हो जाती हूँ और चिंता के कारण रातों को मुझे ठीक से भी नींद नहीं आती है | ऐसी परिस्थिति में तुम्ही बताओ, परीक्षा की तैयारी कैसे कर पाऊँगी ?
और यही हाल रहा तो मैं परीक्षा में फेल हो जाउंगी और इससे मेरा दो साल का सारा मिहनत पानी में चला जायेगा |
शादी तो बाद में भी हो सकता है, लेकिन यह दो साल बर्बाद होने पर फिर वापस नहीं आ सकते है …उसने माँ को अपनी परेशानी बता दी |
माँ ने राधिका को प्यार से समझाने का प्रयास करने लगी और कहा…. अभी तो बस तुम्हे देखने आ रहे है | जो भी सगाई (engagement) वगैरह का रस्म होगा उसे तुम्हरी परीक्षा के बाद ही करेंगे |
लेकिन राधिका भी जिद पर अड़ गयी और कहा … अगर परीक्षा से पहले कोई भी देखने आता है तो मैं परीक्षा में शामिल ही नहीं होउंगी |
राधिका की जिद भरी बात सुन कर उसकी माँ काफी चिंतित हो गयी | उसने राधिका को समझाते हुए कहा … देखो राधिका , मैं तुम्हारे पिता जी से इस बारे में बात करके देखती हूँ |
मैं तो बस प्रयास ही कर सकती हूँ |
बाकी तो अंतिम निर्णय तुम्हारे पिता जी का ही होगा और जो भी फैसला करेगे तुम्हे मानना ही होगा…..(क्रमशः)

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I wonder why the name “retired KALAM”, I opine that any man can wish to retire from any activity or service but KALAM i.e. PEN with which he writes something can not retire until he stops to write all by himself.,
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You are very correct Sir,
After retirement from Bank, I started my new hobby of Blogging and pen is my almighty friend.
that is why it is the pen of a Retired person who never wants his friend to retire.😊😊
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