
सोफ़िया का घर था बड़ा शानदार, लेकिन इतने बड़े घर में वो अकेले अपने छोटे बच्चे के साथ रहती है |
देखने में वो खुद भी बहुत ख़ूबसूरत और आकर्षक है और उसकी आँखों में तो गज़ब का जादू है |
जब भी वो संदीप से बात करती, उसकी आँखों की तपिस वह बर्दाश्त नहीं कर पाता | उसका दिल जोर से धड़कने लगता और वो अपनी नज़रे दूसरी ओर फेर लेता |
लेकिन सोफ़िया के हाव – भाव और बात-चीत से संदीप को ऐसा महसूस हुआ कि उसके पास भगवान् का दिया हुआ तो सब कुछ है, लेकिन अकेलापन के कारण वो ज़िन्दगी से खुश नहीं है |
उसे तो कोई ऐसा दोस्त चाहिए जिससे वह अपने दिल की बात कर सके और हमेशा उसके साथ रहे |
लेकिन शायद इन सब की कमी ही उसके उदासी का कारण हो सकता है | क्योकि बोलते – बोलते कई बार सोफ़िया के चेहरे पर उदासी बिखर जाती है |
सोफ़िया और उसके अकेलापन के बारे में सोच कर संदीप को भी अफ़सोस हो रहा था |
संदीप यह भी सोच रहा था कि …एक मैं हूँ, जिसके पास सब कुछ है … माँ, बहन, अपना घर और एक सुन्दर प्रेमिका भी | लेकिन पैसों की कमी के कारण वह अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं है |
लोग ठीक ही कहते है …
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता |
कमी तो सभी के ज़िन्दगी में रहती है, लेकिन खुश वही रह सकता है जो सिमित साधनों में भी संतुष्ट जीवन जीने की कला जानता हो |
मैं सोफे पर बैठा ना जाने और क्या क्या सोच रहा था तभी सोफ़िया चाय लेकर आयी और चाय का प्याला मुझे पकड़ाते हुए पूछी …प्रणव कहा गया ?
अभी उसका पढने का मूड नहीं है, इसलिए वो कल से पढने का प्रॉमिस कर बाहर दोस्तों के साथ खेलने चला गया है |
चाय पीते हुए मेरे मन में जिज्ञासा हुई और मैंने यूँही पूछ लिया ….आप को जब किसी चीज़ की कमी नहीं है तो अपने को दुखी क्यों समझती है ?..
वो मुस्कुराते हुए मेरी ओर देख कर बोली ….भौतिक सुख तो है परन्तु मानसिक सुख नहीं है |
संदीप को उसकी बातों का मतलब समझ नहीं आया ,इसलिए बोला …मैं कुछ समझा नहीं सोफ़िया जी |
मुझे सोफ़िया जी नहीं, सोफ़िया कह सकते है और मेरा कहने का मतलब है, कि मेरे पति मर्चंट नेवी (मेरिन) में है और वो छह सात महीने लगातार घर से दूर ही रहते है |

ऐसे में मुझे अपने बच्चे के साथ हमेशा अकेले ही रहना पड़ता है |
सारा दिन – रात अकेले |, ना कोई बात करने वाला और ना कोई मेरे दिल की सुनने वाला ….तो आप ही बताएं मैं एक सुखी औरत हूँ या दुखी |
दोनों बातों में इतने मशगुल हो गए कि उन्हें समय का ध्यान ही नहीं रहा | तभी उनका बेटा आकर अपनी मम्मी से खाना मांगने लगा |
मैं घडी की ओर देख कर चौक पड़ा …रात के नौ बज चुके थे |
मैं हडबडा कर उठा और जाने की इज़ाज़त मांगते हुए कहा …काफी देर हो गई, अब चलता हूँ |
अब जब इतनी देर हो ही गयी है तो खाना खा कर ही आप को जाने दूंगी ..सोफ़िया हँसते हुए बोली |
नहीं नहीं सोफ़िया जी, खाना कभी और खा लूँगा | अभी मेरी माँ और बहन खाने पर मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे ….संदीप खड़ा होते हुए कहा |
ठीक है, अगर आप ऐसे ही जाना चाहते है तो मैं रोकूंगी नहीं, लेकिन कल ज़रूर से आ जाईयेगा, प्रणव आप का इंतज़ार करेगा |
संदीप ने चाय के लिए सोफ़िया को धन्यवाद दिया और वापस अपने घर की ओर चल दिया |
घर पहुँचते ही रेनू पास आते हुए पूछी …इतनी देर कहाँ लगा दी ? तुम्हारा ट्यूशन (tuition) का काम बना या नहीं |
संदीप खुश होता हुआ ज़बाब दिया ….हाँ रेनू, सोफ़िया जी ने अपने बच्चे की पढाई के लिए मुझे सेलेक्ट कर लिया और जानती हो रेनू … उसने कितने फीस देने का वादा किया है ?.
रेनू उसकी तरफ जिज्ञासा से देख कर पूछी….कितना ?
पुरे पाँच हज़ार रूपये महिना ..संदीप ने कहा |
इतना सुनना था कि रेनू ख़ुशी से उछल पड़ी और बोली….इतने पैसे ?
वाह भैया, यह तो बहुत ख़ुशी की बात है | मुझे तो पहले से अनुमान था कि अच्छी फीस देगी लेकिन इतना ज्यादा… मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा है |
तुम तो उसके बच्चे को खूब मन लगा कर पढ़ाना |
हाँ रेनू, तुम ठीक कर रही हो, मुझे मन लगा कर उसके बच्चे को पढ़ाना होगा |
रात काफी हो चुकी थी इसलिए संदीप खाना खा कर जल्द ही सो गया |
रात उसे अच्छी नींद आई थी इसलिए सुबह उठा तो मन भी प्रसन्न लग रहा था |
तभी रेनू चाय लेकर आ गई और कहा …तुम आज मैडम के पास जाना तो ढंग के कपडे पहन कर और अच्छी तरह स्मार्ट बन कर जाना |
हाँ रेनू , तुम मेरे शर्ट – पैंट आयरन कर देना और जूता मैं पालिश कर लेता हूँ …संदीप चाय पीते हुए कहा |
पहले तो अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी तो बना लो ताकि शरीफ आदमी लग सको….रेनू हँसते हुए बोली |

शाम का वक़्त और ठीक पाँच बजे संदीप ने दरवाज़े की घंटी बजा दी |
थोड़ी ही देर में सोफ़िया ने दरवाज़ा खोला और देखते ही संदीप से बोली….वाह, मास्टर जी, आप तो आज गजब लग रहे हो |
उसकी बातों को सुनकर संदीप झेप गया और उसके पीछे पीछे आकर सोफे पर चुपचाप बैठ गया |
सोफ़िया ट्रे में चाय और पानी लेकर आई और चाय के कप को हाथ में देते हुए बोली …मैं अभी अभी अपने लिए चाय बना रही थी तो आप का ख्याल आया और थोड़ी चाय ज्यादा बना दी थी |
जी, धन्यवाद , लेकिन प्रणव नज़र नहीं आ रहा है ….मैंने उत्सुकता से पूछा |
अरे मास्टर जी , मैं क्या बताऊँ ..पिछले एक घंटे में चार बार पूछ चूका है, अंकल जी पढ़ाने कब आयेंगे ?
आपने तो पहले दिन ही उस पर जैसे जादू कर दिया है |
हमलोग बात कर ही रहे थे तभी किताब का बैग लेकर वो आकार सामने बैठ गया | मुझे देखते हुए प्रणाम किया और अपनी किताब खोलने लगा |
सोफ़िया अब किचेन में चली गई थी और मैं उस बच्चे को पढ़ाने लगा |
मुझे महसूस हुआ कि वह पढने में थोडा कमजोर है | इसलिए उसे समझाते हुआ कहा ….तुम मेरी टास्क को जितनी सही सही बनाओगे , तुम्हे उतनी की ईनाम दूंगा और मन लगा कर पढोगे तो तुम्हारे दोस्तों में सबसे तेज़ स्टूडेंट बना दूंगा |
बोलो मंज़ूर है …मैंने उसकी ओर देख कर कहा |
जी अंकल , मैं खूब मन लगा कर पढ़ाई करूँगा और आप से ढेर सारे ईनाम लूँगा |
आप कितना अच्छा से समझा कर बात करते हो | पर स्कूल में मैडम तो हमेशा डांटती ही रहती है |
जब तुम अच्छे से पढाई करोगे तो कोई भी तुम्हे नहीं डांटेगा और सभी अच्छा बच्चा समझ कर तुमसे प्यार करेंगे |
अच्छा बताओ, तुम्हे कौन सा विषय पढने में मन नहीं लगता है ..संदीप ने पूछा |
अंकल जी , मुझे गणित (math) में मन नहीं लगता है …उसने सच सच बता दिया क्योकि रिपोर्ट कार्ड में भी गणित के नंबर कम ही थे |
ठीक है मैं तुम्हे गणित इतने अच्छे से समझा दूंगा कि तुम्हे वह सबसे अच्छा विषय लगने लगेगा |
संदीप की बात सुनकर वह बच्चा बोला….सच अंकल | आप मुझे गणित अच्छी तरह पढ़ा देंगे ?
हाँ हाँ , बिलकुल | मैं तुम्हे हर विषय में तेज़ बना दूंगा ताकि तुम स्कूल में सबसे ज्यादा नंबर ला सको, बस तुम्हे थोड़ी मिहनत करनी पड़ेगी …मैंने उसके माथे पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा |
जी अंकल, मैं मिहनत करूँगा और आज सबसे पहले गणित से ही पढाई की शुरुआत करता हूँ |
करीब एक घंटा से ज्यादा समय बीत चूका था लेकिन वो बच्चा और पढने की जिद करने लगा |
तभी सोफ़िया ट्रे में नास्ता और चाय लेकर आयी और संदीप को देते हुए बोली ….आज तो इसने आप को थका ही दिया |
उसने बेटे से कहा …आगे की पढाई अंकल जी कल पढ़ाएंगे | अब तुम जाकर खेलो |
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे बच्चो के साथ समय बिताना अच्छा लगता है ..संदीप ने प्रणव के सिर पर हाथ रखते हुए कहा |
सचमुच आप के बातों में जादू है | सिर्फ प्रणव ही नहीं मैं भी आप की बातों से प्रभावित हो गयी हूँ |
संदीप कुछ नहीं बोला, बल्कि चुपचाप सोफ़िया के दिए हुए नास्ता करने लगा |
कुछ देर यूँही सोफ़िया उसे नास्ता करता देखती रही और संदीप फिर उसकी नशीली आँखों से बचने के लिए ज़ल्दी से नास्ता समाप्त किया और वापस जाने की इज़ाज़त मांगी |
सोफ़िया एक मिनट उसे रुकने का इशारा किया, और वो अंदर कमरे में चली गयी |
संदीप चुप-चाप खड़ा था लेकिन उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि मैडम का अब क्या फरमान आने वाला है |
थोड़े देर में ही वो संदीप के पास आयी औए उसे एक सुन्दर सा कीमती पेन और एक विदेशी परफ्यूम दी और बोली ….मेरे तरफ से छोटी सी गिफ्ट है … | (क्रमशः)

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