
ख़ुशी ज़ल्दी में थी .. चली गई
गम फुर्सत में थे ..ठहर गए ,
ठोकर लगी पर गिरे नहीं
वक़्त रहते संभल गए ,
ढूंढता हूँ वो बीते हुए लम्हे
न जाने वो किधर गए……
संदीप को घर बैठे पुरे एक साल हो गए लेकिन अभी तक नौकरी नहीं लग सकी थी |
उसके बचपन का दोस्त राजीव जो उसी के साथ में उसी बैंगलोर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की थी | उसे कॉलेज से पास करते ही नौकरी मिल चुकी है |
और मिलती भी क्यूँ नहीं भला, उसकी पैरवी तो जबरदस्त थी |
आज वह मुंबई में ठाठ से नौकरी कर रहा है |
लेकिन संदीप के पास तो पैरवी के नाम पर कोई भी जान पहचान या परिवार में ऐसा कोई आदमी दिखाई नहीं पड़ता था, जिससे वह अपनी नौकरी के लिए कही भी सिफारिस करवा सके |
गवई परिवेश और निर्धन परिवार से होना आज के परिस्थिति में एक अभिशाप से कम नहीं है | तभी तो फ़िलहाल नौकरी के आभाव में घर में ही बैठना पड़ रहा है |
हालाँकि ऐसा नहीं है कि वह कोशिश नहीं कर रहा है , जहाँ भी vacancy देखता सबसे पहले फार्म भर देता | परन्तु सफलता नहीं मिल पा रही है , शायद दुर्भाग्य उसका पीछा नहीं छोड़ रहा है |
पिछले दिनों की ही बात है कि पेपर में एक vacancy देख कर बहुत खुश हुआ था | टाटा की कंपनी में नौकरी करना अपने आप में गर्व की अनुभूति देता है |
उसने पुरे जोश और लगन से इंटरव्यू की तैयारी की थी | उसे पूरा विश्वास था कि उसे वो नौकरी मिल ही जाएगी क्योकि कंपनी की सारी शर्तो को पूरा कर रहा था …, अच्छे कॉलेज से डिग्री और अच्छे नंबरों से पास होना, सब कुछ सही था |
इंटरव्यू में भी पूछे गए सभी सवालों के ठीक ठीक ज़बाब दिए थे | बस कमी थी तो सिर्फ उसे किसी भी कंपनी में काम का करने का अनुभव का नहीं होना |
वह अपने दोस्तों से पैसे उधार लेकर इंटरव्यू देने गया था और घर में बैठ कर रोज़ कॉल लेटर का इंतज़ार रहता था |
तभी एक दिन खबर आयी कि उसके जगह किसी और को उस नौकरी पर रख लिया गया था , क्योकि उसके पास किसी नेता की पैरवी थी | संदीप भीतर ही भीतर टूट सा गया |
बार – बार बाहर के लोगों के ताने सुन कर उसे उतना दुःख नहीं होता था , लेकिन जब माँ भी ताने देती तो वह व्याकुल हो उठता था और कुछ दूर पर स्थित रेलवे स्टेशन पर जाकर अकेले में छुप – छुप कर रोया करता |
और घर वाले ताना क्यों नहीं न मारे, …. घर में एक कुवारीं बहन शादी को तैयार बैठी है और पिता जी की भी दो साल पहले मृत्यु एक बस एक्सीडेंट में हो चुकी है | बस, ले दे कर मैं ही तो उनका सहारा हूँ |

पिताजी के कुछ जीवन बीमा के पैसे मिले थे और पिता जी के जाने के बाद family pension से किसी तरह गुज़ारा हो रहा था |
घर में जवान बेटी बैठी रहे और उस पर बेटा भी बेरोजगार होकर घर की ही रोटी तोड़े तो माँ को चिंता तो होगी ही | वह बेचारी अपना दुःख दर्द और किसे सुनाये ?
रात के अँधेरे में संदीप बिस्तर पर पड़ा बस छत निहार रहा था और इन्ही सब बातों को सोच सोच कर रात बीत रही थी | घर के बाकी लोग सो चुके थे लेकिन उसे नींद कहाँ आती थी |
करवट बदल कर बस रात गुजर जाया करती थी | रोज़ कुछ अच्छा होने की आशा से सुबह उठता था, और शाम होते होते फिर कल की आशा में ….., मानो अब यही उसकी ज़िन्दगी का रूटीन हो गया हो | इंतज़ार, इंतज़ार बस इंतज़ार ..एक अदद नौकरी की |
घर के बाहर एक घना जामुन के पेड़ जिस पर रोज़ शाम को पक्षियों का झूंड जब शोर गुल करता तो वह उसे घंटो बैठ कर देखता और सोचता हमसे तो अच्छे ये पक्षी है जो बिना चिंता फिकर के मस्त जीवन जीते है |
आज दोपहर में संदीप उसी पेड़ के नीचे अकेला बैठा यूँ ही कुछ – कुछ सोच रहा था, तभी रेनू उसकी बहन चाय लेकर उसके पास आयी |
वो आश्चर्य से उसकी ओर देख कर बोला ….मैंने तो चाय नहीं मांगी थी |
रेनू अपने भाई की तरफ देखते हुए बोली…मुझे पता है , तूने चाय नहीं मांगी है | लेकिन तेरे दिल की बात तुझसे ज्यादा मैं जानती हूँ |
जब आदमी चिंता में होता है तो चाय पिने की तीव्र इच्छा होती है ,जिससे उसे तनाव से कुछ राहत मिलती है |
मैं कुछ दिनों से देख रही हूँ , तुम ज्यादा ही परेशान नज़र आते हो…..रेनू ने कहा और पास में ही पड़ी एक बड़ी सी पत्थर पर बैठ गई |
तुम ठीक कहती हो रेनू.| मुझे घर में बेरोजगार बैठे रहना बहुत परेशान करता है |
मोहल्ले वाले के ताने सुन कर उतना तकलीफ नहीं होता जितना माँ के शब्द चुभते है …, बोलते बोलते उसके आँखों में आँसू आ गए |
रेनू उसे संतावना देते हुए कहा … एक तू ही तो बेरोजगार नहीं है |, आज कल जो देश दुनिया के हालात है उसमे तो लोगों की लगी लगाई नौकरी भी जा रही है |
सोचो उसको कैसा लगता होगा , जो पूरा परिवार का बोझ अपने कंधे पर उठाया है और उसकी एक दिन कंपनी से छुट्टी कर दी जाती है |
अपने पडोस के जानकी बाबु को ही देख लो | वो वोडाफोन कंपनी में थे और अचानक 15 दिनों पूर्व स्टाफ छटनी के तहत उन्हें भी घर भेज दिया गया | यही स्थिति सब जगह की है … रेनू समझाते हुए बोली |

लेकिन आखिर कब तक घर में ऐसे ही बैठे रहेंगे ..संदीप ने रेनू की तरफ देखते हुए कहा |
वो तो है, लेकिन तुन धीरज रखो , अपना दिन ज़रूर पलटेगा और फिर सब ठीक हो जायेगा |
कुछ ठीक नहीं होगा रेनू , आज जो देश के हालात है , उसमे तो थोड़ी भी आशा की किरण नज़र नहीं आती है …संदीप सामने खड़े पेड़ को निहारते हुए कहा |
तभी रेनू की आँखे कुछ याद करके चमक उठी और बोली …एक बात कहूँ भैया ? तुम मेरी बात मानोगे ?
हाँ – हाँ , तुम्हारी बात क्यों नहीं मानूंगा … संदीप उसकी ओर देखता हुआ कहा |
वो जो तुम्हारी दोस्त राधिका है ना | वो बता रही थी कि उसकी जान पहचान की कोई सोफिया भाभी है, जिसका घर हमलोग के कॉलेज के पास ही है और उसके बच्चे के लिए एक tutor की ज़रुरत है |
शायद उनका बच्चा पढने में कमज़ोर है | और वो चाहती है कि कोई उसके घर जाकर उसके बच्चे को पढाये | तुम तब तक ट्यूशन (Tuition ) का काम क्यों नहीं कर लेते | पॉकेट खर्च तो कम से कम निकल ही आयेंगे |
तुम राधिका से इस बारे में एक बार बात करो |
राधिका तो मेरे बचपन की दोस्त है और हमलोग एक दुसरे को चाहते भी है | लेकिन उसके घर वाले बहुत ही प्रतिष्ठित लोग है अतः मुझ से उसका मिलना – जुलना उनलोगों को बिलकुल ही पसंद नहीं है |
इसीलिए तो कॉलेज से लौटते वक़्त रास्ते में राधिका से कभी कभी ही मुलाकात हो पाती है | मैंने सोचा था कि जब नौकरी लग जाएगी तो उसके घर वाले से उसका हाथ मांग लेंगे, तब वो भी मना नहीं कर पाएंगे | अब तो यह भी सपना ही लगता है |
लेकिन चाहे जो भी हो मैं राधिका से मिल कर उस ट्यूशन ( tuition) के बारे में बात करूँगा | चाहे जितना भी पैसा दे, मैं उसे पढ़ाने के लिए तैयार हो जाऊंगा |
संदीप मन ही मन सोचा और रेनू से बोला ….ठीक है रेनू | मैं राधिका से आज ही इस विषय में बात करने की कोशिश करूँगा |
लेकिन भैया आज तो कॉलेज बंद है, इसलिए तुम कल यह काम करना और फिलहाल अभी खाना खाने का समय हो गया है, तो चलो खाना लगा दूँ .| .उसने भाई का हाथ पकड़ कर घर के रसोई में ले गई ……( क्रमशः).

इससे बाद की कहानी हेतु नीचे दिए link को click करें…
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बहुत सुंदर कहानी है तलाश अपने सपनों की 🌹🙏👍🏼 कार्तिक दीपोत्सव की शुभकामनाएँ🌹🙏🥣🌹
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बहुत बहुत धन्यवाद |
आपको भी कार्तिक दीपोत्सव की शुभकामनाएँ |
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👏🌷♥️🎉😊
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Stay happy, and Stay blessed.
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Blessed Tuesday and grace wishes Varma ji 🌹🙏💓🥣🌹
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Thank you so much.
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🙂
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बहुत ही सुंदर कहानी ❤❤❤❤
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर ,
आप पूरी कहानी ज़रूर पढ़ें |
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अच्छी कहानी।
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Thank you so much, dear.
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Sundar kahani.Talas jaari hai.
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Yes, dear,
Thank you very much.😊😊
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Kahani achi he!!
iske kitne part honge?
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इसके 17 पार्ट है,,लेकिन कहानी बहुत अच्छी है /
इसे ज़रूर पढ़ना चाहिए | इसमे एक बेरोजगार की व्यथा दिखती है |
आपके सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
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17 part ko catch up karna muskil karna hoga na sir
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जब कभी भी समय मिले, थोड़ा थोड़ा पढ़ो,,
सभी एपिसोड मे आगे की एपिसोड की लिंक दी हुई है |
मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए तो बनता है , डियर | 😂😂
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Itna khatarnak idea kaha se aya apko sir? Story ka?? Acha idea he
Yeh apki 3rd story hogi ? 😀
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मेरा एक गुरु है, जो कहानी और कविता लिखने को उत्साहित करते रहता है |
मैं मना करता हूँ, कि मैं नहीं सकूँगा , लेकिन वह हमेशा हौसला देता है , क्योंकि वो मेरा सच्चा यार है |
😍😍
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Likhte rahiye, age badte rahiye
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जय श्री राम |
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